क्या बोल गए इरफान अंसारी?
आजतक से जुड़े सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी से जब पत्रकरों ने ये पूछा कि हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर उनकी क्या राय है, तो उन्होंने फैसले को बीजेपी से जोड़ दिया. इरफान अंसारी ने कहा,"कोर्ट के फैसले पर तो मैं कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि बीजेपी अब कोर्ट को भी चला रही है. ये अच्छी परंपरा नहीं है."हालांकि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. मीडिया से बातचीत में रघुवर दास ने आरोप लगाते हुए कहा,
"कुछ लोग देश में अशांति और इस्लामिक देश बनाने का षड्यंत्र रच रहे हैं. इसे लेकर दो गुट भी बनाए गए. एक में महिला और दूसरे में युवा वर्ग को शामिल किया गया. इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमें हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का सम्मान करना चाहिए."
महबूबा और उमर निराश
हाई कोर्ट के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी निराशा जताई है. पूर्व सीएम और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने कोर्ट के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा,"हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला बेहद निराशाजनक है. एक तरफ हम महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं, फिर भी हम उन्हें एक साधारण अधिकार से वंचित कर रहे हैं. ये सिर्फ धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि चुनने की स्वतंत्रता का भी मसला है."
"कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से बेहद निराश हूं. चाहे आप हिजाब के बारे में कुछ भी सोचते हों, ये पहनने का कोई कपड़ा नहीं है, बल्कि ये एक महिला के अधिकार के बारे में है कि वो कैसे कपड़े पहनना चाहती है. कोर्ट ने इस मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा, ये हास्यास्पद है."
छात्राओं ने छोड़ी परीक्षा
सियासी प्रतिक्रियाओं के अलावा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अलग तरह के विरोध भी देखने को मिल रहे हैं. इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक कर्नाटक के यादगिर जिला स्थित केम्बावी सरकारी कॉलेज की छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से नाखुश होकर परीक्षा का बहिष्कार कर दिया. इंडिया टुडे से जुड़े नॉलन पिंटो की रिपोर्ट के मुताबिक परीक्षा शुरू हो चुकी थी. इसी बीच कोर्ट के फैसले की खबर आई. इसके बाद नाराज छात्राएं चलती परीक्षा को छोड़कर बाहर आ गईं. बताया गया कि ये छात्राएं कॉलेज में हिजाब पहनकर ही परीक्षा देने पहुंची थीं. परीक्षा मंगलवार 15 मार्च की सुबह 10 बजे शुरू हुई थी और एक बजे खत्म होने वाली थी. लेकिन उससे पहले कोई 35 छात्राओं ने विरोध में परीक्षा छोड़ दी. खबर के मुताबिक कॉलेज की प्रिंसिपल शकुंतला ने इन छात्राओं से कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा, लेकिन वे नहीं मानीं और एग्ज़ाम हॉल से बाहर आ गईं.वीडियो:हिजाब विवाद में कोर्ट के फैसले से पहले आंदोलन की तैयारी में क्यों PFI?
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