एएनआई के मुताबिक ज्ञानगौदर ने कहा,
'डोनेशन की स्थिति बहुत ही खराब है, मैं सभी नेताओं से और अधिकारियों से इस मामले को देखने के लिए विनती करता हूं. भारत के इंटेलीजेंट स्टूडेंट्स को भी बाहर पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है क्योंकि देश में उन्हें मेडिकल सीट पाने के लिए करोड़ों रुपये देने पड़ते हैं और हमारे छात्रों को कम पैसे खर्च करके विदेश में समान शिक्षा या यहां से भी अच्छी शिक्षा मिल जाती है. वहां के संस्थानों में प्रैक्टिकल इक्विपमेंट भी यहां से बेहतर हैं. यहां भारत में कास्ट के बेस पर सीटें अलॉट की जाती हैं. मेरे बेटे के पीयूसी में 97 फीसदी नंबर थे, बावजूद इसके वह राज्य में मेडिकल सीट हासिल नहीं कर सका.'
पीएम और सीएम ने की बात
नवीन की मौत की खबर आने के बाद उनके पिता ज्ञानगौदर से पीएम नरेंद्र मोदी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बात की. पीएम मोदी ने नवीन के पिता से फोन पर बात कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और उन्हें ढांढस बंधाया. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नवीन के पिता से बात करने के बाद एक ट्वीट किया. इसमें मुख्यमंत्री बोम्मई ने लिखा,'यूक्रेन में गोलाबारी में कर्नाटक के छात्र नवीन ज्ञानगौदर की मौत पर स्तब्ध हूं. परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. हम लगातार विदेश मंत्रालय के संपर्क में हैं और उनके पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.'
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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (फोटो: आजतक)
मंत्री ने कहा- एग्जाम पास नहीं कर पाते वे जाते हैं यूक्रेन
भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत के बाद से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का एक विवादित बयान काफी चर्चा में है. नवीन की मौत से एक दिन पहले ही जोशी ने विदेश में पढ़ने वाले छात्रों को लेकर यह बयान दिया था. दरअसल, सोमवार, 28 फरवरी को प्रह्लाद जोशी कर्नाटक के बेलगावी में भारतीय छात्रों की वापसी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दे रहे थे. इसी दौरान उनसे पूछा गया कि कर्नाटक के इतने सारे छात्र विदेश में क्यों पढ़ रहे हैं और क्या राज्य में हायर एजुकेशन (उच्च शिक्षा) की फीस बहुत ज्यादा होने के चलते छात्र विदेश का रुख करते हैं? टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस सवाल का जवाब देते हुए प्रह्लाद जोशी ने कहा,'जो (छात्र यूक्रेन से) वापस आए हैं, उनमें से 90% भारत में मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं को पास नहीं कर पाते. यह बहस करने का सही समय नहीं है कि छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर क्यों जा रहे हैं...मैं इस पर विवाद पैदा नहीं करना चाहता और न ही कोई बहस शुरू करना चाहता हूं. इसलिए, मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि भारत ने उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए वहां (यूरोप के कुछ देशों) के अपने दूतावासों में अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया है...हम यूक्रेन सरकार और रूस के साथ लगातार संपर्क में हैं, और हम जल्द ही अपने देश के सभी छात्रों को घर वापस लाएंगे.'
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