"सभ्यता जो है, वो खाखरा है. नाज़ुक, कमज़ोर. तुमने सिगरेट जलाई या गाली दी.." अौर खाखरा टूट जाता है.
Advertisement
हमारे माननीय सेंसर बोर्ड के कारनामे आजकल 'फिर' सुर्खियों में हैं. फिल्म 'उड़ता पंजाब' में पतित पावनहिस्सों की इंच-इंच लम्बाई नापकर उन्होंने बता दिया है कि 73 प्रतिशत फिल्म एकदम पवित्तरहै. लेकिन यहां पहली लाइन में लिखा 'फिर' याद रखना ज़रूरी है, क्योंकि अध्यक्ष पहजान निहलाणी की सरपरस्ती में दिन दुगुनी रात चौगुनी प्रसिद्धि पा रहा सेंसर बोर्ड पहले भी ऐसी करामातें करता रहा है. सालों तक हम सिनेमा के परदे पर चुंबन के नाम पर दो फूलों का आपस में टकराना देखते रहे, क्योंकि सेंसर बोर्ड में बैठे चंद समझदारों ने मान लिया था कि परदे पर दो इंसानों को किस करते दिखाना अश्लीलहोता है.
एंटी-स्मोकिंग वार्निंग ने श्रीयुत मुकेश हराने को सिनेमाहाल का सबसे जाना पहचाना चेहरा बना दिया. सिनेमा अौर स्पंज का कनेक्शन ऐसा जुड़ा कि फिल्मों का मज़ा निचुड़ गया उस स्पंज में. अौर हर स्मोकिंग सीन पर वॉटर मार्क, जो हेल्थ मिनिस्ट्री के रूल की वजह से आने लगा, वो तो अद्भुत है. जहां आदमी सिगरेट पीकर मर रहा है, वहां भी लिखा आता है कि 'सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है'. कितना कल्पनाशील! वैसे इस कल्पनाशीलता का जवाब एक बार मकरंद देशपांडे जी ने दिया था जब अपनी फिल्म में हुक्का पीते हुए उन्होंने नीचे लिखवा दिया था कि ये तम्बाकू नहीं, जड़ी-बूटियां हैं!
ऐसे ही कायदों से थककर-पककर मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री के कुछ क्रियेटिव माइंड्स ने बनाया था ये वीडियो, 'shit indian censors say'. इसमें वो सब दर्ज किया, जो हमारा सेंसर बोर्ड फिल्ममेकर्स को बीते सालों में बोलता रहा है. सुनने में ये कितना फनी लगता है, लेकिन गौर से सुनिए तो ये सब सच बातें हैं. ये भी देखिए कि पहलाज निहलाणी साहब के आने से पहले के इस वीडियो को जीती-जागती सच्चाई बनाने में, अौर एक्सट्रीम पर पहुंचाने में निहलाणी जी किस जी जान से जुटे हुए हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=oKCeb21FDO4वीडियो को डाइरेक्ट किया है यंग फिल्ममेकर मिहिर देसाई ने. 'जिया हो बिहार के लाला' अौर 'मोह मोह के धागे' जैसे गीत लिखने वाले स्टैंड अप कॉमेडी आर्टिस्ट वरुण ग्रोवर इसके राइटर हैं. वीडियो में दिखते भी हैं खूंसट बोर्ड मेम्बर बने हुए. अौर ऋचा चढ्ढा भी हैं इसमें, 'इंडियन कल्चर' की रक्षा करती हुईं! इसके अलावा 'कहानी' अौर 'जब तक है जान' जैसी फिल्मों से जुड़ी बॉलिवुड सिनेमा की चर्चित एडिटर नम्रता राव भी इसमें दिखाई देती हैं. अौर हैं कार्तिक कृष्णन. हमारे हीरो!