'मैं व्यक्तिगत रूप से हैरान था कि विराट ने कप्तानी छोड़ दी. क्योंकि जब भी हमारे बीच बात होती थी तो उनमें देश को लीड करने का एक जुनून नज़र आता था. वो चाहते थे कि भारत वर्ल्ड क्रिकेट में एक प्रमुख शक्ति बने और मुझे लगता है कि उन्होंने इसके लिए एक अद्भुत नींव भी रखी. मुझे पर्सनली ऐसा लगता है कि विराट के पास भारतीय टीम की कप्तानी के लिए अभी दो साल और थे.'अरुण का मानना है कि भारतीय टीम की कप्तानी करना आसान काम नहीं. जब आप कप्तान के तौर पर मैदान में होते हैं तो आपका दिमाग हर समय चलता रहना चाहिए. साथ ही किसी भी खिलाड़ी में बतौर कप्तान तुरंत फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए. अरुण का मानना है कि इस मामले में पूर्व कप्तान एमएस धोनी सबसे बढ़िया थे, लेकिन विराट भी कम नहीं हैं. अरुण ने कहा,
'मैंने एमएस धोनी को करीब से देखा है, उनसे ज्यादा शांत दिमाग किसी के पास नहीं हो सकता. अगर आपके पास ऐसा दिमाग है जो कूल है, खेल के जोड़-भाग को समझता है. तो ऐसे में एक झटके में डिसीजन लेना आसान हो जाता है. क्योंकि डिसीजन डायनामिक भी होना चाहिए. आपको तुरंत फैसले लेने होते हैं. प्राइम मिनिस्टर के बाद ये देश का सबसे मुश्किल काम है. इसलिए मुझे लगता है जिसमें ये प्रेशर झेलने की क्षमता है उसे ही कप्तान होना चाहिए.'
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