क्या है पूरा मामला
बिजनौर के हल्दौर थाने में तैनात दारोगा अरुण कुमार की 15 जुलाई को RSS नेता उमंग काकरान के साथ बहस हो गई थी. झालू कस्बे के रहने वाले उमंग काकरान अपने पिता रामेंद्र सिंह का चरित्र प्रमाणपत्र बनवाने के लिए पुलिस चौकी गए थे. आरोप है कि चौकी पर तैनात दारोगा अरुण कुमार राणा ने रिपोर्ट लगाने से इंकार कर दिया. इसी को लेकर दोनों के बीच बहस हुई. आरोप है कि दारोगा ने उमंग को चांटा मार दिया. घटना के विरोध में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पुलिस चौकी पर प्रदर्शन भी किया. इस मामले में एसपी धर्मवीर सिंह ने दारोगा को निलंबित कर दिया था. अब निलंबित दारोगा पर 16 जुलाई को हुए हमले को 15 तारीख वाले मामले से जोड़कर देखा जा रहा है.निलंबित दारोगा पर हमला
झालू कस्बे के पास ही अरुण कुमार राणा किराए के कमरे में रहते हैं. 16 तारीख की शाम जब वह सब्जी खरीदने के लिए निकले तो कुछ बाइक सवार युवकों ने उन्हें घेर लिया. आरोप है कि युवकों ने लाठी-डंडों से उन पर हमला किया. पुलिसवाले पर हमले की सूचना पाकर कई थानों की फोर्स के साथ एसपी सिटी और सीओ मौके पर पहुंचे."पुलिस को कुछ सीसीटीवी फुटेज मिले हैं लेकिन वह घटनास्थल के नहीं हैं. मारपीट का कोई वीडियो पुलिस को नहीं मिला है. उस जगह कोई सीसीटीवी नहीं था जहां दारोगा के साथ मारपीट हुई है. जो वीडियो पुलिस के हाथ लगा है उसमें युवक बाइक पर जाते दिख रहे हैं. उसी के आधार पर जांच चल रही है. हालांकि दारोगा कुछ युवकों के नाम बता रहे हैं लेकिन फिलहाल तक FIR में अज्ञात हमलावर ही दर्ज है."पुलिसवाले पर हमले के इस मामले में अगर कोई नया अपडेट आता है तो वो भी हम आप तक जरूर पहुंचाएंगे.
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