"कुछ देर बाद डीएम साहब फोन करके प्रश्नपत्र मांगने की बात करने लगे. मैंने डीएम साहब को प्रश्नपत्र वॉट्सऐप पर भेज दिया और उसके बाद ऑफिस चला आया. मेरे दफ्तर जाने के बाद कोतवाल वहां आए और (मुझसे) अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए दफ्तर में तोड़फोड़ तक की."पत्रकार ने आगे कहा,
"मुझे जबरन गाड़ी में बैठाकर कोतवाली लाए. हमने उनसे सवाल भी किया कि इसमें हमारा क्या कसूर है. हम उनके साथ नहीं आ रहे थे तो उन्होंने हमारे सहयोगियों के साथ हाथापाई की, धक्का-मुक्की तक कर डाली. और यहां हमें करीब 3 घंटे से बिठा रखा है."वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि अजित बलिया के हरिपुर जिगनी में उच्च माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक है और साथ में वह संवाददाता का भी कम भी करता है. पुलिस को अजित के खिलाफ शिकायत मिली थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है.
समर्थन में आए लोग
अजित ओझा का ये वीडियो देख सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. रितेश यादव नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा,"सच बोलना नहीं है, सच सुनना नहीं है. सच देखना नहीं है. छोटे पत्रकारों को दबाया जाता है. बड़े पत्रकार सब चुपचाप सब देखते है."
निंदनीय! महोदय योगी आदित्यनाथ, क्या खबर छापना जुर्म हो चुका है? प्रश्नपत्र की सुरक्षा आप नहीं कर पाते. सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. पत्रकार खबर छापे तो आपकी कार्रवाई, मुकदमे, बेइज्जती झेले.
ये ज़ुल्म देखिए कि घरों में लगी है आग, और हुक्म है मकीन निकल कर न घर से आएं.
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