सेक्स एजुकेशन: ऐसा शो जो सेक्स पर बिना झिझक, खुलकर बात करता है

04:20 PM Mar 07, 2022 |
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सेक्स. यह शब्द भरी महफ़िल में बोलिए. कितनों के नाक मुंह टेढ़े हो जाएंगे. ऐसा देश जहाँ वात्स्यायन ने कामसूत्र लिखा. जिसके पुरखों ने खजुराहो (Khajuraho) में यौन क्रियाओं की मूर्तियाँ उकेरीं. उस देश ने सेक्स शब्द को ही टैबू बना दिया.ख़ूब सेक्स (sex) किया, जनसंख्या बढ़ाई लेकिन उसके बारे में कभी बात नहीं की.

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भारत में सेक्स को लेकर बहुत भ्रांतियां हैं. अशिक्षा है. सेक्स से जुड़ी समस्याएं यहाँ 'गुप्त' रोग हैं. उनकी बात करना गुनाह है. यहाँ तक कि पति-पत्नी भी इसके बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते. जिसके चलते आपसी खटास जन्मती है. डिवोर्स होते हैं. सेक्स इच्छाएं दब जाती हैं. जो गुस्सा, स्ट्रेस और डिप्रेशन बनकर फूटती हैं.

हम सबसे युवा देश हैं. यहाँ सेक्स और उससे जुड़ी समस्याओं को एड्रेस किया जाना चाहिए. उन पर खुलकर बात होनी चाहिए. भारत को यौन पुनर्जागरण की ज़रूरत है. इसका पहला स्टेप है सेक्स एजुकेशन. और एजुकेशन का सबसे अच्छा माध्यम है, एंटरटेनमेंट.

नेटफ्लिक्स (Netflix) पर ऐसा ही एक एंटरटेनिंग ब्रिटिश शो है, सेक्स एजुकेशन (Sex Education).



सेक्स एजुकेशन नेटफ्लिक्स का शो

सेक्स एजुकेशन के तीन सीज़न अब तक रिलीज़ हो चुके हैं. सीज़न दर सीज़न शो कमजोर होता गया है. तीसरा सीज़न सबसे कमजोर है. लेकिन कुछ सीन और डायलॉग कमाल बन पड़े हैं. यह ऐसा शो है, जिसे भारत में हर व्यक्ति को दिखाया जाना चाहिए. खासकर स्कूलों में.

हालाँकि यह एक फैमिली शो है. लेकिन भारत में ऐसा कहना पाप है. पहले-पहल तथाकथित रूढ़िवादी प्रबुद्धजनों को शो अश्लील लग सकता है. पर जैसे-जैसे इसके मर्म को भापेंगे, यह मनोरंजक होने के साथ गम्भीर और कथ्यपरक होता जाएगा.शो सेक्स एजुकेशन से इतर भावनाओं, रिलेशनशिप, समलैंगिकता (homosexuality) और उससे जुड़ी तमाम समस्याओं की पड़ताल करता है.

तो अभी शो के तीसरे सीज़न के दो सीन्स की बात करते हैं. आपने शो नहीं देखा, तो यह दो सीन आपको ऐसा करने पर मजबूर कर देंगे. इसकी गारंटी हम लेते हैं.

सेक्स एजुकेशन (Sex Education) का तीसरा सीज़न. तीसरा एपिसोड.



ओटिस और जेफरी(बायें से दायें)

एक बहुत छोटा सीन है. जिसमें रोलैण्ड और जेफरी नशा कर रहे होते हैं. दोनों बूढ़े हो चुके हैं. रोलैण्ड अपंग है और जेफरी भी कमजोर हो चुका है. दोनों वीड का रोल बनाकर फूंक रहे हैं. सोफे पर रोलैण्ड की बेटी रूबी और उसका दोस्त ओटिस है. ख़ैर यह सब बताने की ज़रूरत नहीं है. मुद्दे पर आते हैं.

जेफरी बताता है कि उसका बिल्ला जोनाथन एक दुर्घटना में नहीं रहा. तब से उसकी पत्नी को हर समय सेक्स चाहिए. लेकिन वह अब पहले की तरह जवान नहीं रहा. इसके बाद ओटिस और जेफरी अपने घर के लिए पैदल ही निकलते हैं.

ओटिस, जिसकी माँ सेक्स थेरिपिस्ट हैं. उन्हीं से प्रेरित होकर कुछ दिन पहले तक चोरीछिपे स्कूल में सेक्स क्लीनिक चलाता था. जिसमें लोगों को सेक्स से जुड़ी समस्याओं पर सलाह देता था.

रोड पर टहलते हुए जेफरी से ओटिस कहता है, 'बिल्ले का सुनकर दुख हुआ.'

चूंकि जेफरी बता चुका है कि बिल्ले की मौत के बाद उसकी पत्नी को हमेशा सेक्स चाहिए. ओटिस आगे कहता है,


'काम इच्छा या लेबिडो में बदलाव, दुख का एक साइड इफेक्ट है और कुछ लोगों के लिए सम्भलने का तरीका भी.'

जेफरी बताता है:


'मैं और सिंथिया कभी बच्चे नहीं पैदा कर पाए. उसे बच्चे चाहिए थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका. इसलिए जोनाथन हमारे बेटे जैसा ही था. मुझे लगा था वो उसके बिना टूट जाएगी. पर इसका उल्टा हुआ, वो रोई तक नहीं.'

ओटिस कहता है:


'दुख हर किसी को अलग तरह से तोड़ता है. शायद यही वजह है कि आपकी पत्नी हर समय आपके करीब रहना चाहती है. ताकि दुख को भुलाया जा सके.'

जेफरी कहता है:


'हाँ शायद...तुम तो बच्चे के जिस्म में एक बूढ़े आदमी हो.'

ओटिस हँसते हुए जवाब देता है,


'हाँ, बहुत सारे लोग मुझे ऐसा ही कहते हैं.'

इस सीन पर गौर करेंगे. तो पाएँगे इसमें कितना कुछ है. सेक्स को लेकर जागरूकता है. भावनाएँ हैं. एक छोटा बच्चा बड़े को समझा रहा है. सीन में बुढ़ापे के सेक्स इश्यूज को एड्रेस किया गया है.और भी बहुत कुछ . यह सीरीज ऐसे कई दृश्यों से भरी पड़ी है. सबको देखनी चाहिए. ख़ासकर नौजवानों को.

अब एक ऐसे सीन की बात करते हैं, जो टीन एज रिलेशनशिप की मैच्योरिटी को दिखाता है.



ओटिस की गर्लफ्रैंड मेव.

'सो दिस इज़ गुड बाय' 'नो, इट्स सी यू सून'

तीसरा सीजन. लास्ट एपिसोड. सेकंड लास्ट सीन. या लास्ट भी कहा जा सकता है.

मेव आज ओटिस से मिलने आयी है. ओटिस ख़ुश है. उसे नहीं पता कि यह रिश्ता एक लम्बा ब्रेक लेने जा रहा है. यह मुलाक़ात, लंबे अवकाश के पहले की आख़िरी मुलाक़ात है.

प्रसन्न मन से ओटिस मेव से मिलने के लिए ट्री हाउस से उतरता है. जहां उसका बेस्ट फ्रैंड एरिक भी है.

वह मेव से पूछता है:


'तुम यहाँ कैसे?'

प्रेम अभिवादन के बाद मेव बताती है कि उसने अपना इरादा बदल लिया है. ओटिस की आँखों में प्रश्न है. मेव की आँखों में प्रसन्नता और दुख का शरबत. मेव बताती है:


'आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जा रही है. पैसों का इंतज़ाम हो गया है.'
'मैं जानती हूँ, क्लिनिक में तुम्हें मेरी ज़रूरत नहीं है. वह तुम्हारा हुनर है.'

ओटिस की आँखों में आँसू हैं. वेदना और उलाहने भरे स्वर में वह पूछता है:


'और हमारा क्या मेव?'

मेव अपनी वेदना छुपाते हुए कहती है:


'मेरे वापस आने पर देखेंगे. हमारा रिश्ता कहाँ खड़ा है. हम इस रिश्ते में कहाँ हैं.'

अपना सब दुःख समेटकर ओटिस मेव का हाथ थामते हुए कहता है:


'मुझे तुम पर नाज़ है.'
'तो अब यह अंतिम विदा है ना. गुड बाय कहें?'

मेव उसे अधिकार से रोकती हुई कहती है:


'नहीं बिल्कुल नहीं.'
'यह तो जल्द ही मिलने की प्रतीक्षा है. सी यू सून कहो.'

दोनों गले मिलते हैं. और ऑल द बेस्ट कहकर अवकाश के पहले की अंतिम मुलाक़ात ख़त्म करते हैं.

यह सीन कितना परफेक्ट है. इसमें कितना कुछ है. बड़ों के लिए और ख़ासकर किशोरों के लिए. मेव के संवादों में कितनी परिपक्वता है. दोनों की अंडरस्टैंडिंग कमाल है. भावनाओं का ज्वार है. एक हेल्दी रिलेशनशिप के क्या मायने हैं, यह सीन बख़ूबी उजागर करता है.

पूरी सीरीज़ ऐसे ही तमाम सीन्स से भरी पड़ी है. सेक्स एजुकेशन रत्नों की खान है. अब यह हमारे ऊपर है, हम उससे कौन-सा रत्न चुनना चाहते हैं!

सेक्स एजुकेशन (Sex Education) के अलावा स्कूल के माहौल. पढ़ाई के तौर-तरीके. टीचर-स्टूडेंट रिलेशनशिप. उनका आपसी व्यवहार. बूढ़े होते माँ-बाप और किशोर होते बच्चों के बीच के सम्बंध. उनको मजबूत और हैंडल करने के तरीके. शो ऐसे ही अनेक मुद्दों को छूता है.

सेक्सुअल डाइवर्सिटी को इतने अच्छे तरीके से एक्स्प्लोर कर पाना, बिना किसी ज्ञान के, बहुत बड़ी बात है.इसके लिए मेकर्स की तारीफ़ बनती है. यह एक डायलॉग इस शो के मयार को बताने के लिए काफ़ी है:


'किसी रिश्ते को आप इंजीनियर नहीं कर सकते. किसकी तरफ़ अट्रैक्ट होना है, आप यह चुन नहीं सकते.'



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