जापान पहले भी ओलंपिक खेलों की मेजबानी कर चुका है. 1964 में, टोक्यो में ही ओलंपिक गेम्स हुए थे. तब जापान ने दुनिया को अपनी शानदार टेक्नोलॉजी दिखाई. उनमें से एक थी बुलेट ट्रेन. ये बड़े पैमाने पर बुलेट का पहला प्रदर्शन था. इसके बाद बुलेट ट्रेन जापान की पहचान का हिस्सा बन गई.
अब एक बार फिर जापान ओलंपिक गेम्स की मेज़बानी कर रहा है. और इस बार भी यहां फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी का खूब इस्तेमाल हो रहा है. ऐसी टेक्नोलॉजी जो पहले कभी नहीं देखी गई. लेकिन भविष्य में इसका उपयोग आम बात होगी.
इन्हीं में एक ऐसा सिस्टम शामिल है, जिससे खिलाड़ियों की बहुत बारीक हरकतों को दर्ज किया जा रहा है. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इससे खिलाड़ियों की ट्रेनिंग में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे. ये टेक्नोलॉजी खेल का भविष्य बदलकर रख देगी. बात करेंगे कि आखिर ये क्या बवाल टेक्नोलॉजी है और इससे खेल का भविष्य कैसे प्रभावित होगा.
3D ट्रैकिंग एथलीट ट्रैकिंग सिस्टम
ओलंपिक में बहुत कुछ ऐसा घटता है जो हमारी आंखों के लिए पकड़ पाना बहुत मुश्किल है. लेकिन अब हर बारीक घटना का विश्लेषण देखा जा सकता है. इनसे जुड़े जटिल आंकड़े हमारे सामने होंगे. ये सब एक कमाल की टेक्नोलॉजी की बदौलत मुमकिन हुआ है, जिसका नाम है 3D एथलीट ट्रैकिंग सिस्टम. शॉर्ट फॉर्म, 3DAT.
कुछ कैमरे एथलीट्स की मूवमेंट रिकॉर्ड कर रहे हैं. 3DAT के ज़रिए इन खिलाड़ियों का 3D (थ्री डायमेंशन) ढांचा तैयार किया जाता है. और उनकी मूवमेंट से जुड़ी सटीक जानकारी सामने आ जाती है. इसके बाद थ्री डायमेंशन में उनके मूवमेंट को दिलचस्प ग्राफिक्स के साथ ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है.
टोक्यो ओलंपिक्स के लिए ये 3डी एथलीट ट्रैकिंग सिस्टम मशहूर टेक कंपनी इंटेल (Intel) ने बनाया है. इंटेल के साथ अलीबाबा और रेंच (WRNCH) जैसी कंपनी भी हैं. इंटेल के इस एथलीट ट्रैकिंग सिस्टम की खासियत एक उदाहरण से समझिए.
2019 के इवेंट में ओलंपिक 2021 में 3DAT के इस्तेमाल पर चर्चा करते इंटेल कंपनी के पदाधिकारी. (स्क्रीनशॉट- WRNCH के यूट्यूब वीडियो से साभार)
जो है देखा, वही देखा तो क्या देखा है!
100 मीटर रेस का एग्ज़ाम्पल लेते हैं. इस रेस में बहुत गौर से देखने पर कुछ बुनियादी चीज़ें तो नज़र आ जाती हैं, जैसे कि कौन आगे चल रहा है, कौन पीछे. लेकिन हम जटिल चीज़ें नहीं पता कर सकते.
इंटेल का 3DAT सिस्टम इस रेस का एक ‘हीट-मैप’ तैयार करता है. हीट-मैप यानी इसमें हर स्पीड को एक रंग में तब्दील कर दिया जाता है. हल्के रंग कम स्पीड दर्शाते हैं, और गाढ़े रंग ज़्यादा स्पीड.
3DAT स्पीड और एक्सिलेरेशन की सटीक वैल्यू दिखाता है. इससे देखा जा सकता है कि रेस में किस धावक ने कहां अपनी टॉप स्पीट हिट की. कब उसने एक्सीलिटरेट किया, यानी तेज़ी से स्पीड बढ़ाई. कब उसने डिसिलिरेट किया, यानी कब स्पीड घटाना शुरू किया. और बाकी धावकों की तुलना में किसने, कहां और क्या सही-गलत किया. आदि-इत्यादि.
ये ग्राफिकल डेटा दर्शकों का अनुभव तो बेहतर करते ही हैं, लेकिन इनका ज़्यादा झामफाड़ इस्तेमाल ट्रेनिंग में है. ट्रेनर्स को इसकी मदद से हर खिलाड़ी की शैली और गति का विश्लेषण करने में आसानी होती है.
तू बहुत मस्त काम करता है, लेकिन कैसे?
अगर आप सोच रहे हैं कि ये महज़ हाईटेक कैमरों का कमाल है, तो ज़रा थमिए. कैमरे तो हैं ही, लेकिन उनके साथ और भी बहुत कुछ है. ज़रा संक्षेप में समझिए कि 3DAT काम कैसे करता है.
ये तो गजब की टेक्नोलॉजी है मामू
3D एथलीट ट्रैकिंग सिस्टम के दो मुख्य हिस्से हैं. पहला हिस्सा है कैप्चर. हर एथलीट की मूवमेंट कुछ कैमरों में कैद की जाती है. इसके लिए बहुत हाई-फाई कैमरे नहीं चाहिए. 3DAT में आईफोन और गो-प्रो से भी वीडियो रिकॉर्डिंग की जा सकती है.
दूसरा हिस्सा ज़्यादा इंपॉर्टेंट है. इसका नाम है AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस. AI यानी ऐसी मशीनें, जो मनुष्यों और जानवरों जैसा बौद्धिक व्यवहार या प्रदर्शन करती हैं.
एक AI सॉफ्टरवेयर ओलंपिक वीडियो फुटेज का सारा डेटा प्रोसेस करता है, और इसका आउटपुट डेटा ब्रॉड्कास्ट एजेंसी को भेज दिया जाता है. इसके बाद इस डेटा से रंगीन और स्लो-मोशन ग्राफिक्स बनाकर दर्शकों को दिखाया जाता है.
3DAT, फुटेज लेने से ब्रॉडकास्ट होने तक का काम आधे मिनट से भी कम वक्त में कर सकता है.
ऐं, इसमें कौनसी नई बात है!
ऐसा नहीं है कि मोशन कैप्चर वाली ये टेक्नोलॉजी पहले बिलकुल नहीं थी. और इंटेल ये एकदम ही नई चीज़ ले आई है. लंबे अरसे से हॉलीवुड मूवीज़ और गेमिंग में मोशन कैप्चर का इस्तेमाल हो रहा है.
‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ में गॉलम नाम का एक किरदार है. उसे मोशन कैप्चर के ज़रिए ही बनाया गया है. एंडी सेर्किस ने मोशन कैप्चर सूट पहनकर उसे प्ले किया था.
‘द हॉबिट’ में स्मॉग नाम के ड्रैगन को भी इसी तरह बनाया गया. इसे बेनेटिक्स कंबरबैच ने प्ले किया था.
‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ के गॉलम नाम के किरदार को मोशन कैप्चर के ज़रिए ही बनाया गया है.
पॉइंट टू बी नोटेड मिलॉर्ड. यहां ये लोग मोशन कैप्चर सूट पहने हुए थे. मोशन कैप्चर सूट में कई जगहों पर सेंसर्स लगे होते हैं. जिसकी मदद से इन एक्टर्स की हरकतों को रिकॉर्ड करना आसान होता है.
ओलंपिक या किसी हाई लेवल स्पोर्ट्स इवेंट की यही तो दिक्कत है कि इनमें एथलीट्स को सेंसर जड़ित सूट नहीं पहना सकते. इससे उनके परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा. 3DAT में सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि एक तय दूरी से मोशन रिकॉर्ड किया जाना था. यानी यहां सिर्फ कैमरों की मदद से काम होना था.
कैमरे तो बहुत पहले से फुटेज कैप्चर करते आ रहे हैं. लेकिन यहां मेन दिक्कत इस फुटेज से डेटा निकालने और प्रोसेस करने की थी. असल चुनौती इसका AI वाला हिस्सा तैयार करने में आई. 3DAT के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाली चुनौती को ज़रा विस्तार से समझिए.
कैमरे के पीछे क्या है?
कैमरों से खिलाड़ियों की वीडियो रिकॉर्ड करने के बाद एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर को सौंप दी जाती हैं. ये AI एथलीट्स के 3D मॉडल तैयार करता है. ये कुछ सेकंडों में इन खिलाड़ियों की सारी बायोमैकेनिक्स निकाल लेता है. यानी शरीर से जुड़ा सारा गणित. ऐसी इन्फॉर्मेशन इतने बड़े स्तर पर आजतक कभी प्रोसेस नहीं की गई. क्योंकि ये एक जटिल काम है.
जैसे हम मनुष्य और बाकी जानवर इस दुनिया में बहुत कुछ सीखते हैं. इसी तरह AI को बुद्धिमान बनाने के लिए उसे भी बहुत कुछ सीखना होता है. तकनीकी भाषा में इसे AI को ट्रेन करना कहते हैं.
आमतौर पर AI को ट्रेन करने के लिए खूब सारा डेटा दे दिया जाता है. वो इस डेटा से खुद सीखता रहता है. लेकिन 3DAT के AI को ‘उंगली पकड़कर’ सिखाया गया है. यानी शुरुआत से इसे मैनुअली ट्रेन किया गया.
इंटेल में ओलंपिक टेक्नोलॉजी ग्रुप के डायरेक्टर हैं जॉनाथन ली. ली ने ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ से बातचीत में AI को नॉर्मल फुटेज से ट्रेन करने की चुनौती के बारे में बताते हुए कहा, ‘आम लोग हवा में सात फीट की ऊंचाई पर पूरी तरह हॉरिजॉन्टल नहीं होते, लेकिन विश्व-स्तरीय हाई जंपर्स के लिए इस ऊंचाई पर पहुंचना साधारण बात है.’
शुरुआती फुटेज से इंटेल की टीम ने पिक्सल दर पिक्सल मानव शरीर के मुख्य हिस्से चिह्नित किए. ताकि AI ये समझ सके कि आंख, नाक और कंधे कहां हैं.
भविष्य की दुनिया की शुरुआत है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस.
पहले AI फुटेज से शरीर के इन मुख्य हिस्सों की पहचान करता है. उसके बाद वो इन्हें आपस में जोड़कर एक स्केलेटन (मानव शरीर का ढांचा) तैयार करता है. इस स्केलेटन पर एक ‘कंप्यूटर विज़न’ टेकनिक लगाकर ये अंदाज़ा लगाया जाता है कि अगले पल ये शरीर क्या करने वाला है.
कंप्यूटर विज़न, AI के ही अंदर पढ़ाई जाने वाली फील्ड है. फेसबुक जो आपकी तस्वीरों में दोस्तों को टैग करने का सुझाव देता है, वो कंप्यूटर विज़न का सबसे पॉपुलर उदाहरण है. कंप्यूटर विज़न AI की वो धारा है, जो कंप्यूटरों में इमेज, वीडियो आदि से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निकालने में मदद करती है.
AI से निकलने के बाद इस डेटा को ग्राफिक्स में कनवर्ट कर लिया जाता है. जिससे दर्शक इसे आसानी से समझ सकें.
तो इस तरह ये 3DAT सिस्टम तेज़ी घटित हो रही एक जटिल घटना को दर्शकों के सामने रंगारंग ग्राफिक्स के रूप में प्रस्तुत करता है. लेकिन इस 3DAT सिस्टम का इस्तेमाल सिर्फ दर्शकों की सुविधा तक महदूद नहीं है. इसे एथलीट ट्रेनिंग में गेम चेंजर बताया जा रहा है. इसके दूरगामी उपयोग पर एक नज़र मारते हैं.
खिलाड़ियों के डिजिटल ट्विन
भविष्य में खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा तैयार किए गए डेटा की मदद लेंगे.
फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी में डिजिटल ट्विन का एक कॉन्सेप्ट है. डिजिटल ट्विन यानी किसी चीज़ की डिजिटल कॉपी. इन डिजिटल मॉडल्स का अस्तित्व कंप्यूटर प्रोग्राम और डेटा के रूप में होगा. एक उदाहरण से समझिए.
2020 में US एयरफोर्स ने B-1B बॉम्बर लैंसर का एक डिजिटल ट्विन बनाना शुरू किया. इसके ज़रिए उन्हें ये समझने में मदद मिलेगी कि इस विमान के अलग-अलग हिस्से क्यों खराब हो रहे हैं. और इस खराब होने की प्रक्रिया को धीमा कैसे किया जाए.
डिजिटल ट्विन का एक उदाहरण.
अंतरिक्ष में जाने वाले यान से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक के डिजिटल ट्विन तैयार किए जा सकते हैं. इनके ज़रिए उन्हें ढंग से स्टडी किया जा सकता है.
भविष्य में 3DAT जैसे सिस्टम्स की मदद से ओलंपिक खिलाड़ियों के डिजिटल ट्विन तैयार किए जाएंगे. इससे उनकी नींद, आहार और खेल के दौरान मुद्राओं को बेहतर ढंग से स्टडी किया जाएगा. एथलीट्स को आने वाली चोट से लेकर उनके परफॉर्मेंस तक हर आयाम को बेहतर ढंग से समझा जाएगा.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खिलाड़ियों की ट्रेनिंग से लेकर मंगल ग्रह पर घर बनाने का काम करेगी. तब आप क्या करेंगे? सोचिए सोचिए. बहुत वक्त है. या शायद नहीं? पता नहीं.
वीडियो- टोक्यो ओलंपिक के 11वें दिन मेन्स हॉकी, रेसलिंग और शॉटपुट में इंडिया का कैसा प्रदर्शन रहा?