केशव प्रसाद मौर्य ने रिपोर्टर का मास्क खींचा, इंटरव्यू जबरन डिलीट कराया, BBC का दावा

04:49 PM Jan 11, 2022 |
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उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) एक इंटरव्यू के दौरान भड़क गए. BBC के इस इंटरव्यू में केशव प्रसाद मौर्य से धर्म संसद को लेकर सवाल किए गए थे. आरोप है कि इससे वो इतने नाराज हो गए कि इंटरव्यू बीच में ही छोड़ दिया. इतना ही नहीं, BBC का दावा है कि बाद में केशव प्रसाद मौर्य ने रिपोर्टर का कोविड मास्क तक खींचा और अपने सुरक्षाकर्मियों के जरिये इंटरव्यू का फुटेज जबरन डिलीट कराया. इंटरव्यू का फुटेज किसी तरह रिकवर कर लिया गया है जिसे यूट्यूब पर देखा जा सकता है. वहीं रिपोर्टर के साथ हुए दुर्व्यवहार और फुटेज डिलीट कराए जाने की घटना का वीडियो नहीं है. BBC का कहना है कि मौर्य ने कैमरा बंद करवा दिया था. उसने इसकी शिकायत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और यूपी के मुख्यमंत्री से की है. वहीं खुद केशव प्रसाद मौर्य ने भी वाकये को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

किस सवाल पर भड़के मौर्य?

हाल में हरिद्वार और रायपुर में हिंदू संगठनों ने धर्म संसद का आयोजन किया था. इनमें अलग-अलग संगठन के प्रतिनिधियों ने धर्म की रक्षा के लिए दूसरे समुदाय के लोगों की हत्या तक करने की बात कही थी. इसी को लेकर BBC के पत्रकार अनंत झणाणे ने केशव प्रसाद मौर्य से पूछा,
"हरिद्वार और रायपुर में हुई धर्म संसदों में जिस तरह से मुसलमानों को टारगेट कर के भड़काऊ बयानबाजी हो रही है, और आईआईएम के प्रोफेसर और छात्र पीएम को चिट्ठी लिखकर इसके खिलाफ एक्शन लेने के लिए कहते हैं. क्या पीएम और सीएम के इस मामले में चुप रहने से इस तरह के बयानों को और बढ़ावा नहीं मिल रहा? ऐसे चीजें जब सामने आती हैं, तो क्या आप लोगों ऐसा नहीं लगता की बयान देखकर जनता का विश्वास जीतना चाहिए."
इसी सवाल पर केशव प्रसाद मौर्य नाराज हो गए. बोले,
"भारतीय जनता पार्टी  को प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं है. हम सबका साथ, सबका विकास करने में विश्वास रखते हैं. जो धर्माचार्य हैं उनको अपनी बात अपने मंच से कहने का अधिकार होता है." 
उन्होंने आगे कहा
"आप हिंदू धर्माचार्यों की बात ही क्यों करते हो, बाकी धर्माचार्यों ने क्या-क्या बयान दिए हैं उनकी बात क्यों नहीं करते? जम्मू कश्मीर से 370 हटने से पहले कितने लोगों को वहां से पलायन करना पड़ा इसकी बात क्यों नहीं करते हो?"
डिप्टी सीएम से जब ये पूछा गया कि क्या धर्म संसद से जुड़े लोग यूपी चुनाव के लिए माहौल बनाने की कोशिश नहीं कर रहे, तो उन्होंने कहा,
"धर्म संसद भारतीय जनता पार्टी की नहीं है. संत अपनी बैठक में क्या बात करते हैं ये उनका विषय हैं. ऐसा कोई माहौल बनाने की कोशिश नहीं हो रही."
मौर्य ने कहा कि धर्म संसद में किसी के नरसंहार की बात नहीं हुई और ये मुद्दा चुनाव से जुड़ा नहीं है. बाद में उन्होंने आगे और बात करने से ही इन्कार कर दिया और माइक उतार दिया.

क्या कहा गया था धर्म संसद में ?

पिछले साल दिसंबर महीने में दो धर्म संसदों का आयोजन किया गया था. पहली धर्म संसद हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को यति नरसिंहानंद गिरी की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी. इस धर्म संसद में कई विवादित विषयों पर चर्चा की गई. महामंडलेश्वर धर्मदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती समेत कई लोगों ने अल्पसंख्यकों पर आपत्तिजनक भाषण दिए. नरसंहार के नारे लगाए. इन विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए हैं. इनमें धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, एक विशेष समुदाय के व्यक्ति को प्रधानमंत्री ना बनने देने और एक विशेष समुदाय की आबादी न बढ़ने देने का जिक्र है. समुदाय विशेष के खिलाफ बयानबाजी के कारण कुछ साधु-संतों पर मुकदमें भी दर्ज कराए गए. अब तक पुलिस ने इस मामले में नरसिंहानंद, वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, अन्नपूर्णा, धर्मदास और सिंधु सागर को गिरफ्तार किया है.

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धर्म संसद में भाषण देती साध्वी अन्नपूर्णा भारती


वहीं दूसरी धर्म संसद 25 और 26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित की गई. इस कार्यक्रम में शामिल कालीचरण महाराज ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अपशब्द कहे और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ की. साथ ही हिंदू समाज के लोगों से हथियार उठाने और कट्टरपंथी नेताओं को वोट देने की भी अपील की. महात्मा गांधी को लेकर कहे गए अपशब्दों से कुछ संत नाराज भी हो गए. दूधधारी मठ के मुख्य संरक्षक संत राम सुंदर महाराज ने महात्मा गांधी को कहे अपशब्दों पर नाराजगी जताते हुए खुद को इस कार्यक्रम से अलग कर लिया. इस घटना के बाद रायपुर के पूर्व मेयर की शिकायत पर कालीचरण महाराज के खिलाफ अशांति और अश्लीलता फैलाने की धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई. 30 दिसंबर को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से उन्हें गिरफ्तार किया.


वीडियो:हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच मामले में अब नया क्या हुआ?
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