खैर, बात हो रही थी हरनाज़ और मिस यूनिवर्स की. मुझे तो इन टाइटल्स के बारे में सुनकर लगता था यूनिवर्स की सबसे सुंदर लड़की को ये खिताब मिलता होगा. लेकिन ऐसा है नहीं. आखिर कैसे चुनी जाती हैं मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स, उनका काम क्या होता है और भारत से कितनी महिलाओं ने ये खिताब जीता है? आज आपको सब बताएंगे.
मिस यूनिवर्स कैसे बनते हैं?
सबसे पहले तो हरनाज़ कौर संधू को बधाई . मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने वाली तो तीसरी भारतीय हैं. आज से 21 साल पहले लारा दत्ता ने ये ख़िताब अपने नाम किया था और उससे पहले साल 1994 में सुष्मिता सेन मिस यूनिवर्स जीतने वाली पहली भारतीय बनीं थी.बात करें मिस वर्ल्ड की, तो अबतक कुल 6 बार ये ख़िताब भारत ने जीता है. साल 1996 में रीता फ़रिया, 1994 में ऐश्वर्या राय, 1997 में डायना हेडन, 1999 में युक्ता मुखी, सन 2000 में प्रियंका चोपड़ा और 2017 में मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड बनीं थी.
अब सवाल ये उठता है कि मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड में फ़र्क़ क्या है?
लॉजिकली सोचें तो दोनों एक से ही लगते हैं. टाइटल्स के नाम सुनकर लगता मिस वर्ल्ड में पूरे वर्ल्ड यानी पूरी धरती के लोग पार्टीसिपेट करते होंगे और मिस यूनिवर्स में यूनिवर्स के. अब यूनिवर्स में अलग अलग प्लैनेट होते हैं. लेकिन इंसान तो धरती पर ही रहते हैं. तो टेकनिकली इसमें भी धरती के लोग ही पार्टीसिपेट करते होंगे विच इस सेम ऐस मिस वर्ल्ड. लेकिन सब कुछ इतना सिंपल नहीं होता बाबु भैया, वरना मोदीजी की 2ab वाली थ्योरी भी सही होती.
सबसे पहला फर्क तो ये है कि एक UK ने शुरू किया था और एक US ने. मिस वर्ल्ड को शुरू किया था UK की एरिक मोर्ले ने साल 1951 में. पहला मिस वर्ल्ड बेसिकली एक बिकनी कांटेस्ट था. स्विम वियर यानी स्विमिंग करते वक़्त जो कपड़े पहने जाते हैं उसे प्रमोट करने के लिए इसकी शुरवात हुई थी. पर मीडिया ने उस इवेंट को 'मिस वर्ल्ड' के नाम से कवर किया. पहले इवेंट के बाद मोर्ले ने डीसाइड किया कि इसे हर साल ऑर्गनाइज़ किया जाएगा और फिर इसमें और राउंड्स ऐड किए गए. और आज के समय में मिस वर्ल्ड का मोटो है 'ब्यूटी विथ पर्पस'.
मिस वर्ल्ड में भाग लेने का क्राइटेरिया -
# इसमें पार्टीसिपेट करने के लिए पहले नेशनल लेवल पर जीतना होता है. हर देश में इसे लेकर लोकल लेवल पर कम्पटीशन होता है. और जो वो जीतता है, वो उस देश को मिस वर्ल्ड में रिप्रेजेंट करता है.# इस कम्पटीशन में पार्ट लेने वालों को ग्रुप में डिवाइड किया जाता है. कॉमन क्वेश्चन पूछे जाते हैं. और पब्लिक वोट्स और जजेस सेमिफिनालिस्ट को चुनते हैं. 15-20 लोग सेमीफाइनल राउंड के लिए चुने जाते हैं.
# इंटरव्यू के बाद 15 में से 5 लोगों को शोर्टलिस्ट किया जाता है.
# फिर टॉप 5 का अलग से इंटरव्यू होता है और फाइनल विनर चुना जाता है.
इसमें कोई बिकनी और स्विमसूट राउंड नहीं होता. पब्लिक स्पीकिंग और पैशन के आधार पर विजेता तय किया जाता है. मिस वर्ल्ड टाइटल जीतने के बाद विनर मिस वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन जाते हैं. और फिर उन्हें अलग अलग देश जाकर चैरिटी के लिए काम करना होता है. अलग- अलग ऑर्गेनाइजेशन जाकर वो फण्ड रेज़ करते हैं और फिर दुनियाभर के अलग अलग NGO को वो पैसा दिया जाता है. साथ ही विनर को लगभग 10 करोड़ रूपए का कैश प्राइज भी मिलता है.
मिस यूनिवर्स -
मिस यूनिवर्स शुरू हुआ था 1952 में जिसे US की पैसिफिक मिल नाम की क्लोदिंग कंपनी ने शुरू किया था. इसे मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन रन करती है. इसे NBC और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ओन करते थे . फिर ट्रम्प ने 2015 में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी. अब बात करते हैं इस कम्पटीशन की.# इसमें सबसे पहले प्रीलिम्स राउंड होता है. इसमें सभी पार्टिसिपेंट को स्विमवियर और इवनिंग गाउन पहनना होता है. इसका वेटेज 40% होता है. दूसरा राउंड होता है इंटरव्यू का. जिसका वेटेज 60% है. इसके आधार पर टॉप 15 या टॉप 20 लोग चुने जाते हैं.
# फिर ये टॉप 15 स्विमवियर में कमपीट करते हैं. उसमें से 10 लोग अगले राउंड में जाते हैं.
# फिर ये 10 इवनिंग गाउन वाले राउंड में जाते हैं. जिसमे से 5 या 6 लोग चुने जाते हैं.
# फिर इन 5-6 लोगों का अलग अलग इंटरव्यू राउंड होता है. इसमें ये बेस्ट को मिस यूनिवर्स के लिए चुना जाता है. या कई बार इन 5 में से 3 को चुना जाता है. बचे हुए तीनों से कॉमन सवाल किये जाते हैं. और बेस्ट आंसर देने वाले को विनर चुना जाता है.
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हरनाज़ संधू (2021), लारा दत्ता (2000) और सुष्मिता सेन (1994) (तस्वीर साभार इंडिया टुडे)
मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने के बाद एक साल तक उन्हें सैलरी भी मिलती है. ये सैलरी सिर्फ एक साल के लिए मिलती है और उन्हें न्यूयार्क फ़िल्म एकेडमी कॉलेज की ओर से विजुअल परफॉर्मिंग आर्ट में स्कॉलरशिप मिलती है मिस यूनिवर्स विनर को दुनियाभर में सोशल वर्क करना पड़ता है. इसके लिए मिस यूनिवर्स ऑर्गेनाइजेशन के स्पॉन्सर्स ट्रेवल अलाउंस देते हैं. साथ ही एक साल तक न्यूयॉर्क में रहने का इन्तेजाम भी उनके लिए किया जाता है.
दोनों कम्पटीशन में अंतर क्या होता है, विनर कैसे चुना जाता है ये तो मैंने आपको बता दिया. इता सबकुछ सुनकर आप समझ ही गए होंगे कि सिर्फ चेहरे, कद काठी और कपड़े फैक्टर ज़रूर हो सकते हैं पर केवल इसी के आधार पर ही विनर नहीं चुने जाते. और इन्ही ख़िताब को लेकर भारत की पहली मिस वर्ल्ड विजेता रीता फारिया ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था -
"मिस वर्ल्ड जैसे टाइटल से मिलने वाले ग्लैमर का आदी नहीं होना चाहिए. अगर मैं एक दिन में स्टूडेंट से स्टार बन सकती हूं, तो सोच लीजिए ये दुनिया कितनी अस्थिर है. ग्लैमर की दुनिया में सिक्योरिटी नहीं होती. लड़कियों को ये समझना होगा कि उन्हें इसकी आदत न लगे. शक्ल और शारीरिक सौंदर्य परमानेंट नहीं होता."आपकी क्या राय है इसपर मुझे कमेंट सेक्शन में बताइए.
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