"वर्तमान परिस्थितियों में हम भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं. तानाशाही हुकूमतों द्वारा लोकतांत्रिक देशों के ऊपर हमले की स्थिति में भारत को अपनी वैश्विक जिम्मेदारी समझनी चाहिए. मोदी जी दुनिया के ताकतवर और सम्मानित नेताओं में से एक हैं. आप जानते हैं कि आपके और रूस के अच्छे रिश्ते हैं. मुझे नहीं पता कि कितने वैश्विक नेता इस बात को सुनेंगे, लेकिन पीएम मोदी का जो दर्जा है, वो मुझे ये आशा देता है कि उनकी मजबूत आवाज कम से कम पुतिन को एक बार सोचने को मजबूर करेगी. हम इस संकट की घड़ी में भारत से सहयोग की आशा रखते हैं."
भारत का निष्पक्ष रुख
दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के बीच तनाव पर भारत का रुख निष्पक्ष रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत ने इस पूरे विवाद का हल तय नियमों और कूटनीतिक बातचीत से निकालने की अपील की है. साथ ही साथ ये भी कहा गया है कि अगर इस विवाद को गंभीरता से हल नहीं किया गया तो क्षेत्र की सुरक्षा और शांति खतरे में पड़ जाएगी. इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक इस मसले पर अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है. इस बीच खबरें हैं कि रूस ने यूक्रेन के कम से कम दो एयरपोर्ट्स को निशाना बनाया है. वहीं यूक्रेन की राजधानी कीव में रहने वाले लोग शहर छोड़कर जाने लगे हैं. बताया जा रहा है कि रूस के सैनिक कीव तक पहुंच चुके हैं. इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि ऐसा डोनेट्स्क और लुहान्स्क में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है. पुतिन ने ये भी कहा कि रूस का उद्देश्य यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है. साथ ही साथ पुतिन ने चेतावनी भी दी कि अगर इस कार्रवाई में कोई भी दखल देगा, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इधर अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस की खूब निंदा की और जरूरी कार्रवाई करने की बात कही.वीडियो- रूस-यूक्रेन के राजदूत के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में क्या लड़ाई हो गई?
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