'बाज़ चूजे पर झपटा, उठा ले गया. कहानी सच्ची लगती है लेकिन अच्छी नहीं लगती. बाज़ पर पलटवार हुआ. कहानी सच्ची नहीं लगती लेकिन खुदा कसम, बहुत अच्छी लगती है.'तक़रीबन पांच साल पहले मरहूम इरफान की एक मूवी आई थी मदारी. अभी जो मैंने पढ़ा वो इसी का डायलॉग है. अगर इस डायलॉग को पूरा सच मान लें तो मोटा-मोटी कहानियां दो तरह की होती हैं. एक, जो सच्ची होती हैं और दूसरी जो अच्छी होती हैं. अच्छी कहानियों में अक्सर एक हीरो होता है जो अंत में सब सही कर देता है. लेकिन सच्ची कहानियों में कई बार अंत भला नहीं हो पाता. और लूईस हैमल्टन के फ़ैन्स की मानें तो उनके साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. अगर आप लूईस हैमल्टन को नहीं जानते तो एक लाइन में जान लीजिए- हैमल्टन फॉर्मूला वन मतलब वही एफवन के सचिन तेंडुलकर हैं. माइकल शूमाकर के फ़ैन्स निराश ना हों, शूमाकर को हमने ब्रैडमैन मान लिया है. हां तो एफवन के इस सचिन तेंडुलकर के फ़ैन खौराए हुए हैं. उनका कहना है कि उनके हीरो के साथ धोखा हुआ. उसे जानबूझकर हराया गया. लेकिन क्या ये सच है? सच में हैमल्टन के साथ ऐसा हुआ? चलिए देख लेते हैं.
मामला क्या है?
नीदरलैंड्स मतलब डच देश के मैक्स वर्सटाप्पन एफवन के नए वर्ल्ड चैंपियन हैं. और जिन्होंने ये पूरा सीजन फॉलो किया था उनके लिए यह ख़बर उतनी ही आश्चर्यजनक है जितनी हमारा 1983 का वर्ल्ड कप जीतना. क्योंकि सर्जियो पेरेज़ का अल्टीमेट टीम गेम निकाल दें तो पूरे सीजन तो सीजन, इस आखिरी यानी अबू धाबी ग्रैंडप्रिक्स की 57वीं लैप तक हैमल्टन ही जीत रहे थे. लेकिन आखिरी लैप में वर्सटाप्पन ने ऐसा टप्पा मारा कि सारे अनुमान धरे रह गए. और पूरा बवाल इसी टप्पे पर है. दरअसल हुआ ये कि 53वीं लैप में निकलस लतीफी की कार का एक्सिडेंट हो गया. और इसके बाद नियमों के मुताबिक सेफ्टी कार ट्रैक पर आई. अब आगे बढ़ने से पहले इस सेफ्टी कार के बारे में जान लेते हैं. सेफ्टी कार का मुख्य काम होता है रेस ट्रैक पर चल रही कारों की स्पीड को लिमिट करना. जिससे ट्रैक पर काम करने वाले लोग ट्रैक पर पड़े किसी भी मलबे या फिर क्षतिग्रस्त हुई कार को हटा सकें.# यहां पलटा गेम
लेकिन ऐसा नहीं किया गया. क्यों नहीं किया गया? एफवन का कहना है कि अज़रबजान के बाकू में लाल झंडा इसलिए दिखाया गया क्योंकि वहां मलबा काफी ज्यादा था. और उसे हटाए बिना रेस शुरू नहीं की जा सकती थी. जबकि अबू धाबी में ऐसा नहीं था. रेस चलती रही. और इसी दौरान वर्सटाप्पन ने मौका देखकर अपने टायर बदल लिए. मानों उन्हें आभास सा हो गया था कि आगे क्या होने वाला है. जबकि हैमल्टन ने सोचा कि कहीं टायर बदलने के चक्कर में अपनी लीड ना गंवा दूं. यानी माया के चक्कर में उन्होंने राम को बिसरा दिया. जबकि वर्सटाप्पन और उनकी टीम ने आगे की सोची और फट से गाड़ी में सॉफ्ट वाले टायर डाल लिए. हालांकि इस दौरान उनके और हैमल्टन के बीच का फासला तीन कार से बढ़कर पांच कार का हो गया. इधर रेस चल रही थी और उधर गाड़ी हटाने का काम. और इसके चलते एफवन के स्टैंडर्ड प्रोसीजर यानी, एक लैप पीछे चल रही सारी कार को सेफ्टी कार से आगे जाने देना, संभव नहीं हुआ. इसलिए रेस कंट्रोल ने टीम्स से साफ बोल दिया कि किसी भी कार को सेफ्टी कार से आगे नहीं जाने दिया जाएगा. लेकिन कुछ ही पल बाद, रेस कंट्रोल ने हैमल्टन और वर्सटाप्पन के बीच की पांच कारों को आगे जाने की परमिशन दे दी.# लोग क्या कह रहे?
इस मसले पर फ़ैन्स बंटे हुए हैं. एक पोल में 55 परसेंट लोगों ने माना कि रिजल्ट सही नहीं है, हैमल्टन के साथ गलत हुआ. जबकि 45 परसेंट लोगों का कहना है कि वर्सटाप्पन ये जीत डिजर्व करते थे. कई सेलेब्रिटीज ने भी इस रिजल्ट पर कमेंट किया है. और ज्यादातर का मानना है कि हैमल्टन के साथ गलत हुआ. हैमल्टन की टीम मर्सिडीज ने भी रिजल्ट के खिलाफ दो प्रतिवाद दायर किए गए थे. लेकिन उनके इन प्रतिवादों को सिरे से नकार दिया गया. और इस पूरे मामले को देखने के बाद साफ है कि हैमल्टन ने रेस के दौरान जो कहा था, वो काफी हद तक सच था. अब जाते-जाते आपको बता दें कि हैमल्टन ने क्या कहा था. रेस खत्म होने से ठीक पहले हैमल्टन अपने टीम रेडियो पर कहते हुए सुने गए थे,'इसमें हेराफेरी हो रही है यार!'जाहिर है कि रेस पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं रही. चीजें गड़बड़ हुई हैं. लेकिन इसके चलते वर्सटाप्पन की जीत छोटी नहीं हो सकती. उन्होंने अपनी मेहनत और सूझबूझ से यह रिजल्ट हासिल किया है और अगले सीजन के खत्म होने तक वही चैंपियन रहेंगे.
ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद की ये कहानी नहीं जानते होंगे आप
Advertisement