अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra-2022) दो साल बाद 30 जून से शुरू होने जा रही है. इसके लिए रजिस्ट्रेशन 11 अप्रैल 2022 से शुरू होंगे. रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होंगे और एक दिन में 20 हजार लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (Shri Amarnath Shrine Board) की 41वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक के बाद मनोज सिन्हा ने बताया कि 43 दिन की पवित्र तीर्थयात्रा 30 जून को शुरू होगी. यात्रा के दौरान सभी कोविड प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाएगा. यात्रा परंपरागत रूप से रक्षा बंधन के दिन ही खत्म होगी.
इस बार अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने निर्णय लिया है कि यात्रा अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गांदरबल जिले के बालटाल से एक साथ शुरू होगी. हेलीकॉप्टर से यात्रा करने वाले यात्रियों को छोड़कर आम रास्ते से 10 हजार तीर्थयात्री ही एक बार में यात्रा कर पाएंगे. साथ ही इस बार बालटाल से डोमेल तक 2.75 किलोमीटर लंबे रास्ते पर भी मुफ्त बैटरी कार सेवा को शुरू किया जाएगा.
सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम?
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से ये भी बताया गया है कि दक्षिण कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में स्थित अमरनाथ तीर्थस्थल में तीर्थयात्रियों की आवाजाही के लिए इस बार रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) आधारित ट्रैकिंग की जाएगी. इस बारे में जानकारी देते हुए उपराज्यपाल ने अधिकारियों से सक्रिय रहने को कहा है. उन्होंने कहा,इस साल अमरनाथ की पवित्र गुफा में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है. सरकार तीर्थयात्रियों के लिए RFID प्रणाली शुरू कर रही है, ताकि रास्ते में उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके. बैठक में SSB के सीईओ नितीशवर कुमार ने यात्रा के रास्ते का मानचित्र और यात्रा के लिए पवित्र गुफा में SSB की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं की जानकारी दी है.
RFID क्या है, ये भी जान लीजिए?
RFID का पूरा नाम Radio Frequency Identification होता है. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यह एक वायरलेस आइडेंटिफिकेशन तकनीक है, जो रेडियो वेव की फ्रीक्वेंसी पर आधारित आइडेंटिफिकेशन का काम करता है. इस तकनीक का उपयोग ऑटोमेटिक तरीके से किसी चीज की पहचान या उसे ट्रैक करने के लिए किया जाता है. आपने शॉपिंग मॉल्स में देखा होगा कि सामान खरीदने के बाद जब बिलिंग काउंटर पर जाते हैं, तो खरीदे हुए सामान से एक टैग को स्कैन किया जाता है. ये RFID तकनीक पर ही बेस्ड रहता है. इस बार इसी तकनीक का उपयोग अमरनाथ यात्रा में लोगों की सुरक्षा के लिहाज से उन्हें ट्रैक करने में किया जाएगा.
चलते हुए आपको बता देते हैं कि पिछले 2 साल से कोरोना महामारी के चलते अमरनाथ यात्रा रद्द चल रही थी. हालांकि, इस दौरान गुफा में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा अमरनाथ का पूजन होता रहा. वहीं, मचैल माता यात्रा भी रद्द कर दी गई थी. इसके लिए भी प्रतीकात्मक रूप से केवल पूजा और हवन की अनुमति दी गई थी.
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