क्या काम करता है टेक फॉग ऐप?
"द वायर" ने अपनी पड़ताल मे कहा है कि टेक फॉग ऐप का काम ट्विटर के ट्रेंडिंग सेक्शन को कुछ लक्षित हैशटैग से हाईजैक करना, भाजपा से जुड़े कई वॉट्सऐप ग्रुप बनाना और उन्हें चलाना है. इसके जरिये भाजपा की आलोचना करने वाले पत्रकारों को ऑनलाइन प्रताड़ित भी किया जाता है. हालांकि "द वायर" को टेक फॉग ऐप का सीधा एक्सेस तो नहीं मिला, लेकिन उनकी टीम ने ‘टेक फॉग’ ऐप को होस्ट करने वाले सिक्योर सर्वर को जोड़ने वाले अनेक बाहरी टूल्स और सर्विसेज की शिनाख्त जरूर की. दावा है कि इस ऐप के जरिए सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी ट्रेंड को आगे बढ़ाकर और बहसों/चर्चा को अपने हिसाब से हाईजैक किया जा रहा था. इस ऐप का एक प्रमुख काम ट्विटर के 'ट्रेंडिंग' और फेसबुक के ट्रेंड वाले सेक्शन को एक तरह से हाईजैक करना है. उदाहरण के लिए, जितने भी अकाउंट टेक फॉग के जरिए ऑपरेट होते हैं या थे, उनके किसी भी ट्वीट को आटो रीट्वीट किया जा सकता है. कोई भी पोस्ट हो, उसको भी किसी व्यक्ति को शेयर करने की जरूरत नहीं है. ऐप का ऑटोमेशन फीचर ये काम खुद कर सकता है. ऐप के द्वारा किसी भी ट्वीट को बार-बार अलग-अलग अकाउंट से रीट्वीट करना और पोस्ट करना संभव है. जैसे कोई ईमेल स्पैम मार्क हो जाए तो वो आपके इनबॉक्स में नहीं दिखता. वैसे ही बहुत से ट्रेंडिंग हैशटैग्स को भी ये ऐप स्पैम में बदल देता है. नतीजतन वो ट्विटर की टाइम लाइन से बाहर हो जाते हैं. इसकी मदद से निजी ऑपरेटर आम नागरिकों के निष्क्रिय वॉट्सऐप अकाउंट को हाईजैक करने और उनके फोन नंबर का इस्तेमाल करके सर्वाधिक बार संपर्क किए जाने वाले या सभी नंबरों को संदेश भेजने का काम करता है. "द वायर" को इस ऐप पर आम नागरिकों के एक क्लाउड डेटाबेस का पता चला है. डेटाबेस में नागरिकों को पेशे, धर्म, भाषा, उम्र, लिंग, राजनीतिक झुकाव और यहां तक कि शारीरिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है.ऐप के पीछे कौन है
"द वायर" ने दो निजी कंपनियों पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र किया है. पर्सिस्टेंट सिस्टम्स एक सार्वजनिक कंपनी है जो 1990 में स्थापित हुई है. वहीं मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड ट्विटर की हिस्सेदारी वाले भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "शेयरचैट" की पेरेंट कंपनी है. "द वायर" ने इस ऐप से जुड़े ट्विटर और वॉट्सऐप इंटीग्रेशन, गूगल फॉर्म्स पर आधारित डेटा इनपुट टूल्स, पेटीएम के जरिये भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर का भी जिक्र किया है. अभी तक बीजेपी या उनकी आईटी सेल की तरफ से इस खुलासे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. एक बात साफ कर दें कि लल्लनटॉप, "द वायर" की इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.वीडियो:5 फाइल शेयरिंग ऐप्स जो आपका काम आसान कर देंगी
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