पड़ताल: अखिलेश यादव की करहल सीट पर BJP की एंट्री बैन? सच जानिए

05:33 PM Feb 03, 2022 |
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दावा

उत्तर प्रदेश की करहल विधानसभा सीट सूबे की सियासत में एक हॉट सीट बन चुकी है. इसके पीछे वजह साफ है कि यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव इस सीट से विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. बीजेपी ने अखिलेश के खिलाफ करहल सीट पर केन्द्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल पर दांव खेला है. ऐसे में करहल को लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल तस्वीर एक बोर्ड की है, जिस पर लिखा है- किसान एकता जिन्दाबाद| B.J.P. वालों का इस गांव में आना सख्त मना है। जान, माल की स्वयं रक्षा करें। सौजन्य से :- किसान एकता, सलूकनगर करहल, मैनपुरी उ. प्र.
खुद को पत्रकार बताने वाले वेरिफाइड ट्विटर यूजर राजा पाल ने वायरल तस्वीर को करहल विधानसभा से जोड़कर ट्वीट
किया. (आर्काइव
) फेसबुक यूजर महेन्द्र झालाताला ने वायरल तस्वीर को शेयर
कर लिखा.
किसान एकता. ऐसा बोर्ड हर ग्राम पंचायत में लगे

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फेसबुक पर मौजूद वायर तस्वीर का स्क्रीनशॉट.
कई और सोशल मीडिया यूजर्स ने ऐसे ही मिलते-जुलते दावों के साथ वायरल तस्वीर
को शेयर
किया. इसके अलावा पड़ताल की वाट्सएप हेल्पलाइन पर भी लल्लनटॉप के पाठकों ने वायरल तस्वीर की सच्चाई जाननी चाही है.

पड़ताल

'दी लल्लनटॉप' ने वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. दावे में मौजूद तस्वीर साल 2018 की है जिसका करहल विधानसभा चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. सबसे पहले हमने रिवर्स इमेज सर्च टूल की मदद से वायरल तस्वीर को खोजा. सर्च करने पर हमें ट्विटर यूजर Param K के अकाउंट पर 8 अक्टूबर 2021 का एक ट्वीट
मिला. इस ट्वीट में आप वायरल तस्वीर को देख सकते हैं लेकिन तस्वीर में करहल की जगह रसूलपुर माफ़ी लिखा हुआ है. ट्विटर पर कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पह वेरिफाइड यूजर अमित मिश्रा के ट्विटर हैंडल पर 8 अक्टूबर 2018 का ट्वीट
मिला. इस ट्वीट में वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है. साथ ही तस्वीर में करहल की जगह रसूलपुर माफ़ी (अमरोहा) लिखा हुआ है. अमित के ट्वीट से दो चीजें एक दम साफ हो गईं. पहली, तस्वीर का करहल से कोई संबंध नहीं है और दूसरी, तस्वीर साल 2018 में भी सोशल मीडिया पर शेयर की गई थी. यहां से क्लू लेकर हमने इंटरनेट पर की-वर्ड्स की मदद से सर्च शुरू की.
सर्च से हमें India Today ग्रुप के यूट्यूब चैनल UP Tak पर 7 अक्टूबर 2018 की एक वीडियो रिपोर्ट
मिली. रिपोर्ट में 46 सेकेंड पर वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है. वीडियो रिपोर्ट के डिस्क्रिप्शन में लिखा है,
अमरोहा में किसानों ने बीजेपी नेताओं के गांव में घुसने पर रोक लगा दी है. गांव के बाहर एक चेतावनी भरा बोर्ड लगाया है, जिस पर लिखा है कि बीजेपी वालों का इस गांव में आना सख्त मना है. दरअसल, किसान क्रांति यात्रा हरिद्वार से दिल्ली तक निकाली गई थी. जिसमें किसानों पर दिल्ली में लाठी चार्ज की गई थी. इस बात से नाराज रसूलपुर माफी के लोगों ने बीजेपी नेताओं को अपने जोखिम पर गांव में घुसने की चेतावनी दी है. इससे बीजेपी में बैचेनी है.
इसके अलावा घटना से संबंधित 8 अक्टूबर 2018 की रिपोर्ट
हमें ABP न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर मिली. चैनल पर मौजूद इस वीडियो में 24 सेकेंड पर वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक,
बीजेपी की एंट्री बैन करने वाला ये बोर्ड पश्चिमी यूपी में अमरोहा के रसूलपुर माफ़ी गांव में लगा है. इस पर लिखा है कि बीजेपी वालों का इस गांव में आना सख्त मना है. जान, माल की स्वयं रक्षा करें.

क्यों लगाया था बीजेपी की एंट्री बैन वाला बोर्ड?
दरअसल साल 2018 में देश के विभिन्न किसान संगठनों द्वारा बिना शर्त कर्ज माफी, चीनी मिलों पर बकाया रकम के भुगतान और फसलों की ज्यादा कीमत की मांगों को लेकर हरिद्वार से दिल्ली तक किसान क्रांति यात्रा
 निकाली गई थी. इस यात्रा का नेतृत्व जाने-माने किसान नेता राकेश टिकैत ने किया था. इस दौरान हरिद्वार से दिल्ली तक निकले लाखों किसानों को गाजियाबाद में दिल्ली गेट पर ही रोक दिया
गया था. इतना ही नहीं किसनों पर लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार भी की गई थी.

नतीजा

हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ. वायरल दावे में मौजूद तस्वीर अक्टूबर 2018 यानी तीन साल से ज्यादा पुरानी है. साथ ही इस तस्वीर का करहल विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है. तस्वीर में दिख रहे बीजेपी की एंट्री बैन करने वाले बोर्ड को अमरोहा के रसूलपुर माफ़ी गांव में किसानों ने अक्टूबर 2018 में लगाया था. साल 2018 में गाजियाबाद में किसानों के साथ हुई हिंसा थी जिसके चलते अमरोहा समेत पश्चिमी यूपी के अलग-अलग गांवों में इस तरह के बोर्ड लगाए गये थे.
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