"साल 2014 में मैं IIT के लिए सेलेक्ट हुआ. जब सिविल इंजीनियरिंग के तीसरे साल में था तो UPSC की तैयारी शुरू की. दो साल बाद 2018 में पहली बार परीक्षा में बैठा."अपने पहले प्रयास में अनिल बसक प्रीलिम्स की बाधा भी पार नहीं कर पाए. उनका दिल टूट गया. लेकिन हिम्मत नहीं हारे. पहले प्रयास में विफल होने के बारे में उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि उस समय उनके अंदर एक घमंड था. घमंड इस बात का कि जब वो IIT का एंट्रेस पास कर सकते हैं, तो कोई भी एग्जाम पास कर सकते हैं. बाद में उन्होंने अपनी सोच बदली और फिर से पूरे मन से तैयारी शुरू की. दूसरे प्रयास में उन्हें 616वीं रैंक हासिल हुई. IRS के लिए उनका चयन हुआ. लेकिन उन्हें संतुष्टि नहीं मिली. फिर से एग्जाम दिया और इस बार 45वीं रैंक हासिल कर ली.
परिवार की खराब आर्थिक हालत
बसक आज जहां तक पहुंचे हैं, वहां पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. उनके परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं रही. इस बारे में उन्होंने बताया,"मेरे परिवार ने बहुत गरीबी देखी. सही बताऊं तो कठिन परिस्थितियां थीं और उन्ही परिस्थितियों ने मजबूत बनाया. मेरे माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया. वही मेरी सफलता के जनक हैं. पापा ने मुझे आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी."अनिल बसक चार भाई हैं. वह दूसरे नंबर पर हैं. अनिल के बड़े भाई कामकाजी हैं और दो छोटे भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं. अनिल की मां ने मंजू देवी ने जहां घर संभाला, वहीं पिता बिनोद बसक ने घर को चलाने के लिए हर छोटा-मोटा काम किया. कभी हाउस हेल्प के तौर पर काम किया तो कभी कपड़ों की फेरी लगाई. पहले बसक का परिवार किराए के घर पर रहा. फिर पिता की मेहनत से परिवार को अपना एक कच्चा घर मिल गया. अब वो घर पक्का भी हो गया है. बसक कहते हैं कि अब उनकी जिम्मेदारी है कि वो अपने परिवार के लोगों को एक बेहतर जिंदगी दें. अपने परिवार के बारे में उन्होंने बताया कि उनका परिवार हमेशा से न्यूज देखता रहा. खासकर करेंट अफेयर्स पर उनकी अच्छी खासी नजर रही. इस रुचि ने भी उनकी काफी मदद की. वहीं अपने पिता की मेहनत से भी वो प्रभावित हुए. अनिल बसक हमेशा यही सोचते कि उनके पिता जितनी मेहनत करते हैं, अगर वो उसका 10 फीसदी भी कर लें तो आराम से UPSC निकाल लेंगे.
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