रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (crude oil) की कीमतें 139 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं. रविवार, 6 मार्च को तेल की कीमतों ने पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ दिया. ये कीमतें अभी और भी बढ़ने का अनुमान है क्योंकि अमेरिका और उसके सहयोगी देश जल्द ही रूस से आने वाले कच्चे तेल पर बैन लगाने वाले हैं.
शनिवार, 5 मार्च को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने अमेरिकी सांसदों को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया था. इस दौरान जेलेंस्की ने अमेरिका और नाटो (NATO) देशों से ये मांग की थी कि रूस को कमजोर करने के लिए उन्हें रूस से आने वाले कच्चे तेल पर भी बैन लगा देना चाहिए. बड़ी संख्या में अमेरिकी सांसदों ने जेलेंस्की का समर्थन किया था. ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट की एक खबर के मुताबिक अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने ये घोषणा भी कर दी है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस से आने वाले कच्चे तेल को बैन करने पर विचार कर रहे हैं.
एंटनी ब्लिंकन की इस घोषणा के अगले दिन यानी 6 मार्च को कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गईं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड तेल (Brent Crude) की कीमत में 9% और अमेरिका के वेस्ट टेक्सास इंटरमीडीएट तेल (WTI) की कीमत में 9.4% का इजाफा हो गया. जिस वजह से ब्रेंट की कीमत 129 डॉलर प्रति बैरल और WTI की कीमत 126.51 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई. इससे पहले जुलाई 2008 में भी कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया था, उस वक्त ब्रेंट की कीमत 147.50 डॉलर प्रति बैरल और WTI की कीमत 146.27 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी.
रूस के खिलाफ एकजुट पश्चिमी देश
द इंडिपेंडेंट के मुताबिक इसी हफ्ते ब्रिटेन भी रूस से आने वाले तेल और गैस पर प्रतिबंध लगाने के बारे में फैसला ले सकता है. ब्रिटेन में इस बैन का पहले से ही लोग समर्थन करते दिख रहे हैं, रविवार, 6 मार्च को रूस से कच्चा तेल लेकर आए एक जहाज से ब्रिटिश कर्मचारियों ने तेल उतारने से मना कर दिया. पूरा यूरोप रूस पर तेल और गैस को लेकर निर्भर है. हालांकि, कई यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की है, लेकिन अभी तक उन्होंने क्रूड ऑयल पर कोई बैन नहीं लगाया है. रॉयटर्स के मुताबिक ब्रिटेन के अलावा कई अन्य देश भी इस बैन के बारे में विचार कर रहे हैं.
भारत में क्या हाल?
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगातार बढ़ रही है, लेकिन 7 मार्च तक इसका भारत पर कोई असर नहीं पड़ा. हालांकि, ये स्थिति ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहेगी. एक्सपर्ट्स के अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 7 मार्च को विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान होना है. विधानसभा चुनाव के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी इजाफा हो सकता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस बात की ओर इशारा करते हुए केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए अपने एक ट्वीट में लिखा,
"फटाफट पेट्रोल टैंक फुल करवा लीजिए. मोदी सरकार का 'चुनावी' ऑफर ख़त्म होने जा रहा है."
बतादें, भारतीय बाजार में दीपावली यानी नवंबर 2021 से पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव के कारण वैश्विक मार्केट में आसमान छू रहे कच्चे तेल के भाव का असर देशी बाजार पर जल्दी ही पड़ने वाला है.
वीडियो: अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल महंगा होते ही, कंपनियां ग्रीन एनर्जी पर क्यों बात करने लगती हैं?