राहुल गांधी ने अपने भाषण में बीजेपी सांसद कमलेश पासवान का जिक्र किया. कहा कि कमलेश पासवान ने भी अपने पिता को खोया है. लेकिन कमेलश पासवान गलत पार्टी में हैं. उस पार्टी में कोई बलिदान का मतलब नहीं समझता. दूसरी तरफ, अपनी बारी आने पर बांसगांव से बीजेपी सांसद कमलेश पासवान ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा,
"हां, मैंने अपने पिता को खोया है और इसके लिए मुझे दुख होता है. लेकिन राहुल गांधी की पार्टी इस लायक नहीं है कि मैं उसमें शामिल हो जाऊं. बीजेपी ने मुझे तीन बार सांसद बनाया है."अपने भाषण के दौरान कमलेश पासवान ने मुलायम सिंह यादव को अपना राजनीतिक गुरु भी बताया. दरअसल, कमलेश पासवान के पिता ओम प्रकाश पासवान समाजवादी पार्टी में थे. वो यूपी के चर्चित गेस्टहाउस कांड के मुख्य आरोपी भी थे. 1995 में हुई उस घटना के अगले साल ओम प्रकाश पासवान की हत्या हो गई थी.
ओम प्रकाश पासवान हत्याकांड
तारीख थी 25 मार्च 1996. लोकसभा चुनाव का वक्त था. ओम प्रकाश पासवान उस समय मानीराम के विधायक थे. लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवारी पेश कर रहे थे. शाम के वक्त सभा समाप्त ही हुई थी कि उनके ऊपर बम फेंका गया. धमाका इतना जबरदस्त था कि मौके पर ही ओम प्रकाश पासवान का निधन हो गया. उनके साथ दस लोग और मारे गए. कई लोग घायल हुए.इस धमाके का आरोप लगा राकेश यादव पर. कहा गया कि जनसभा के पास वाले घर की छत पर राकेश यादव अपने एक साथी के साथ साड़ी पहनकर गए ताकि वहां मौजूद महिलाओं के साथ उन्हें भी महिला समझा जाए. इसके बाद छत से ही घी के डिब्बे के जरिए बम फेंका गया. राकेश यादव को गोरखपुर की मानीराम सीट से विधायकी का टिकट भी मिला. ये टिकट बसपा की तरफ से दिया गया. बाद में राकेश यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.
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ओम प्रकाश पासवान की मूर्ति पर माल्यार्पण करते उनके बेटे विमलेश पासवान. (फोटो: सोशल मीडिया)
दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में राकेश यादव ने ओम प्रकाश पासवान से तनातनी की बात स्वीकारी थी. उनसे सवाल पूछा गया कि आखिर वो कुख्यात माफिया कैसे बन गए. इसके जवाब में राकेश यादव ने कहा,
लखनऊ गेस्ट हाउस कांड में कथित तौर पर मायावती का चीरहरण करने का प्रयास करने वाले बाहुबली विधायक ओम प्रकाश पासवान ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कीं.राकेश यादव ने ये भी बताया कि इस कांड से पहले भी कई बार ओम प्रकाश पासवान उन्हें और उनके परिवार को मारने की धमकी दे चुके थे. राकेश यादव ने ये भी दावा किया कि ओम प्रकाश पासवान ने उन्हें अपने गैंग में शामिल होने के लिए कहा था. बकौल राकेश यादव, उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था. इसकी वजह से दोनों के बीच तनातनी और बढ़ गई.
कहा ये भी जाता है कि 90 के दशक के गोरखपुर में राजनीतिक रस्साकशी चल रही थी. इस बीच योगी आदित्यनाथ ने बाहुबली श्रीप्रकाश शुक्ला को नियंत्रण में रखने के लिए ओम प्रकाश पासवान को खड़ा किया था. हालांकि, योगी आदित्यनाथ और ओम प्रकाश पासवान का साथ ज्यादा दिन तक नहीं रहा. इसके बाद ओम प्रकाश पासवान की हत्या हो गई.
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