'देखो इस ऑस्ट्रेलिया का मूल पता है कैसे आया? महाभारत में (ये) अस्त्रालया था, जो (बाद में) ऑस्ट्रेलिया बना. कहते हैं वहां सारे पावरफुर वेपन्स रखे होते थे. इसलिए आज भी ऑस्ट्रेलिया के बीचोंबीच पूरा मरुस्थल है. वैज्ञानिक कहते हैं कि कई हजारों साल पहले यहां कोई न्यूक्लियर धमाका हुआ होगा. ना वहां कोई जीव-जन्तु है, ना कोई वृक्ष है. जो भी ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या है वो समुद्र के किनारे-किनारे है.'रविशंकर का ये वीडियो किस समय का है, नहीं पता. लेकिन इस समय इसकी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है. कई लोग उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं तो कई खिल्ली उड़ा रहे हैं. कुछ रिएक्शन्स देखें.
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वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट. (साभार- Twitter@Bazingaa_aaa)
कबलजीत सिंह नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया है,
'इस वीडियो ने मुझे एक ब्रिटिश और एक ब्राह्मण की बातचीत याद दिला दी, जिसमें ब्राह्मण ने कृष्ण को 'क्रिश्यन' (यानी क्रिश्चियन) साबित कर दिया था.'
'हे भगवान! मेरे देश को मूर्ख व्यक्तियों (राजनेता और संघी विचारों वाले संत) से बचाइए जो हर चीज को भगवा कर देते हैं और कुछ भी गप मारते हैं.'
अक्षय नाम के ट्विटर यूजर ने तंज कसते हुए कहा,
'ये अगर सच भी है... तो युद्ध जैसी आपातकालीन स्थिति में यूपी से ऑस्ट्रेलिया जाने में कितना टाइम लग जाता? ये बात हजम नहीं हुई. कहीं आसपास ही छिपा देते यार हथियार.'
'अब भी मजा नहीं आया. 6 महाद्वीप और बाकी हैं.'
सुरेंद्र सिंह नाम के यूजर ने मजेदार ट्वीट किया. उन्होंने लिखा,
'सही कहा, इसी तरह जापान में सिर्फ पान की दुकानें थीं. और जब भी पान की तलब लगती तो सेठ अपने नौकर से कहता, 'जा पान' ले आ. फिर धीमे-धीमे सिर्फ जापान कहा जाने लगा. अगला खुद समझ जाता था कि पान मंगवाया जा रहा है. आज उस देश का नाम ही जापान हो गया और जापानी हमें पान गुटका खिला-खिला के अमीर हो गए.'
ऑस्ट्रेलिया को कहां से मिला अपना नाम?
रविशंकर के दावे की हंसी इसलिए उड़ रही है क्योंकि वीडियो में वे ऑस्ट्रेलिया के कभी अस्त्रालया होने का कोई सबूत या क्रेडिबल रेफरेंस देते नहीं दिखते. इसलिए ये बिल्कुल वैसा लगता है कि ताजमहल वाली जगह पर कभी एक मंदिर था, जिसका नाम तेजोमहालय था.बहरहाल, अब ऑस्ट्रेलिया के नाम से जुड़े इतिहास पर थोड़ी नजर मारते हैं. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया (NLA) के मुताबिक 19वीं सदी के बिल्कुल शुरुआती सालों में पहली बार ऑस्ट्रेलिया के लिए 'ऑस्ट्रेलिया' शब्द का इस्तेमाल बतौर सुझाव किया गया था.
दरअसल समुद्र की यात्राएं करने वाले यूरोपीय देशों को सदियों से विश्वास था कि पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में एक बहुत बड़ा लैंड मौजूद है. वे इस जगह को 'टेरा ऑस्ट्रेलीज इनकॉग्नीटा' या 'अननोन साउथ लैंड' कहते थे. 17वीं शताब्दी के दौरान कई डच नैवीगेटर ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग तटों पर पहुंचे. उन्होंने इस जगह को 'न्यू हॉलैंड' कहा. लेकिन ये नाम बदलने वाला था. 1803 में इस महाद्वीप के करीब पहुंचे इंग्लिश खोजी मैथ्यू फ्लिंडर्स. उन्होंने 1804 में हाथ से बनाए गए एक नक्शे पर ऑस्ट्रेलिया लिखा था. पहचान के लिए. ऑस्ट्रेलिया की नेशनल लाइब्रेरी के पास इस नक्शे की एक सुधरी हुई कॉपी
मौजूद है.
1814 में मैथ्यू फ्लिंडर्स की ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर किताब छपी. लेकिन उसमें टेरा ऑस्ट्रेलीज शब्द का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि फ्लिंडर्स ने साफ किया था कि उनका रेफरेंस ऑस्ट्रेलिया ही था.
वैसे 1804 से 259 साल पहले 1545 में भी एक जगह ऑस्ट्रेलिया शब्द प्रकाशित हो चुका था. ये हम बता चुके हैं कि यूरोप के खोजकर्ताओं ने दक्षिणी गोलार्ध में बड़ी जमीन होने की कल्पना की थी. NLA के मुताबिक इसीलिए 1545 में प्रकाशित एक खगोलीय पुस्तक या लेख में छपे नक्शे में इस कल्पित भूमि को 'ऑस्ट्रेलिया' बताया गया था.
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