"दुर्भाग्य से, कुछ लोगों (विपक्ष) का दिमाग अभी भी 2014 में ही अटका हुआ है. इतने नुकसान के बाद भी आपका अहंकार बना हुआ है और आपका ईको सिस्टम इसे जाने नहीं देता है. सवाल चुनाव परिणाम का नहीं है, बल्कि इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने वालों की मंशा का है. लोगों को जहां भी रास्ता मिला, उन्होंने आपको फिर से प्रवेश नहीं करने दिया. उन्हें आईना मत दिखाइए, वो इसे तोड़ देंगे. आलोचना लोकतंत्र का गहना है, लेकिन अंधविरोध लोकतंत्र का अपमान है."राष्टपति के भाषण पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री की आलोचना की थी. गांधी ने प्रधानमंत्री के ऊपर देश को चंद पूंजीपतियों के हाथ में सौंप देने के साथ-साथ महंगाई और बेरोजगारी पर पीएम मोदी पर निशाना साधा था. इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री ने एक के बाद एक अपनी बात रखी. उन्होंने कहा,
"कांग्रेस सरकार के पांच साल में देश में महंगाई दहाई अंक में थी. सरकार ने माना कि महंगाई नियंत्रण से बाहर थी. साल 2011 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने बेशर्मी से कहा था कि “अलादीन के चिराग” से महंगाई कम होने की उम्मीद मत करो. कांग्रेस नेता महंगाई के प्रति असंवेदनशील थे. मुद्रास्फीति को कम करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य था."राहुल गांधी ने अपने भाषण में तमिलनाडु के लोगों की बात की थी. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस तमिल भावनाओं को भड़काना चाहती है. लोकसभा में उन्होंने कहा,
"कांग्रेस की नीति फूट डालो राज करो की है. कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग की नेता बन गई है. कांग्रेस ने अपने ग़रीबी हटाओ नारे के कारण कई चुनाव जीते, लेकिन गरीबी नहीं हटी."राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि राज्यों का संघ है. प्रधानमंत्री ने इसके ऊपर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब में लिखा है कि भारत में अलग-अलग तरह के लोग रहते हैं, लेकिन सबकी राष्ट्रीय विरासत एक ही है. उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर पंडित नेहरू किसके लिए राष्ट्र शब्द का प्रयोग कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के ऊपर कोरोना वायरस महामारी को फैलाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा था, तब कांग्रेस पार्टी ने प्रवासी मजदूरों के लिए टिकट लेकर उन्हें उनके घर वापस भेजा ताकि महामारी फैल जाए. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने भी मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम किया.
विपक्ष ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री के इस भाषण पर विपक्ष की तरफ से काफी तीखी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्वीट करते हुए कहा,"मोदी जी, भगवानों तक की लड़ाई कराओ आप; स्वतंत्रता सेनानियों की मरणोपरांत लड़ाई कराओ आप; फ़िल्म इंडस्ट्री में आपसी लड़ाई कराओ आप; खान-पान, पोशाक, भाषा पर लड़ाई कराओ आप; शमशान और क़ब्रिस्तान की लड़ाई कराओ आप, तो फिर टुकड़े टुकड़े गैंग के शहंशाह और शाह तो आप और अमित भाई हुए ना."
आप देश के प्रधान मंत्री हैं! रात 8 बजे आकर 4 घंटे का समय देकर लॉकडाउन आप ने किया. दिहाड़ी मज़दूरों के बारे में आपने सोचा नहीं. थोड़ी सी इंसानियत होती तो ऐसी बात नहीं कहते. थोड़ी सी शर्म होती तो आज उन मज़दूरों से माफ़ी मांगते.
मोदी सरकार ने तर्कहीन लॉकडाउन लगाया. लाखों श्रमिकों को हजारों किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर किया, फ्री ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं दी. "कोविड फैलाने" के लिए प्रवासियों को दोष देना अब यह बताता है कि यह सरकार कितनी बुरी है!
"क्या वो सरकार, जिसने हाउडी ट्रम्प कार्यक्रम आयोजित किया, फिर लोगों से थाली पीटने और दिया जलाने के लिए कहा, अब कोरोना फैलाने के लिए विपक्ष को दोष दे रही है? क्या यह "स्पेशल स्टफ" सिर्फ हिमालय की गुफाओं में ही मिलता है? पता नहीं."
प्रधानमंत्री जी का ये बयान सरासर झूठ है. देश उम्मीद करता है कि जिन लोगों ने कोरोना काल की पीड़ा को सहा, जिन लोगों ने अपनों को खोया, प्रधानमंत्री जी उनके प्रति संवेदनशील होंगे. लोगों की पीड़ा पर राजनीति करना प्रधानमंत्री जी को शोभा नहीं देता.
1984 के लोकसभा चुनावों में 'भाजपा मुक्त भारत' होने से किसने बचाया?
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