भारत में 54 चीनी ऐप्स बैन किए गए, सामने आई चीनी कंपनियों की बड़ी चालाकी

04:15 PM Feb 14, 2022 | सूर्यकांत मिश्रा
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भारत सरकार ने एक बार फिर चीनी ऐप्स पर कार्रवाई की है. खबर है कि सरकार ने 54 नए चीनी ऐप्स(Chinese apps) को बैन करने के आदेश दिए हैं. इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने सुरक्षा और प्राइवेसी के खतरे को देखते हुए इन ऐप्स को बैन करने का फैसला किया है. यह दावा न्यूज एजेंसी ANI ने किया है. जानकारी दी गई है कि सरकार द्वारा बैन किए गए ऐप्स में App Lock, Tencent Xriver, Cam cord for sales force, beauty camera जैसे ऐप्स शामिल हैं. बतादें, भारत-चीन के बीच LAC पर गतिरोध बढ़ने के बाद से केंद्र सरकार कई चीनी ऐप्स पर इस तरह की कार्रवाई करती आई है. इसकी शुरुआत जून 2020 में हुई, जब 59 चाइनीज ऐप्स भारत में एक साथ बैन किए गए थे. बैन किए गए इन ऐप्स की लिस्ट में TikTok, Shareit और UC Browser जैसे लोकप्रिय ऐप्स का भी नाम शामिल था. तब से लेकर सरकार अब तक कुल 224 चीनी ऐप्स बैन कर चुकी है.

क्या चालाकी कर रही थीं चीनी कंपनियां?

इस बार बैन किए गए ऐप्स का संबंध चीनी की नामी टेक कंपनी Tencent और Alibaba से है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने इन ऐप्स को इसलिए बैन किया है क्योंकि ये पहले बैन हो चुके ऐप्स के रीब्रांडेड अवतार हैं. यानी पहले बैन किए गए ऐप्स को बड़ी चालाकी के साथ ओनरशिप बदलकर, नई ब्रांडिंग और नए नाम के साथ भारत में लांच कर दिया गया. बताया जाता है कि इन ऐप्स पर यूजर्स की निजी जानकारी और डेटा चाइनीज सर्वर के साथ शेयर करने का आरोप है. इंडिया टुडे ने सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सरकार ने ऐप स्टोर्स और गूगल प्ले स्टोर से इन ऐप्स को ब्लॉक करने के लिए कह दिया है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक इन ऐप्स की गूगल प्ले स्टोर से एक्सेस बंद भी कर दी गई है.

किस क़ानून के तहत इन ऐप्स को प्रतिबंधित किया जाता है?

साल 2020 में केंद्र सरकार ने जब 59 चीनी ऐप्स को बैन किया था, तब उसने देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को इन ऐप्स से ख़तरा बताया था. उस समय केंद्र सरकार ने बैन के पीछे इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000 के सेक्शन 69 A का हवाला दिया था. इस सेक्शन में बताया गया है कि पब्लिक द्वारा किसी भी कंप्यूटर रिसोर्स के ज़रिए जानकारी एक्सेस करने पर केंद्र सरकार या उसके विभाग रोक लगा सकते हैं. अगर इस प्रतिबंध का पालन नहीं होता है तो 7 साल तक का कारावास और जुर्माना देना पड़ सकता है.
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