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(फोटो- ANI)
कोवैक्सीन को मिला अप्रूवल
दरअसल, भारत बायोटेक ने 12 से 18 साल के बच्चों केसंबंध में कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का डेटा, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (CDSCO) को सौंपा था. CDSCO केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली एक रेगुलेटरी अथॉरिटी है, जिसका काम वैक्सीन, दवाओं और कॉसमेटिक्स को अप्रूवल देना, उनकी क्वालिटी परखना, क्लीनिकल ट्रायल कराना और राज्यों की संस्थाओं के साथ को-ऑर्डिनेट करना है. 12 अक्टूबर को CDSCO की एक्सपर्ट कमेटी ने 12 से 18 साल के बच्चों के लिए कोवैक्सीन को इजाज़त देने की सिफारिश की थी. उसके बाद DCGI ने कोवैक्सीन को कल अप्रूवल दे दिया.(फोटो- इंडिया टुडे)
बच्चों के लिए और कौन सी वैक्सीन आने वाली है?
ज़ाइडस कैडिला की तीन डोज़ वाली DNA वैक्सीन के अलावा भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दूसरी ऐसी वैक्सीन है जिसे 12 साल से ज्यादा के बच्चों के लिए अप्रूवल मिला है. इसके अलावा DGCI ने नवंबर में सीरम इंस्टीट्यूट की 'नोवावैक्स' वैक्सीन को 7 से11 साल के बच्चों के लिए ट्रायल की इजाज़त दी है. वहीं जुलाई में सीरम इंस्टीट्यूट की ही 'कोवैक्स' वैक्सीन को भी 2 से 17 साल के बच्चों में दूसरे और तीसरे फ़ेज़ के ट्रायल की इजाज़त कुछ शर्तों के साथ दे दी गई थी. Biological E की 'कोर्बेवैक्स' वैक्सीन को पांच साल से ज्यादा के बच्चों में ट्रायल की इज़ाजत भी मिल चुकी है.कोवैक्सीन पर चीफ जस्टिस का बड़ा बयान
इस बीच देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कोवैक्सीन को लेकर बड़ा बयान दिया है. रमना ने कहा कि- इस बात की पूरी कोशिश की गई कि भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन 'कोवैक्सीन' को WHO से अप्रूवल ना मिले. उन्होंने कहा कि फ़ाइज़र (Pfizer) जैसी कई मल्टी नेशनल कंपनियों और देश के ही कुछ लोगों ने कोवैक्सीन के खिलाफ गलत प्रचार किया.(फोटो- PTI)
चीफ जस्टिस रमना ने आगे कहा कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस और उसके नए वेरिएंट पर भी असर करती है, लेकिन फिर भी इसके खिलाफ दुष्प्रचार किया गया क्योंकि ये भारत में बनी थी. रमना ने ये बयान हैदराबाद में रेमेनी फाउंडेशन अवॉर्ड कार्यक्रम में दिया. चीफ़ जस्टिस ने भारत बायोटेक के फाउंडर कृष्णा इला और सुचित्रा इला की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि कृष्णा और सुचित्रा ने इस मुकाम को हासिल करने में काफी संघर्ष किया है.
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