‘अब चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट रूसियों के कब्जे में है. ये कहना असंभव है कि रूसियों के हमले के बाद चेर्नोबिल प्लांट अब सुरक्षित है, अब ये यूरोप के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है.’उधर, रुस ने चेर्नोबिल पावर प्लांट को कब्जे में लेने के बाद इसे लेकर अपनी मंशा जाहिर की. रॉयटर्स के मुताबिक़ रशियन सिक्योरिटी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया,
‘गुरूवार सुबह यूक्रेनियन सीमा में घुसने से पहले रूसी सैनिक चेर्नोबिल प्लांट के एक्सक्लूज़न जोन में इकट्ठा हुए थे. रूस चेर्नोबिल प्लांट को अपने नियंत्रण में लेकर NATO को ये संदेश देना चाहता है कि वो इस युद्ध में कोई सैन्य हस्तक्षेप न करे.'
एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बना था
2019 में एक ड्रामा सीरीज आई थी- ‘चेर्नोबिल’ (Chernobyl) नाम से. ये सीरीज साल 1986 में चेर्नोबिल न्यूक्लियर डिजास्टर (Chernobyl Disaster) पर बेस्ड है, जिसमें लाखों लोगों की जान चली गई थी. चेर्नोबिल असल में यूक्रेन की दलदली उत्तरी सीमा का एक कस्बा है. बेलारूस की दक्षिणी सीमा से लगा हुआ. वही बेलारूस जिस के तानाशाह ने गुरूवार, 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ़ रूस की तरफ़ से अपने सैनिक भेजने की बात कही. चेर्नोबिल अपने अतीत में गुलज़ार था, लेकिन आज इसका एक हिस्सा पूरी तरह वीरान है. वजह है चेर्नोबिल टाउन से कुछ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बना न्यूक्लियर पावर प्लांट. ऑफिशियली इसका नाम था- V.I. Lenin Atomic Power Plant. ये प्लांट काफी समय से असक्रिय है. मतलब बंद है. लंबे अरसे से ये एक टूरिस्ट स्पॉट बना हुआ है. साल 1986 में 26 अप्रैल के दिन इस प्लांट में एक ज़बरदस्त धमाका हुआ था, जिसने चेर्नोबिल के एक बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था. उस वक़्त यूक्रेन सोवियत संघ का ही हिस्सा था. बताया जाता है कि धमाके और उसके बाद हुए न्यूक्लियर रेडिएशन में सवा लाख के करीब लोग मारे गए थे. ‘चेर्नोबिल’ ड्रामा सीरीज इसी हादसे और इसके बाद हुई घटनाओं पर आधारित है. हादसा कितना भयानक था, इसका अंदाजा इस ड्रामा सीरीज के ट्रेलर से ही लगाया जा सकता है.हादसा कैसे हुआ था?
26 अप्रैल, 1986 को चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक टेस्ट किया गया. दरअसल, ये टेस्ट इमरजेंसी फंक्शन को चेक करने के लिए किया गया था. यानी ये देखने के लिए कि आपात स्थितियों में रिएक्टर सही से काम करता है या नहीं. इस वक़्त चेर्नोबिल पावर प्लांट में 26 साल के लेनोइड टॉपटोनोव बतौर रिएक्टर कंट्रोल इंजीनियर तैनात थे. टेस्ट के दौरान वहां के लेनोइड और बाकी कर्मचारियों ने रिएक्टर में लगी रॉड्स पर कंट्रोल खो दिया और सिस्टम मैन्युअल कंट्रोल से ऑटो कंट्रोल पर चला गया. अब रिएक्टर को संभालना संभव नहीं था. इसी बीच रिएक्टर से निकली ऊर्जा के चलते रिएक्टर का पानी तेजी से भाप बनने लगा और वो जग़ह जहां रिएक्टर था उसकी छत गिर गई. रिएक्टर से होने वाला धमाका इतनी तेज था कि आसपास के काफी लोगों की धमाके में मौत हो गई. छत खुली होने की वजह से रिएक्टर से होने वाला रेडिएशन जल्द ही आसपास के इलाकों में फैल गया, और इसने हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे में जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या फायर वर्कर्स की थी.पिछला वीडियो देखें: यूक्रेन में धमाकों के बीच रूस पर यह बोले अमेरिका-पाकिस्तान समेत ये देश
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