'लोग आश्चर्य करते थे और खुद पर भी संदेह होने लगा था, लेकिन इरफ़ान भाई ने हमेशा मुझसे एक ही लाइन कही- अपना टाइम आएगा. मैं धीरे-धीरे इरफ़ान भाई और यूसुफ़ भाई के करीब होता गया. उन्होंने मुझे शांत रहना सिखाया, मुझे शांत रहने की ताकत का कराया. जब आप युवा होते हैं तो बेचैनी स्वभाविक है और मैं कोई अपवाद नहीं था. इससे मेरे खेल को नुकसान हो रहा था. कई मौकों पर मैं चीज़ों को बार बार करने के लिए कुछ ज्यादा ही प्रयास करने लगता था. जिसकी जरूरत नहीं थी.'
'मुझे याद है कैसे इरफ़ान भाई ने मुझे तैयारी और प्रोसेस को फॉलो करने के महत्व के बारे में बताया था. एक ही चीज़ को बार-बार करना, बिना किसी से कुछ भी उम्मीद लिए. चाहे वो गेम सेशन की बात हो या नेट में ट्रेनिंग करने की. साथ ही एक स्ट्रिक्ट डाइट फॉलो करना. मैंने हमेशा एक अच्छी कार्य नीति बनाए रखी जिसका मुझे फल मिला है.'इसके बाद हूडा ने उस घटना के बारे में भी बताया जब बरोडा की टीम के लिए खेलते हुए अपने ही टीम के खिलाड़ी कृणाल पंड्या से उनकी झड़प हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने बरोडा टीम छोड़ राजस्थान की टीम को ज्वाइन कर लिया था. हूडा ने कहा,
'मैंने काफी उतार चढ़ाव देखे और जो बरोडा में हुआ वो तो सबको पता ही है. मैं पिछले साल दूसरे स्टेट की टीम के साथ जुड़ा. वो एक नया सफर था लेकिन राजस्थान की टीम ने मेरा स्वागत किया. शुरू में मुझे कोई जवाब ही नहीं मिला कि मुझे क्यों चुना गया, फिर क्यों ड्राप कर दिया गया. वह काफी मुश्किल समय था. मैं जानना चाहता था मुझे क्यों नहीं खिलाया जा रहा. मैं टीम में खेलना चाहता था.'हूडा ने पूर्व भारतीय कोच अनिल कुंबले की भी तारीफ की जो IPL में हूडा के कोच थे. हूडा ने कहा,
'मैं अनिल भाई का भी शुक्रिया करना चाहूंगा क्योंकि पंजाब ने मुझे दो IPL में मौका दिया. वहां लोगों को लगा कि मुझमे अभी भी कुछ बाकी है.'हूडा के IPL करियर की बात करें तो वो 80 मैच खेल चुके हैं जिनमें उनके नाम 129.54 की स्ट्राइक रेट से 785 रन हैं. इसके अलावा हूडा के नाम 9 विकेट भी हैं. बताते चलें की भारत और वेस्ट इंडीज की लिमिटेड ओवर सीरीज़ 6 फरवरी से शुरू हो रही है. सीरीज़ में तीन वनडे और तीन T20 मैच खेले जाने हैं.
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