क्या कहना था कैंडिडेट्स का?
आरएएस अभ्यर्थी अंकित कुमार शर्मा ने इस मुद्दे पर कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि परीक्षा के कुछ प्रश्न विवादित हैं क्योंकि उत्तर सही होने के बावजूद आयोग ने इसे गलत माना है. वहीं प्री-परीक्षा पास करने वाले कई कैंडिडेट भी मांग कर रहे थे कि आरएएस (मेन्स) की परीक्षा को टाला जाना चाहिए, क्योंकि उन्हें इस परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया है. उधर सियासी पार्टियां भी यहीं मांग कर रही थीं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत तमाम बीजेपी नेता तो ऐसा करने को कह ही रहे थे, सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और निर्दलीय विधायक सन्याम लोढ़ा भी परीक्षा को टालने की मांग करने वाले नेताओं में शामिल रहे. सन्याम लोढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार हैं. हालांकि मामले को लेकर सीएम गहलोत ने कहा है कि छात्र भर्तियों को अटकाने वालों के बहकावे में न आएं. उन्होंने कहा,'बीते 10 सालों में देखा गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में देरी, अनियमितताएं, तो कभी हाई कोर्ट में याचिकाओं के कारण नियुक्तियों में देरी होती है. इससे युवा निराश होते हैं. बेरोजगारी बढ़ रही है. अधिक नौकरियां मिले, इसलिए हमने पिछली सरकार में दायर एसएलपी वापस लेकर नियुक्तियां दीं. युवा भर्तियां अटकाने वाले नेताओं, कोचिंग संस्थानों या अन्य व्यक्तियों के बहकावे में न आएं.'मेन्स परीक्षा की डेट को आगे बढ़ाया जाएगा या नहीं, इसे लेकर आयोग की फुल कमीशन की बैठक में एक-दो दिन में फैसला लिया जाएगा. ये पहले मौका नहीं है जब आरएएस की परीक्षा को लेकर विवाद उठा है. पिछले 10 सालों में कुल पांच बार इसकी परीक्षा हुई है. इसमें से साल 2012 को छोड़कर बाकी सभी विवादों में रही हैं. जानकारों का कहना है कि सरकार कांग्रेस की हो या बीजेपी की, इसमें सियासी हस्तक्षेप काफी ज्यादा रहता ही है, जिसके कारण समय पर नियुक्तियां नहीं हो पाती हैं.
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