बांग्लादेश में हमले पर बोला ISKCON, 'हिंदू मारे जा रहे, UN को सिर्फ इस्लामोफोबिया की चिंता'

02:51 PM Mar 19, 2022 |
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होली से एक दिन पहले जब लोग होलिका दहन की तैयारियां कर रहे थे, तब बांग्लादेश में एक ऐसी घटना घटी जिसका शोर भारत तक सुनाई दिया. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ISKCON राधाकांत मंदिर में भीड़ ने हमला कर दिया. मंदिर में तोड़ फोड़ की गई और मंदिर परिसर में रखी कई कीमती चीज़ों को लूट लिया. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, बीती 17 मार्च की शाम 7 बजे ढाका की लाल मोहन साहा स्ट्रीट स्थित मंदिर पर हाजी सैफुल्ला की अगुवाई में ये हमला किया गया. भीड़ में 200 से ज्यादा लोग शामिल थे. लोगों के साथ मारपीट की गई. कई लोगों के घायल होने की भी खबर है. हमले के बाद पुलिस ने भीड़ को काबू में किया.

UN पर ISKCON का निशाना

इस मामले पर कोलकाता इस्कॉन मंदिर के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास ने सीधे संयुक्त राष्ट्र पर निशाना साधा है.   राधारमण दास ने ट्वीट कर कहा ,
"कुछ दिन पहले, संयुक्त राष्ट्र ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए 15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया. हमें आश्चर्य है कि वही संयुक्त राष्ट्र हजारों असहाय बांग्लादेशी और पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों की पीड़ा के प्रति मौन है. इतने सारे हिंदू अल्पसंख्यकों ने अपनी जान गंवाई है, संपत्ति खोई है, अल्पसंख्यक महिलाओं का बलात्कार हुआ है. लेकिन अफसोस, संयुक्त राष्ट्र सिर्फ इस्लामोफोबिया पर विचार कर सकता है."

भारतीय उच्चायोग ने क्या कहा?

इस मामले पर भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि वो अल्पसंख्यक समूहों, लॉ इन्फोर्समेंट और बांग्लादेश के सीनियर नेताओं के संपर्क में है. उच्चायोग ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के मुताबिक ये विवाद उस जमीन से जुड़ा हुआ है, जिसके ऊपर इस्कॉन मंदिर बना है. उच्चायोग ने बताया कि कथित तौर पर विवाद को लेकर हाल ही में एक फैसला आया था. फैसला एक समूह के पक्ष में था. उसके बाद उसी पक्ष ने जबरन फैसले को एकतरफा तरीके से लागू करने की कोशिश की. आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है, जब बांग्लादेश में इस तरह की घटना हुई हो. पिछले साल नोआखली में भी इस्कॉन मंदिर पर हमले की खबर सामने आई थी. जिसमें इस्कॉन के एक सदस्य की हत्या की गई थी. आजतक की खबर के मुताबिक, पिछले 9 साल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 3,600 से ज्यादा हमले हुए हैं. इनमें से 1,678 बार धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की गई.
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