JNU की PhD सीटों में कटौती और IIT में 122% फीस वृद्धि का सच क्या है?

03:47 PM Mar 21, 2022 |
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दावा

जेएनयू यानी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी. दिल्ली में मौजूद सेंट्रल यूनिवर्सिटी जेएनयू अक्सर अलग-अलग कारणों से चर्चा में बनी रहती है. फिलहाल सोशल मीडिया पर जेएनयू को लेकर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है. वायरल दावे में जेएनयू में रिसर्च की सीट कम करने के साथ IIT यानी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में फीस बढ़ाने की बात की जा रही है.
बॉलिवुड डायरेक्टर अविनाश दास ने वायरल दावा ट्वीट
कर लिखा, (आर्काइव
)
JNU में PhD & M.Phill की 1174 सीटों को घटाकर 194 कर दिया है और IIT की फीस में 122% वृद्धि कर दी 90000 से 2 लाख। 

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अविनाश दास के ट्वीट का स्क्रीनशॉट.

खुद को रिटायर्ड IPS बताने वाले विजय शंकर सिंह ने JNU और IIT को लेकर इसी तरह का दावा ट्वीट
किया है, (आर्काइव
) (अक्षरश:)
JNU में PhD & M.Phill की 1174 सीटों को घटाकर 194 कर दिया IIT की फीस में 122% वृद्धि कर दी (90000 से 2L) ना पढ़े हैं, ना पढ़ने देंगें ( Indarjeet Kushwaha )
फेसबुक यूज़र्स भी लगातार वायरल दावे को अपनी टाइमलाइन पर शेयर कर रहे हैं.


सोशल मीडिया पर वायरल दावा.

 

 पड़ताल

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला. जेएनयू में रिसर्च में सीट कटौती साल 2017 तो IIT में फीस बढ़ोतरी का डिसीज़न 2016 में लिया गया था.
JNU को लेकर दावे की पड़ताल
सबसे पहले हमने इंटरनेट पर 'JNU seat cut from 1174 to 194' की-वर्ड्स लिखकर सर्च किया. सर्च से हमें The Quint पर 22 मार्च 2017 की एक रिपोर्ट
मिली. The Quint की रिपोर्ट के मुताबिक,
यूनिवर्सिटी ने इंटिग्रेटेड एम.फिल-पीएचडी, जेआरएफ और डायरेक्ट पीएचडी सहित रिसर्च की सीटों में 83 फीसदी की कटौती की है. रिसर्च सीटों की संख्या 1,174 से सीधे 194 करने के अलावा,  यूनिवर्सिटी ने पिछड़े जिलों से आने वालों के लिए एम.फिल-पीएचडी में डिप्रिवेशन प्वाइंट भी बंद कर दिए हैं. 
The Quint की रिपोर्ट में साल 2017 में सीट कट की वजह थी यूजीसी गजेट. रिपोर्ट की मानें तो,
यूजीसी के अनुसार एम.फिल / पीएचडी स्टूडेंट्स की संख्या सीमित कर दी गई है. अब एक प्रोफेसर 3 एम.फिल और 8 पीएचडी स्काॅलर्स से ज्यादा को गाइड नहीं कर सकते और एसोसिएट प्रोफेसर अधिकतम 2 एम फिल और 6 पीएचडी स्काॅलर को गाइड कर सकते हैं.
The Quint से इतर दूसरे मीडिया
संस्थानों ने साल 2017 में जेएनयू में हुई सीट कटौती को प्रमुखता से छापा
था.
इसके अलावा हमने जेएनयू की आधिकारिक वेबसाइट
का भी रुख किया. वेबसाइट
पर हमें हाल-फिलहाल में रिसर्च की सीट कम करने को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली. साथ ही वेबसाइट पर 2022-23 सेशन के लिए प्रोस्पेक्टस भी अपलोड नहीं हुआ है, जिसमें एडमिशन और सीटों की संख्या से जुड़ी जानकारियां होती हैं.
IIT वाले दावे की पड़ताल
IIT में फीस बढ़ोत्तरी के दावे की पड़ताल के लिए हमने इंटरनेट पर 'IIT fees from 90 thousands to 2 lakh' की-वर्ड्स लिखकर सर्च किया. सर्च से हमें 7 अप्रैल 2016 को NDTV पर छपी एक रिपोर्ट
मिली. रिपोर्ट में IIT की फीस को 90 हजार से बढ़ाकर 2 लाख करने की बात कही गई है.
साल 2016 में IIT के अंडरग्रैजुएट कोर्सेज़ की फीस 2 लाख तक करने की जानकारी को टाइम्स ऑफ इंडिया
, फ़र्स्टपोस्ट
और आजतक
जैसे मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से छापा था.
हमने IIT के फीस स्ट्रक्चर की जानकारी के लिए IIT Bombay की वेबसाइट को ओपन किया. वेबसाइट पर हमें स्प्रिंग सेमेस्टर 2021-22 की फीस से जुड़ी जानकारी
मिली. जानकारी के मुताबिक, IIT Bombay में अंडर-ग्रेजुएट कोर्स में एक सेमेस्टर की अकादमिक फीस 1 लाख 29 हजार 50 रुपए है. एक साल में दो सेमेस्टर होते हैं तो ये फीस बड़े आराम से 2 लाख पार पहुंच जाती है. 
यानी वायरल दावे में IIT की जिस फीस को 90 हजार से बढ़ाकर 2 लाख किए जाने की बात की जा रही है वो बढ़ोतरी साल 2016 में हुई थी न कि हाल-फिलहाल में.

नतीजा

हमारी पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ. असल में जेएनयू में सीटों में कटौती साल 2017  में हुई थी जब यूजीसी गजेट का हवाला देते हुए यूनिवर्सिटी ने रिसर्च प्रोग्राम में सिर्फ 194 सीटों पर एडमिशन लिए थे. वहीं IIT में फीस 90 हजार से 2 लाख करने का निर्णय साल 2016 में लिया गया था तब देश में MHRD मिनिस्टर स्मृति ईरानी थीं.
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