मामला क्या है?
पूरा मामला शनिवार 12 मार्च की एक घटना से जुड़ा है. यूपी चुनाव (UP election) में जीत के बाद प्रयागराज में बीजेपी समर्थकों का जश्न चल रहा था. यहां के बहरिया थाना क्षेत्र स्थित नेवादा गांव से बीजेपी समर्थक जीत के जश्न का जुलूस निकाल रहे थे. इस दौरान कुछ लोगों ने उन पर लाठी-डंडों और ईट-पत्थरों से हमला कर दिया. बताया गया कि इसी हमले में सतीश चौहान नाम के बीजेपी कार्यकर्ता की मौत हो गई. अन्य कार्यकर्ताओं और नेताओं को भी चोटें आईं. एनबीटी की खबर के मुताबिक घटना के बाद मृतक के पिता बहरिया थाने में FIR दर्ज कराने पहुंचे थे. लेकिन पुलिस ने कथित रूप से उन पर दबाव बनाकर FIR में ये लिखा लिया कि युवक की मौत एक्सीडेंट में हुई है. ये भी आरोप है कि मृतक का पोस्टमॉर्टम भी नहीं कराया गया. इसके बाद बीजेपी के जिला मंत्री गंगापार कमलेश पाल ने बहरिया पुलिस से इस संबध में बात की. पता चला मृतक के पिता बाबूराम कोई कार्रवाई नहीं चाहते, जिस कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जा रहा. पुलिस के इस रवैये से सत्तारूढ़ दल के समर्थकों गुस्सा हो गए. उन्होंने बड़ी संख्या में बहरिया थाने का घेराव किया और मामले की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इसकी जानकारी अफसरों को मिली तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. तत्काल मृतक का शव फाफामऊ घाट से पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. पता चला मृतक सतीश के सिर पर गंभीर चोट के निशान थे.चार पुलिसकर्मी सस्पेंड
इस बीच बीजेपी कार्यकर्ता पुलिस उपनिरीक्षक संजय यादव पर मारपीट और एक तरफा कार्रवाई का आरोप लगा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग पर अड़ गए. इसके बाद एसपी गंगापार की ओर से दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी, प्रयागराज अजय कुमार ने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. उन्होंने बताया,"बीजेपी कार्यकर्ता की संदिग्ध मौत की खबर को समय पर अधिकारियों को ना बताने के कारण थाना प्रभारी रवि प्रकाश, उपनिरीक्षक संजय यादव, सिपाही विकास उपाध्याय और दीनदयाल दुबे को निलंबित कर दिया गया है."
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