कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार, 2 फरवरी को संसद में केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते ही चीन और पाकिस्तान साथ आ गए हैं. राहुल गांधी ने कहा,
इसके बाद नेड प्राइस से पूछा गया कि पाकिस्तान चीन के साथ इतनी निकटता से क्यों काम कर रहा है? क्या अमेरिका ने उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया है? इस पर नेड प्राइस का कहना था,
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आप खतरे से खेल रहे हैं. मेरी सलाह है कि रुक जाइए. आप खतरे को हल्के में मत लीजिए. आप चीन और पाकिस्तान को साथ ला चुके हैं. मुझे कोई संदेह नहीं है कि चीन के पास स्पष्ट योजना है. इसकी बुनियाद डोकलाम और लद्दाख में रख दी गई है. यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है. आपने जम्मू-कश्मीर और विदेश नीति में बहुत बड़ी रणनीतिक गलतियां की हैं. आपने दो मोर्चों को एक मोर्चे में बदल दिया है.राहुल गांधी ने मोदी सरकार को चेताते हुए आगे कहा,
आप चीन को देखिए, वह कैसे हथियार खरीद रहा है. हमें खुद का बचाव करने की जरूरत है. यह देश के लिए अहम है कि आप हमें सुनिए. आप सोच रहे होंगे कि हम नहीं समझ रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं...अगर भविष्य में कुछ भी होता है तो आप उसके लिए जिम्मेदार होंगे.
मोदी सरकार ने याद दिलाया इतिहास?
राहुल गांधी के आरोपों के बाद मोदी सरकार उनपर हमलावर हो गई. कुछ घंटे बाद ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुछ ट्वीट किए. इनमें उन्होंने राहुल को इतिहास याद दिलाया. जयशंकर ने लिखा,'राहुल गांधी ने लोकसभा में आरोप लगाया कि हमारी सरकार ही है जिसने पाकिस्तान और चीन को एक साथ ला दिया...इतिहास के कुछ उदाहरण देखिए: 1963 में पाकिस्तान ने शाख्सगाम घाटी को अवैध रूप से चीन को सौंप दिया था. चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था. 1970 के दशक से ही दोनों देशों के बीच घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी था. इसके बाद 2013 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ...तो आप (राहुल गांधी) अपने आप से पूछिए कि क्या इन घटनाओं के दौरान चीन और पाकिस्तान एक-दूसरे से दूर थे?'
अमेरिका ने पल्ला झाड़ा!
राहुल गांधी के बयान से अमेरिका ने पल्ला झाड़ लिया है. राहुल के बयान पर जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करते. आजतक से जुड़ीं गीता मोहन की रिपोर्ट के मुताबिक नेड प्राइस ने कहा,'मैं इसे पाकिस्तान और चीन पर छोड़ देता हूं कि वे अपने रिश्ते के बारे में बात करें. लेकिन मैं निश्चित तौर पर इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करूंगा.'
'हमने दुनिया के सामने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी देश को अमेरिका और चीन में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं है. जब अमेरिका के साथ संबंधों की बात आती है तो हमारा इरादा देशों को विकल्प प्रदान करने का रहता है...पाकिस्तान हमारा रणनीतिक साझेदार है. हमारे इस्लामाबाद सरकार से अहम रिश्ते हैं. यह एक ऐसा रिश्ता है जिसे हम विभिन्न मोर्चों पर तवज्जो देते हैं.'
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