दावा
सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा है कि इंडियन पीनल कोड की 96 से 106 तक की धाराएं आपको किसी व्यक्ति से सामान खरीदने से पहले आपको उसका नाम पूछने का हक़ देती हैं. 22 अप्रैल, 2020 को फ़ेसबुक यूजर शर्मा योगेश ने एक वीडियो पोस्ट(आर्काइव लिंक)करते हुए लिखा,मुस्लिम से सामान नही लेने पर FIR दर्ज मैं चाहे नाम पूछकर समान खरीदूं या आधार देख कर ये मेरा कानूनी अधिकार है। मुझे कोई बाध्य नही कर सकता कि मैं किस से समान लूँ या किस से नहीं लूं.. *Indian_Penal_code, IPC_section 96 to 106..* पहचान सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। 🙏🙏🚩🚩🚩
मुस्लिम से सामान नही लेने पर FIR दर्ज मैं चाहे नाम पूछकर समान खरीदूं या आधार देख कर ये मेरा कानूनी अधिकार है। मुझे कोई बाध्य नही कर सकता कि मैं किस से समान लूँ या किस से नहीं लूं.. *Indian_Penal_code, IPC_section 96 to 106..* पहचान सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। 🙏🙏🚩🚩🚩 Posted by Sharma Yogesh on Wednesday, 22 April 2020
पड़ताल
‘दी लल्लनटॉप’ ने वायरल मैसेज में किए गए दावों की विस्तार से पड़ताल की. हमारी पड़ताल में ये मैसेज गलत पाया गया. दो हिस्सों में इस दावे की पड़ताल की है. पहला दावा मुस्लिम व्यक्ति से सामान नहीं लेने पर FIR दर्ज. तथ्य हमने कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया तो हमें 22 अप्रैल की फ़्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट(आर्काइव लिंक)मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक़, ये घटना महाराष्ट्र के थाणे के काशीमीरा इलाक़े में हुई. यहां रहने वाले एक व्यक्ति ने ऑनलाइन सामान मंगवाया था. जब डिलिवरी वाला उसके घर पहुंचा तो व्यक्ति ने पहले नाम पूछा और फिर मुस्लिम होने की वजह से सामान लेने से मना कर दिया. डिलिवरी वाले ने घटना का वीडियो बना लिया. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने IPC की धारा 295 (A) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.धारा 96 - ये आत्मरक्षा के अधिकार के बारे में है. आत्मरक्षा में किया गया कोई भी कार्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता. धारा 97 - अपने शरीर और संपत्ति की सुरक्षा का अधिकार. धारा 98 - दिमागी तौर पर विकृत व्यक्ति के ख़िलाफ़ आत्मरक्षा का अधिकार. धारा 99 - ये धारा उन क्रियाकलापों के बारे में है, जिसमें आत्मरक्षा का अधिकार लागू नहीं होता. धारा 100 - जब शरीर की रक्षा करते हुए किसी की मौत हो जाए, ऐसे में आत्मरक्षा का अधिकार बढ़ जाता है. धारा 101 - जब आत्मरक्षा के दौरान मौत से इतर कोई नुकसान हो. धारा 102 - आत्मरक्षा के अधिकार के लागू और उसके जारी रहने के संबंध में. धारा 103 - जब व्यक्तिगत संपत्ति की रक्षा के दौरान किसी की मौत हो जाए. धारा 104 - जब व्यक्तिगत संपत्ति की रक्षा के दौरान मौत से इतर कोई नुकसान हो. धारा 105 - व्यक्तिगत संपत्ति की रक्षा के अधिकार के लागू और उसके जारी रहने के संबंध में. धारा 106 - जब बेगुनाह लोगों की जान को खतरा हो, वैसी स्थिति में प्राणघातक हमला होने पर आत्मरक्षा के अधिकार के संबंध में.इन धाराओं में ऐसा कुछ भी नहीं है, जैसा कि वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है. IPC की धारा 96-106, व्यक्ति की आत्मरक्षा और व्यक्तिगत संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित है, न कि किसी व्यक्ति से उसकी पहचान जानने के अधिकार के बारे में. भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं के बारे में आप यहां देख सकते हैं:
नतीजा
ये सच है कि मुंबई के एक व्यक्ति को मुस्लिम डिलिवरी मैन से सामान लेेने से मना करने के लिए गिरफ़्तार किया गया. लेकिन ये सरासर ग़लत दावा है कि IPC की धारा 96-106 आपको किसी को भी उसकी पहचान के बारे में पता करने का अधिकार देती है. ये धाराएं व्यक्ति की आत्मरक्षा और व्यक्तिगत संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित है.अगर आपको भी किसी ख़बर पर शक है तो हमें मेल करें- padtaalmail@gmail.comपर. हम दावे की पड़ताल करेंगे और आप तक सच पहुंचाएंगे.
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