उधर, मंत्रियों के इस्तीफे के बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि श्रीलंका में जल्द ही एक सर्वदलीय सरकार बनाई जा सकती है. यानी वर्तमान सरकार में विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया जाएगा. श्रीलंकाई मीडिया के मुताबिक सरकार का मानना है कि इससे देश में स्थिरता आ सकती है.
राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग और जनता का विरोध-प्रदर्शन
श्रीलंका आर्थिक तौर पर अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और इस वजह से देश की जनता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है. सरकार के खिलाफ लोगों के प्रदर्शन को रोकने के लिए राष्ट्रपति ने 1 अप्रैल को आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद 2 अप्रैल से 4 अप्रैल की सुबह तक कर्फ्यू भी लगाया गया. Advertisement
श्रीलंका में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (फोटो- पीटीआई)
4 अप्रैल की सुबह खत्म होने वाले कर्फ्यू के बावजूद 3 अप्रैल की शाम को व्यापक विरोध प्रदर्शन देखा गया. श्रीलंका की सड़कों पर कई जगह सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े. कर्फ्यू का उल्लंघन करने और सरकार विरोधी रैली करने की कोशिश के आरोप में श्रीलंका के पश्चिमी इलाकों में 600 से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया गया.
खराब आर्थिक हालातों का सामना कर रहा श्रीलंका
श्रीलंका इस वक्त जिस दौर से गुजर रहा है, वो दौर उसने दशकों से नहीं देखा है. सरकारी खजाना लगभग खाली हो गया है. विदेशी मुद्रा इतनी कम बची है कि वो अपनी जरूरत का ईंधन तक नहीं जुटा पा रहा है. श्रीलंका में पेट्रोल-डीज़ल और LPG गैस की भारी किल्लत हो गई है. इतना ही नहीं, खाने-पीने का सामान इतना कम हो गया है कि कीमतें आसमान छू रही हैं.कोलंबो में दुकान के बाहर लाइन में लगे लोग. (फोटो- इंडिया टुडे)
आम आदमी के लिए रोज की जरूरत का सामान खरीदना मुश्किल हो रहा है. लोगों को खाने-पीने के सामान और दवाइयों जैसी जरूरी चीजों के लिए घंटों तक लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है. पावर सप्लाई में कटौती लोगों के लिए अलग सिर दर्द बन गई है. एक दिन में 13-13 घंटे बिजली की कटौती हो रही है.
वीडियो- श्रीलंका: चरमराती अर्थव्यवस्था और सड़कों पर प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति ने आपातकाल लगाया