धर्म संसद के बैनर तले आयोजित कार्यक्रमों में हिंदू और हिंदुत्व पर कही गई बातों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने असहमति जताई है. मोहन भागवत का कहना है कि धर्म संसद (Dharm Sansad) से निकली बातें हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा के मुताबिक नहीं थीं. रविवार, 6 फरवरी को संघ प्रमुख नागपुर में एक अखबार के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित 'हिंदू धर्म और राष्ट्रीय एकता' व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने धर्म संसद के आयोजनों में कही गई बातों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा,
"धर्म संसद के बाद एक विधान बाहर आया, वो हिंदू वचन, हिन्दू कर्म और हिन्दू मन नहीं है. तैस में आकर अपना संतुलन खोकर अगर मैंने भी कभी कुछ बोल दिया तो वो मेरी गलती है वो हिंदुत्व नहीं है. संघ या वाकई हिंदुत्व का पक्ष लेकर चलने वाले लोग इसको हिंदुत्व नहीं मानेंगे. स्वयं सावरकर जी ने कहा था कि हिन्दू समाज जब शस्त्र सम्पन्न, बल सम्पन्न और संगठित हो जाएगा तो उसके बाद भी बात वो गीता की ही करेगा, दूसरे को समाप्त करने की नहीं करेगा."
सबका 'डीएनए' एक है
मोहन भागवत ने सभी भारतीयों का एक डीएनए बताया और सभी से मिलकर रहने की बात कही. आरएसएस प्रमुख ने कहा,"हम हमेशा से इस देश में रहते आ रहे हैं. 40 हजार साल से भारत के सभी लोगों का डीएनए एक ही है. ये बात डीएनए मैपिंग से साबित हुई है. हड़प्पा सभ्यता के राखी गढ़ी शहर में मिले सैम्पल से भी ये बात सिद्ध होती है. हम सबके पूर्वज एक हैं, उन पूर्वजों के कारण अपना देश फला-फूलाहै. इसलिए हमारी संस्कृती आज तक चलती आ रही है, यूनान और मिस्र की सभ्यताएं मिट गईं, कुछ तो बात है हममें. इसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान और त्याग किया है."आजतक के मुताबिक जब मोहन भागवत से मीडिया ने ये सवाल पूछा कि क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है. इस पर उन्होंने कहा,
"यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है, इसे कोई स्वीकार करे या न करे, यह वही (हिंदू राष्ट्र) है. हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है. यह वैसी ही है जैसी कि देश की अखंडता की भावना है. राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता की कोई जरूरत नहीं है. भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता."मोहन भागवत ने साफ शब्दों में कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके बीच के मतभेदों को दूर करने में है. यह काम वे हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं. मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व का अंग्रेजी अनुवाद 'हिंदूनेस' है. उनके मुताबिक,
"हिंदू का मतलब एक सीमित चीज नहीं है, यह गतिशील है और अनुभव के साथ लगातार बदलता रहता है."आरएसएस प्रमुख के अनुसार सबसे पहले हिंदुत्व शब्द इसका इस्तेमाल गुरु नानक देव ने किया था. रामायण और महाभारत में कहीं भी 'हिंदुत्व' शब्द का उल्लेख किया ही नहीं गया. अपने निजी फायदे या दुश्मनी को देखते हुए दिए गए बयान हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
धर्म संसद में क्या हुआ था?
पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार और छत्तीसगढ़ में धर्म संसद का आयोजन किया गया था. हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया गया था, जबकि रायपुर में हुई धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने राष्ट्र्रपिता महात्मा गांधी को लेकर अमर्यादित टिप्पणी की थी. कालीचरण महाराज को इस टिप्पणी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. उधर, उत्तराखंड के हरिद्वार में हुई धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यति नरसिंहानंद, जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी, महामंडलेश्वर धर्मदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के खिलाफ केस दर्ज किया गया. नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. इनकी गिरफ्तारी का काफी विरोध हो रहा है. हाल ही में यूपी के प्रयागराज में हुई एक धर्म संसद में कुछ संतों ने इन दोनों को रिहा करने की मांग की.वीडियो: हरिद्वार धर्म संसद में हेट स्पीच मामले में अब नया क्या हुआ?