पहले स्टेज की परीक्षा में लग गए तीन साल
रेलवे ने फरवरी 2019 में 'नौकरियां ही नौकरियां' वाला विज्ञापन निकाला. NTPC में 35208 पोस्ट की वैकेंसी. परीक्षा के जरिए रेलवे में क्लर्क, टिकट क्लर्क, गुड्स गार्ड, स्टेशन मास्टर, जूनियर क्लर्क सह टाइपिस्ट, कमर्शियल क्लर्क सह टाइपिस्ट जैसे पदों पर भर्ती होती है. इस परीक्षा में तीन स्टेज हैं. पहले दो स्टेज में कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट (CBT) होते हैं. जिसमें बहुकविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं. इन्हें CBT-1 और CBT-2 कहते हैं. तीसरे स्टेज में इंटरव्यू होता है.यहां ये जानना भी जरूरी है कि NTPC में अलग-अलग लेवल के पदों के लिए एक साथ आवेदन लिया जाता है. इन्हें पे ग्रेड के आधार पर लेवल 2, 3, 4, 5, 6 में बांटा गया है. इसमें कुछ पद ग्रेजुएशन लेवल और कुछ पद 12वीं (10+2) लेवल के होते हैं.
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फरवरी 2019 में RRB द्वारा 35208 पदों के लिए जारी नोटिफिकेशन
NTPC के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 1 करोड़ 26 लाख के लगभग थी. जून और सितंबर 2019 के बीच CBT-1 की परीक्षा आयोजित होनी थी. लेकिन नहीं हुई. 2019 बीता, 2020 भी बीत गया. परीक्षा पूरी हुई अगस्त 2021 में जाकर. वो भी दर्जनों राउंड के विरोध प्रदर्शन के बाद. परीक्षा के बाद CBT-1 का रिजल्ट आया 15 जनवरी 2022 को. जिसके बाद परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर हल्ला बोल दिया.
समस्या क्या है?
परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों का आरोप है कि RRB ने नोटिफिकेशन में कुल पदों के सापेक्ष 20 गुना अभ्यर्थियों को CBT-1 में सेलेक्ट करने की बात कही थी. लेकिन रिजल्ट जारी किया तो ऐसा न करके एक अभ्यर्थी के रोल नंबर को ही कई बार सेलेक्ट कर लिया. परीक्षा में शामिल एक अभ्यर्थी लाहरी ने दी लल्लनटॉप से बात करते हुए कहा,रेलवे ने रिक्त पदों का 20 गुना (यानी लगभग 7 लाख) अभ्यर्थियों को लेने के बजाय 20 गुना रोल नंबरों को CBT 2 के लिए क्वलिफाई कर दिया है. रिजल्ट जारी होने के बाद ये सामने आया कि जो उम्मीदवार क्वालिफाइड हैं, उनमें से कई के रोल नंबर एक से ज्यादा बार काउंट किए गए हैं.रेलवे की मंशा पर सवाल उठाते हुए एक और अभ्यर्थी आबिद कहते हैं,
CBT-2 में एक अभ्यर्थी चार या पांच पोस्ट के लिए सेलेक्ट हुआ है. ऐसे में जब एक अभ्यर्थी को चार या पांच पोस्ट के लिए फाइनल सेलेक्शन मिल जाएगा तो फिर रेलवे किसे पोस्टिंग देगा? क्योंकि अभ्यर्थी तो एक ही है, इसलिए एक ही पोस्ट के लिए जॉइन कर पाएगा और बाकी पोस्ट खाली रह जाएगी. तीन साल से इन्होंने भर्ती अटका रखी है. दरअसल इन्हें पूरी पोस्ट ही नहीं भरनी है.
ग्रेजुएशन और 10+2 के लिए एक ही परीक्षा
ग्रेजुएशन और 10+2 लेवल के लिए एक ही तरह की परीक्षा आयोजित करने पर भी सवाल उठ रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर पेपर 10+2 लेवल का था तो जाहिर सी बात है फायदा ग्रेजुएशन वाले को होगा. एक अभ्यर्थी शैलेश कुमार कहते हैं,आप कहते हो सब नोटिफिकेशन के हिसाब से हो रहा है. लेकिन आपने नोटिफिकेशन में तो ये भी कहा था कि परीक्षा 2019 में ही होगी और परीक्षा आप 2021 में ले रहे हैं, रिजल्ट 2022 में दे रहे हैं, उसका क्या? क्यों आपने 2 साल बर्बाद किए बच्चों के? जब इन्होंने फॉर्म भरवाया था तब मेरा ग्रेजुएशन का फाइनल रिजल्ट नहीं आया था, जिसके कारण मुझे 10+2 लेवल के पदों पर ही फॉर्म डालना पड़ा था.अभ्यर्थियों का कहना है कि जब ग्रेजुएशन और 10+2 लेवल के पदों के लिए एक कॉमन परीक्षा ली गई तो कट ऑफ भी कॉमन ही दी जानी चाहिए थी. लेकिन कट ऑफ प्रारंभिक परीक्षा के बाद ही पोस्ट वाइज दे दी गई है. इससे 10+2 के छात्रों के पदों पर भी स्नातक छात्रों का कब्जा हो गया है. जबकि ये प्रोसेस मुख्य परीक्षा (CBT-2) के बाद होना चाहिए था न कि प्रारंभिक परीक्षा (CBT-1) के बाद.
अब जब रिजल्ट आया है तो ग्रेजुएशन वालों का कट ऑफ अलग है और 10+2 वालों का अलग है. इनके अलग-अलग कट ऑफ़ के चलते हम 10+2 वाले तो बर्बाद हो गए. जब पेपर अलग-अलग होता है तो बारहवीं और ग्रेजुएशन के पदों का कट ऑफ़ अलग-अलग हो समझ में आता है (जैसा की ये मुख्य परीक्षा में करने वाले हैं), लेकिन समान पेपर के लिये अलग-अलग कट ऑफ़ तो 10+2 पदों के बच्चों के लिये सरासर नाइन्साफी है.
नॉर्मलाइजेशन पर सवाल
अभ्यर्थियों ने परीक्षा में किए गए नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं. नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया उन परीक्षाओं में लागू होती है जो कई दिनों तक चलती हैं. जैसे कोई परीक्षा अगर चार दिन तक आयोजित होती है तो चारों दिन अभ्यर्थियों को अलग-अलग प्रश्न पत्र दिया जाता है. परीक्षा का लेवल हर पारी में और हर दिन अलग-अलग होता है. हो सकता है कि किसी दिन का पेपर सरल हो और किसी दिन का कठिन. ऐसे में जिस दिन का पेपर सरल था उस दिन परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के सेलेक्ट होने का चांस बढ़ जाता है, और जिस दिन का पेपर कठिन हो उस दिन परीक्षा देने वालों का चांस घट जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को फॉलो किया जाता है.दो कैंडिडेट्स के स्कोरकार्ड का स्क्रीनशॉट. पहले में रॉ स्कोर 52 है और नॉर्मलाइज्ड स्कोर 71. जबकि दूसरे में रॉ स्कोर 60 होने के बाद भी नॉर्मलाइज्ड स्कोर 63 ही है.
नॉर्मलाइजेशन होने के बाद कुछ अभ्यर्थियों के नंबर बढ़ जाते हैं तो कुछ के घट जाते हैं. NTPC की परीक्षा में एक करोड़ 26 लाख अभ्यर्थी थे. इस वजह से ये काफी लंबा चला. इसलिए इसमें नॉर्मलाइजेशन भी हुआ. जिसकी वजह से अभ्यर्थियों में काफी रोष भी है. परीक्षा में शामिल मृदुल बताते हैं,
बोर्ड ने किस प्रकार से नॉर्मलाइजेशन किया ये भी स्पष्ट नहीं है. क्योंकि कुछ उम्मीदवारों के एक समान रॉ स्कोर होने के बावजूद नॉर्मलाइज्ड स्कोर अलग-अलग हैं. किसी के बहुत ज्यादा और किसी के बहुत कम नंबर हैं. जो की समझ से परे है. और इस वजह से बहुत से अभ्यर्थी कट ऑफ क्रॉस करने में कुछ नंबरों से रह गए हैं.
लेट-लतीफी
साल 2019 के फरवरी महीने में RRB NTPC की वैकेंसी आई थी. फेज-1 का रिजल्ट आने में तीन साल लग गए और अभी भी आगे के कई फेज बचे हुए हैं. उम्मीदवारों का ये भी कहना है कि बहुत से अभ्यर्थी इस लेट-लतीफी के कारण ओवरएज हो गए हैं. उनका कहना है कि रेलवे बोर्ड को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि कब कौन से चरण की परीक्षा होगी और भर्ती प्रक्रिया कब तक पूरी होगी. मृदुल बताते हैं,भर्ती बोर्ड ने प्रक्रिया को छह महीने में पूरा कर लेने की बात की थी और सेलेक्टेड उम्मीदवारों को जॉइनिंग देने की बात भी जल्द से जल्द कही गई थी. लेकिन तीन साल बीत गए और परीक्षा का पहला फेज अब जाकर पूरा हुआ है. अभी भी बाकी के फेज बचे हुए हैं.परीक्षा में शामिल एक और अभ्यर्थी अवनीश हमें बताते हैं,
पहले उम्मीदवारों ने परीक्षा की तारीख जारी करने के लिए धरना प्रदर्शन किया. फिर पहले फेज के रिजल्ट के लिए सोशल मीडिया पर प्रदर्शन किया गया. अगर ऐसा ही हर बार होता रहा तो वो हमारे लिए अच्छी बात नहीं है और ये सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है.
रेलवे बोर्ड ने क्या कहा?
रिजल्ट आने के बाद से ही RRB पर सवाल उठने लगे तो रेल मंत्रालय की ओर से जवाब भी आ गया. रेल मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बिंदुवार आपत्तियों पर जवाब दिया गया है.नोटिफिकेशन के पैरा 13.2 के अनुसार CBT 2 में प्रत्येक लेवल के लिए अलग परीक्षा होगी और CBT 1 में सभी के लिए समान परीक्षा होगी.
बोर्ड ने ये भी कहा कि नोटिफिकेशन में कहीं भी ये बात नहीं कही गई थी की 7 लाख अलग-अलग उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा, क्योकि CBT 2 में सभी लेवल (2, 3, 4, 5, 6, 7) के लिए अलग-अलग परीक्षा होती है तो एक उम्मीदवार को एक से अधिक पदों के लिए शॉर्टलिस्ट किया जा सकता है.
वहीं कट ऑफ काफी ऊपर होने के जवाब में बोर्ड ने कहा कि ये नॉर्मलाइज्ड स्कोर के आधार पर जारी की जाती है, जो कि कुल रिक्त पदों पर भी निर्भर करती है. इसका पूर्ण रूप से ध्यान रखते हुए CBT 1 का रिजल्ट भी उसी आधार पर जारी किया गया है.
हालांकि तीन साल से भर्ती पूरी होने के इंतजार में बैठे अभ्यर्थी रेल मंत्रालय के जवाब से असंतुष्ट हैं और अभी भी रिवाइज्ड रिजल्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं.
(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे प्रशांत ने की है.)
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