पश्चिम बंगाल में विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी, लेकिन यहां फंस सकता है पेच

12:22 AM Jul 07, 2021 |
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पश्चिम बंगाल विधानसभा ने प्रदेश में विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि ममता बनर्जी सरकार विधान परिषद के गठन के लिए प्रस्ताव ला सकती है. मंगलवार 6 जुलाई को सरकार ने ये प्रस्ताव विधानसभा पटल पर रखा, जिसे 196 विधायकों ने अपना समर्थन दिया. वहीं, 69 सदस्यों ने इसका विरोध किया.

विधान परिषद के कितने सदस्य चुने जा सकते हैं?

नियमों के मुताबिक़, राज्य की विधान परिषद में विधानसभा की एक-तिहाई संख्या से अधिक सदस्य नहीं हो सकते हैं. नियम ये भी है कि विधान परिषद के लिए कम से कम 40 सदस्य चुने जाते हैं. पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटें हैं. इसका मतलब ये है कि यहां अधिकतम 98 सदस्यों वाली विधान परिषद बनाई जा सकती है.

कहां फंस सकता है पेच?

ममता सरकार ने ही विधानसभा में विधान परिषद बनाने को मंजूरी दे दी है. लेकिन अभी इसमें एक पेच फंस सकता है. नियमों के मुताबिक़, विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पास होना होगा. माने विधानसभा परिषद का गठन मोदी सरकार की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता.

बीजेपी का भारी विरोध

बीजेपी विधायक दल ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस 'पिछले दरवाजे की राजनीति' करना चाहती है. बीजेपी का कहना है कि तृणमूल अपने हारे हुए नेताओं को विधायक बनाने के लिए विधान परिषद बनाना चाहती है. पार्टी ने कहा कि इससे बंगाल के सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ जाएगा. बीजेपी के अलावा इंडियन सेक्युलर फ्रंट के इकलौते विधायक नौशाद सिद्दीकी ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है.

किन-किन राज्यों में हैं विधान परिषद?

मौजूदा वक्त में 6 राज्यों में विधान परिषद हैं. ये राज्य हैं- बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 100 विधान परिषद के सदस्य चुने जाते हैं. वहीं, तेलंगाना में सबसे कम 40 विधान परिषद के सदस्य चुने जाते हैं.

पश्चिम बंगाल में पहले रही है विधान परिषद

पश्चिम बंगाल में 5 दशक पहले विधान परिषद थी. आजादी के 5 सालों बाद 5 जून 1952 को बंगाल में 51 सदस्यों वाली विधान परिषद का गठन किया गया था. लेकिन बाद में 21 मार्च 1969 को इसे खत्म कर दिया गया था. तब इसके लिए वेस्ट बंगाल लेजिस्लेटिव काउंसिल (अबोलिशन) ऐक्ट लाया गया था.
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