"भिवानी के डाडम खनन क्षेत्र में हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के बारे में जानकर दुखी हूं. मैं स्थानीय प्रशासन ले लगातार संपर्क में बना हुआ हूं, ताकि अच्छे ढंग से बचाव कार्य को अंजाम दिया जा सके और घायलों को तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके."
'प्रशासन है जिम्मेदार'
इलाके के विधायक किरण चौधरी ने इस दुर्घटना के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा,"हमें नहीं पता कि कितने लोग दबे हैं. आशंका है कि कई लोगों की जान चली गई है. NGT के आदेश के तहत इस इलाके में माइनिंग की मनाही की है. सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर माइनिंग की जा रही है. सारी जिम्मेदारी प्रशासन की है. दुर्घटना के बहुत देर बाद अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. बहुत देर से बचाव कार्य शुरू किया गया."पवन राठी की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे के बाद हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल और भिवानी के एसपी अजीत सिंह शेखावत मौके पर पहुंचे. जेपी दलाल ने मीडिया को बताया,
"अभी यह साफ नहीं है कि मलबे में कितने लोग दबे हुए हैं. कुछ लोगों की जान गई है. तीन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मैंने प्रशासन से कहा है कि मशीनरी के इस्तेमाल के जरिए जल्द से जल्द लोगों को मलबे से बाहर निकाला जाए."
काफी समय से बंद था खनन
रिपोर्ट के मुताबिक, पहाड़ के दरकने से खनन में प्रयोग होने वालीं कई भारी मशीनें भी दब गई हैं. घटनास्थल पर पुलिसकर्मी मौजूद हैं और बचाव कार्य चालू है. इस इलाके में दो लगभग दो महीने से खनन बंद था. एक दिन पहले ही खनन फिर से शुरू किया गया था. दरअसल, तोशाम क्षेत्र के डाडम में बहुत पहले से ही बड़े स्तर पर खनन होता आया है. दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के चलते दो महीने पहले इस खनन कार्य पर रोक लगाई गई थी. दो दिन पहले ही NGT ने दोबारा से खनन शुरू करने की मंजूरी दी थी. दो महीने से खनन कार्य बंद रहने की वजह से भवन निर्माण सामग्री की कमी हो गई थी. ऐसा बताया जा रहा है कि इस कमी को पूरा करने के लिए ही बड़े स्तर पर धमाके किए गए, जिसकी वजह से पहाड़ अचानक से दरक गया.वीडियो- उड़ान के किन नियमों की अनदेखी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है?
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