'दिल्ली पहुंचने में दो से ढाई घंटे लगते थे. हफ्ते में तीन बार जाना होता था. सुनीता शर्मा की क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस करता था. हमेशा ये डर लगा रहता था कि कोई ट्रेन की चेन न खींच दे. मेरे पिता मेरे लिए ओवर टाइम करते थे. 'बता दें कि सौरभ के सफर में भारत के पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी का भी बड़ा योगदान रहा. बिशन सिंह बेदी ने सौरभ के टैलेंट को पहचाना और उन्हें बेहतर खिलाड़ी बनाने में मदद की. उत्तर प्रदेश के लिए जूनियर क्रिकेट खेलने के बाद सौरभ के लिए रणजी टीम में जगह बनाना आसान नहीं था. ऑलरेडी यूपी टीम में कई दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे. सौरभ आर्थिक तौर पर मजबूत भी नहीं थे. इसलिए उन्होंने इंडियन एयर फोर्स में नौकरी ली. और सर्विसेज की तरफ से खेलने का फैसला किया. सौरभ ने 2014-15 रणजी सीजन में सर्विसेज के लिए खेलते हुए 17 विकेट झटके और बल्ले से 304 रन का योगदान दिया. सौरभ टीम के दूसरे लीडिंग विकेटटेकर रहे. अगले सीजन वापस उत्तर प्रदेश लौटे. उन्हें यूपी रणजी टीम में जगह मिली. यूपी के लिए डेब्यू करते हुए अपने पहले ही मैच में सौरभ ने गुजरात के लिए 10 विकेट झटके. फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जब सौरभ से कैरम बॉल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा,
'मैं ये कैरम-वैरम बॉल नहीं डालता. मुझे कभी पसंद नहीं आया. मैं बस बल्लेबाज को सेट करके फंसाता हूं.'बताते चलें कि सौरभ ने पिछले रणजी सीजन यानी 2019-20 में 21 के ऐवरेज से 44 विकेट झटके थे. 2018-19 में सौरभ ने 17.74 के ऐवरेज से 51 विकेट हासिल किये. शानदार प्रदर्शन की वजह से सौरभ को पिछले साल साउथ अफ्रीका दौरे पर इंडिया ए टीम में जगह मिली. और अब टीम इंडिया की टेस्ट टीम में चुन लिए गए हैं. ओवरऑल क्रिकेट करियर की बात करें तो सौरभ ने 46 फर्स्ट क्लास मैच में 1572 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 2 शतक और 8 अर्धशतक भी लगाए. गेंदबाजी में सौरभ ने 196 फर्स्ट क्लास विकेट लिए हैं. जिसमें 16 बार एक पारी में पांच विकेट और छह बार 10 विकेट लेने का कारनामा कर चुके हैं.
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