लखीमपुर खीरी हिंसा: पुलिस ने 4 फरार आरोपी गिरफ्तार किए, एक थार गाड़ी में था

10:20 PM Oct 18, 2021 |
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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई हिंसा के चार फरार आरोपियों को धर लिया गया है. पुलिस ने सोमवार 18 अक्टूबर को इन चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इनके नाम हैं- सुमित जायसवाल, शिशुपाल, नंदन सिंह और सत्य प्रकाश उर्फ सत्यम त्रिपाठी. इन्हें खीरी पुलिस और क्राइम ब्रांच टीम ने मिलकर पकड़ा है. पुलिस के मुताबिक, सत्य प्रकाश त्रिपाठी के पास से 32 बोर की रिवॉल्वर और तीन कारतूस भी बरामद हुए हैं. वहीं सुमित जायसवाल पर आरोप है कि घटना के वक्त वो थार गाड़ी में था. वही गाड़ी, जो तीन गाड़ियों के काफिले में सबसे आगे चल रही थी और जिसमें मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के मौजूद होने का आरोप है. ये थार गाड़ी आशीष मिश्रा की ही थी.

बाकी आरोपी पहले से जेल में

एक दिन पहले ही यानी 17 अक्टूबर को मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और तीन अन्य आरोपियों की पुलिस रिमांड पूरी हुई थी. जमानत अर्जी खारिज होने के बाद चारों को जेल भेज दिया गया है. चारों को अलग-अलग बैरक में रखा गया है. इससे पहले 15 अक्टूबर को पुलिस ने आशीष और अन्य आरोपियों को तिकुनिया गांव में घटनास्थल पर ले जाकर क्राइम सीन को रीक्रिएट किया था. इसी दौरान अंकित दास से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि किसानों को रौंदने के बाद थार जीप सामने से आ रही बस के चलते नहीं निकल पाई और सड़क के किनारे पलट गई. पीछे जिस फॉर्च्यूनर में अंकित दास सवार थे, वो भी आगे जाकर पलट गई. लेकिन मौके से स्कॉर्पियो निकल गई. अंकित दास ने पूछताछ में बताया कि गाड़ी पलटने के बाद वो अपने गनर लतीफ के साथ खेतों से भागा था. इस दौरान उसने 3 लोगों को कॉल भी की थी. पुलिस अब उन 3 लोगों से भी पूछताछ करेगी. इसी दौरान पता चला कि तीसरी गाड़ी यानी स्कॉर्पियो अंकित दास की नहीं, आशीष मिश्रा के रिश्तेदार की थी. जबकि ये पहले ही पता चल चुका है कि थार गाड़ी आशीष मिश्रा की और फॉर्च्यूनर अंकित दास की थी.

टेनी बोले- अधिकारियों की लापरवाही

इस सबके बीच आरोपी आशीष मिश्रा के पिता और मोदी कैबिनेट के मंत्री अजय मिश्रा टेनी पूरी हिंसा के पीछे अधिकारियों की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के ज़िम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में ये घटना घटी. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि अधिकारियों की मौजूदगी में रोड पर कब्जा क्यों होने दिया गया और अगर रोड पर किसान थे तो उसको बैरिकेड लगाकर बंद क्यों नहीं किया गया?
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