रूस का यूक्रेन (Ukraine) पर हमला लगातार तेज़ हो रहा है. कई रिहायशी इलाकों पर भी हमले हुए हैं. दशहत में लाखों की संख्या में लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने पहुंच रहे हैं. ऐसे में भारतीय छात्र (Indian Students) भी वहां से जल्द से जल्द निकलना चाह रहे हैं. जिनको यूक्रेन से निकालने की कोशिश शुरू भी हो चुकी है. लेकिन अभी वहां से निकाले गए छात्रों के मुकाबले, वहां फंसे छात्रों की संख्या काफी अधिक है. कई ऐसे छात्र हैं, जो अभी भी यूक्रेन-पोलैंड बॉर्डर पर फंसे हैं. भूखे-प्यासे कई किलोमीटर चलकर बॉर्डर पहुंचे इन छात्रों को अब हताशा हो रही है, जिन्हें पोलैंड में एंट्री नहीं दी जा रही है.
'सिर्फ यूक्रेनियों के लिए आ रही कैब'
एक भारतीय छात्र ने आजतक को वीडियो भेजकर अपनी आपबीती सुनाई. छात्र का नाम आर्यन है, जिसने अपने सीनियर स्टूडेंट के वीडियो भेजे हैं. इन्हीं में से एक वीडियो में निखिल कुमार नाम के छात्र ने बताया कि उनको कैब ने पोलैंड सीमा से पहले ही छोड़ दिया और उसके बाद जब वो जैसे-तैसे बॉर्डर पहुंचे हैं, तो वहां सिर्फ यूक्रेन के लोगों को एंट्री मिल रही है. निखिल के मुताबिक, वो लोग कैब करके होस्टल से पोलैंड के लिए निकले थे. लेकिन बॉर्डर से लगभग 25 km पहले कैब ने उतार दिया. पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर पहुंचे, तो वहां देखा कि सिर्फ यूक्रेन के लोगों को लेने के लिए पोलैंड से छोटी छोटी वैन आ रही हैं. उनके पास ना तो वहां से निकलने का रास्ता है और ना खाने के लिए कुछ. निखिल ने कहा कि वो लोग पिछले 13 घंटे से बिना खाना-पानी के हैं.
आजतक को भेजे अन्य वीडियो में एक भारतीय छात्र रोता हुआ दिखाई पड़ रहा है. छात्र रोते हुए कहता है,
"खुद को कितना संभाला जाए.. हम लोग अभी तक जूनियर को संभाल रहे थे.. अब तो लगता है इससे अच्छा होता कि (हम) किसी मिसाइल का ही शिकार हो जाते. ऐसा लगता है हम यहां अनाथ है कोई हमारा है ही नहीं."
इसी तरह के एक अन्य वीडियो में कुछ छात्र फोन पर किसी अधिकारी से बहस करते नजर आए. बातचीत से ऐसा लगा कि छात्र मदद न मिलने से नाराज़ हैं. आपको बता दें कि यूक्रेन से भारतीय छात्र निकाले जा रहे हैं. सुबह फ्लाइट छात्रों को लेकर भारत पहुंची है. लेकिन यूक्रेन के अलग अलग शहरों में अभी कई बच्चे फंसे हुए हैं. रिहायशी इलाकों पर हमले को देखते हुए भारतीय छात्र और उनके परिवारों की चिंता बढ़ने लगी है.
'वॉर की खबरों को बताया फेक'
यूक्रेन में फंसे कई छात्रों का कुछ ऐसा ही हाल है. इंडिया टूडे को यूक्रेन में मेडिकल के छात्र तबिश अली सिद्दीकी ने बताया कि बहुत जल्द उनके पास खाने-पीने को कुछ नहीं बचेगा. यूपी के गाजियाबाद के रहनेवाले तबिश ने एक अपार्टमेंट में अपने कुछ दोस्तों के साथ शरण ली हुई है. उनका कहना है कि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि छात्रों ने पहले ही यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन क्लास रखने का अनुरोध किया था. ताकि वो यूक्रेन छोड़कर अपने घर जा सकें. लेकिन, तब यूनिवर्सिटी ने युद्ध की खबरों को फेक बताकर इस पर गंभीरता नहीं दिखाई.
यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को अब खाने-पीने की किल्लत होने लगी है. (फोटो- इंडिया टुडे)
कई अन्य छात्रों ने इसी तरह की समस्याएं मीडिया को बताईं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, छात्र माइनस पांच डिग्री तापमान में पोलैंड बॉर्डर के पास फंसे हुए हैं. इस दौरान ना उनके पास छत है और ना ही खाने पीने को कुछ. छात्रों को ये भी चिंता है कि एंबेसी अधिकारियों से उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है और जल्द ही उनके फोन की बैटरियां खत्म हो जाएंगी.
ऐसी ही जानकारी कीव में फंसे भारतीय छात्रों ने आजतक को फोन पर दी. मोतिहारी के रहने वाले ये छात्र कड़ाके की ठंड में एक बंकर में छिपे हैं. मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन आए इन छात्रों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील है कि एंबेसी की मदद से उन्हें बॉर्डर तक सुरक्षित पहुंचा दिया जाए. ताकि वो अपने घर पहुंच सकें. आपको बता दें कि भारत सरकार छात्रों को यूक्रेन से निकालने के फ्लाइटें संचालित कर रही है, लेकिन इसके लिए उनका तनावग्रस्त इलाके से निकलकर बॉर्डर पहुंचना बहुत जरूरी है. इस वक्त कई छात्रों के लिए भारत सरकार की फ्लाइट तक पहुंचना ही सबसे बड़ी चुनौती है.
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