क्या है मामला?
18 साल के सिद्धांत बत्रा ने इस साल JEE (एडवांस्ड) की परीक्षा में ऑल इंडिया में 270वीं रैंक हासिल की थी. सिद्धांत को प्रतिष्ठित IIT बॉम्बे में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के लिए सीट भी मिल गई. लेकिन यहां अपनी सीट रिजर्व करते समय उनसे एक गलती हो गई. उन्होंने एक गलत लिंक पर क्लिक कर दिया. सिद्धांत ने जिस लिंक पर क्लिक किया, वो सीट पर अपना दावा छोड़ने के लिए था. अब सिद्धांत ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन डालकर मानवीय आधार पर एडमिशन की मांग की है.
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IIT का कहना है कि सारी सीट भर गई हैं, इसलिए अब कुछ नहीं हो सकता. ( फोटो- IIT Bombay फेसबुक पेज)
IIT ने क्या कहा था?
IIT पोर्टल पर नवंबर 2020 में जब स्टूडेंट्स की फाइनल लिस्ट आई, तो बत्रा का नाम उसमें नहीं था. IIT की ओर से बताया गया कि छात्रों को सचेत करने के लिए सीट छोड़ने की प्रक्रिया दो स्टेप की होती है. जो भी छात्र फाइनल राउंड ,े पहले सीट छोड़ना चाहते हैं, वो ऐसा कर सकते हैं. उनकी फीस वापस कर दी जाती है. जब एक बार छात्र सीट छोड़ देता है, तो फिर उसका दावा निरस्त कर दिया जाता है. अब सारी सीटें भर चुकी हैं, इसलिए अब कुछ नहीं किया जा सकता है.
सिद्धांत ने नवंबर की शुरुआत में बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी. 23 नवंबर को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद सिद्धांत बत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मानवीय आधार पर एडमिशन देने की मांग की है. पिटीशन में कहा गया है कि आगरा के रहने वाले सिद्धांत के पिता की कई साल पहले मौत हो गई थी. मां ने अकेले उन्हें पाला. दो साल पहले मां का भी निधन हो गया. उसके बाद सिद्धांत ने दादा-दादी के यहां रहकर JEE की तैयारी की. कड़ी मेहनत की. रैंक भी हासिल कर ली, लेकिन एक गलती भारी पड़ रही है. देखना अब ये है कि सुप्रीम कोर्ट सिद्धांत की गुहार पर क्या फैसला लेता है.
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