पूर्व यूपी सीएम जीते थे
इस सीट के सियासी इतिहास की बात करें, तो 1952 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी ने जीत हासिल की. वो प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. पिछले 20 सालों के इतिहास पर अगर नजर डालें तो इस सीट पर सियासी उठापठक होती रही है. 2002 के विधानसभा चुनाव में यहां से बसपा के शारदा प्रसाद ने जीत हासिल की. वो अगला चुनाव भी जीते. साल 2012 का विधानसभा चुनाव माफिया डॉन बृजेश सिंह ने जेल से लड़ा. मनोज कुमार ने निर्दलीय चुनाव लड़कर उन्हें हरा दिया. अगले चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने जीत हासिल की. उम्मीदवारों की अगर बात करें, तो बीजेपी के सुशील सिंह माफिया डॉन बृजेश सिंह के भतीजे हैं. उन्होंने चंदौली जिले की सकलडीहा सीट से 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी. वहीं सपा के मनोज कुमार को मनोज सिंह डब्लू के नाम से जाना जाता है. मनोज कुमार, अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं. वो राजनीति में काफी पहले से एक्टिव रहे हैं. ग्रामीण इलाका होने की वजह से इस विधानसभा सीट पर खेती के मुद्दे काफी अहमियत के रहे. खासकर सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था लोगों की प्राथमिकता रही. वहीं हिंसा से छुटकारा भी यहां के लिए मुद्दा था. रेल कनेक्टिविटी और बेरोजगारी के मुद्दे भी बड़े बताए गए. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुशील सिंह को लगभग 79 हजार वोट मिले थे. उन्होंने बसपा के बाहुबली नेता विनीत सिंह को लगभग 15 हजार वोट से हराया था.वीडियो- अखिलेश यादव ने UP चुनाव में EVM धांधली के जो आरोप लगाए उनमें कितना दम है?
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