IAS के क्वेश्चन पेपर में इस बार ऐसा क्या हो गया कि भसड़ मची पड़ी है?

04:38 PM Oct 05, 2020 |
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The sheer suddenness of the move! The unexpected nature of the move! The unpredictability of the move!
ये अल्फ़ाज़ एक न्यूज एंकर के मुंह से निकलकर मीम मटीरियल बन गए. और अब यही अल्फ़ाज़ संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) की आईएएस (IAS) परीक्षा के प्रीलिम्स 2020 के पेपर पर भी फिट किए जा रहे हैं.
क्यों? वैसे तो सिविल सर्विसेज़ एग्ज़ाम हमेशा ही काफ़ी अनप्रेडिक्टेबल रहता है, मगर इस बार का पेपर देखकर “you are a good question but your question hurt me” वाला हाल है. पेपर देने वाले तो हैरान परेशान हुए ही, UPSC ने पेपर में एक लोचा और कर दिया. ट्रांसलेशन में गच्चा खा गए. एक क्वेश्चन में गड़बड़ कर दी. इसी को लेकर बवाल हुआ पड़ा है.
क्या झोल हुआ ट्रांसलेशन में?
आईएएस का पेपर हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में छपता है. पेपर इंग्लिश में ही सेट किया जाता है. इसका अनुवाद हिन्दी में करके दूसरी तरफ छापा जाता है. मगर अक्सर ट्रांसलेशन में गड़बड़ी हो जाती है, जो फजीहत की वजह बनती है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ.
UPSC ने Civil Disobedience Movement (सिविल डिसओबिडिएन्स मूवमेंट) का अनुवाद असहयोग आंदोलन लिख दिया. जबकि ये दोनों चीजें अलग-अलग हैं. Civil Disobedience Movement को हिन्दी में सविनय अवज्ञा आंदोलन कहते हैं. असहयोग आंदोलन में ब्रिटिश-शासित भारत में जनता ने सरकार का सहयोग बंद कर दिया था. वहीं सविनय अवज्ञा आंदोलन में जानबूझकर ब्रिटिश सरकार के बनाए हुए नियम तोड़े जा रहे थे.

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UPSC सिविल परीक्षा प्री-एग्ज़ाम मे ट्रांसलेशन की गड़बड़ी. (फ़ोटो: The Lallantop/ Mohammad Faisal)

इंग्लिश पर इतना जोर क्यों?
UPSC के सिविल सर्विस एग्ज़ाम के नोटिफ़िकेशन के तहत अगर ट्रांसलेशन को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत आती है तो इंग्लिश वाला सवाल सही माना जाएगा. आन्सर भी उसी हिसाब से निकलेगा. ऐसा ही नियम SSC और दूसरे एग्ज़ाम में भी है. सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों ने सवाल उठाए कि हिन्दी-भाषी लोगों के साथ ऐसा क्यों? क्योंकि ये तो जरूरी नहीं कि एग्ज़ाम देने वाले हर क्वेश्चन को हिन्दी में पढ़ने के बाद इंग्लिश में पढ़कर उसकी जांच करते रहें. ट्विटर पर इसे लेकर यूजर्स ने कमेंट किए- खेती-बाड़ी ज्यादा, करंट अफेयर्स आउट
बात सिर्फ ट्रांसलेशन में गड़बड़ी की नहीं है. वैसे तो सिविल का पेपर कभी एक जैसा नहीं आता. कभी पेपर हिस्ट्री के क्वेश्चन से भरा होता है तो कभी पॉलिटी के क्वेश्चन ज्यादा होते हैं. हमने इस बार का पेपर देखा तो उसमें एग्रीकल्चर के सवालों की भरमार थी. MSP और फ़सल से जुड़े सवालों के साथ-साथ पर्यावरण और वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के ऊपर भी खूब सवाल पूछे गए. इसे लेकर ट्विटर पर लोगों ने मजे लिए. इसके साथ ही क्वेश्चन पेपर से मध्यकालीन इतिहास गायब रहा. मगर सबसे ज़्यादा हैरत वाली चीज़ ये रही कि करंट अफेयर्स से कुल 3-4 सवाल ही आए. ट्विटर पर भी लोगों ने ये पॉइंट उठाया और मीम शेयर किए. UPSC यानी अनप्रेडिक्टेबल सर्विस कमिशन?
मगर कुछ लोगों ने इसे UPSC की खासियत भी बताया. कहा कि UPSC को अनप्रेडिक्टेबल सर्विस कमिशन ऐसे ही नहीं कहते. एक साहब कहते हैं कि कमीशन हर 3-4 साल में पेपर का ट्रेंड बदल देता है. जिसको ये बात समझ आ गई, उसकी नय्या पार लग गई. बहरहाल, पेपर देने वाले ज़्यादातर उम्मीदवारों ने इस क्वेश्चन पेपर को एवरेज से ज़्यादा टफ बताया. कुछ तो अंदाज़ा भी लगाने लग गए हैं कि इस बार कट-ऑफ कम ही जाएगी.


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