कोरोना वायरस नहीं हुआ, स्मार्टफ़ोन का मॉडल हो गया है. हर कुछ महीनों में नए अपडेट्स के साथ मार्किट में आ जाता है. अभी-अभी लोगों ने ओमिक्रोन से जान छुड़ाई है. वैसे कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट ने वैसी तबाही नहीं मचाई जैसी डेल्टा ने मचाई थी.
ओमिक्रोन वेरिएंट के केसेस इंडिया में दिसंबर 2021 में पता लगे थे. उसके बाद ये तेज़ी से फैला. हालांकि फ़रवरी आते-आते इसके केसेस घटने लगे. साथ ही ओमिक्रोन वेरिएंट से होना वाला इन्फेक्शन भी माइल्ड से मोडरेट रहा. अभी ओमिक्रोन वेरिएंट के चर्चे खत्म नहीं हुए थे, कि इसके नए वेरिएंट की खबरे आने लगी हैं. इसका नाम है BA.2 सब वेरिएंट. इंडिया टुडे और बाकी न्यूज़ वेबसाइट्स में छपी ख़बरों के मुताबिक, WHO ने कहा है कि वो ओमिक्रोन के BA.2 सब वेरिएंट पर नज़रें गड़ाकर बैठा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये वेरिएंट ओमिक्रोन से भी तेज़ी से फैल सकता है. पर ये कितना घातक होगा, इस पर अभी भी जांच चल रही है. BA.2 सब वेरिएंट डेनमार्क, यूके, पाकिस्तान और इंडिया के कुछ हिस्सों में पाया गया है.
इसके केसेस अभी तक 40 देशों में रिपोर्ट किए गए हैं. आज जानते हैं कि ये ओमिक्रोन का BA.2 वेरिएंट क्या है. क्या ये ओमिक्रोन से ज़्यादा घातक साबित हो सकता है? साथ ही पता करते हैं कि इसका बचाव और इलाज क्या है.
अब ये ओमिक्रोन BA.2 वेरिएंट क्या है?
ये हमें बताया डॉक्टर अविरल वत्स ने. Advertisement
डॉक्टर अविरल वत्स, एनएचएस, स्कॉटलैंड-कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की वेव पूरी दुनिया में चल रही है.
-ओमिक्रोन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से काफ़ी अलग है.
-क्योंकि इसमें कई म्यूटेशन पाए गए थे.
-जिसके चलते WHO ने इसे वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न भी घोषित किया था.
-ओमिक्रोन वेरिएंट में भी कई म्यूटेशन पाए जा चुके हैं.
-जिसके चलते इसके 3 और नए भाग पाए जा रहे हैं.
-वो हैं BA.1, BA.2, BA.3.
-BA.1 ओमिक्रोन का जो सब-वेरिएंट है, उसकी वेव पूरी दुनिया में चली है.
-भारत में भी चल रही है.
-BA.2 अब काफ़ी देशों में फैल रहा है.
-बहुत तेज़ी से फैल रहा है.
-पुराने वेरिएंट BA.1 की जगह BA.2 वेरिएंट ले रहा है.
-BA.2 वेरिएंट में कई ज़्यादा म्यूटेशन हैं BA.1 के मुकाबले.
-BA.2 की फैलने की क्षमता काफ़ी तेज़ है.
-एक अनुमान के मुताबिक ये डेल्टा वेरिएंट जितना ही घातक है.
-हालांकि जो BA.1 वेरिएंट था, उसकी घातकता थोड़ी कम थी.
-BA.2 वेरिएंट जो आजकल ज़्यादा फैल रहा है, उसकी क्षमता इम्युनिटी से बच निकलने में ज़्यादा पाई जा रही है.
-क्योंकि BA.2 इतनी तेज़ी से फैल रहा है कि वो BA.1 को रिप्लेस कर रहा है.
-इसके चलते एक्सपर्ट्स मांग कर रहे हैं कि BA.2 को नया वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न घोषित किया जाए.
-क्योंकि इससे जो ख़तरा है वो बढ़ा हुआ है, बना हुआ है.
-ये BA.1 वेरिएंट को भी रिप्लेस कर रहा है.
-ये याद रखें कि BA.1 वेरिएंट ने डेल्टा को रिप्लेस किया था.
-डेल्टा वो वेरिएंट है जिससे भारत में इतनी बड़ी वेव आई थी.
-जिसके चलते भारत में कई मौतें हुई थीं.
ओमिक्रोन का BA.2 वेरिएंट कितना घातक हो सकता है?
-BA.2 वेरिएंट की घातकता इस बात पर निर्भर करती है कि वो कितनी तेज़ी से फैलता है और कितना बीमार करता है.-ये इम्युनिटी से कितना बचकर निकल सकता है.
-चाहे वो वैक्सीन की इम्युनिटी हो.
-या पुराने इन्फेक्शन की इम्युनिटी हो.
-BA.2 वेरिएंट की फैलने की क्षमता काफ़ी तेज़ है.
-ओमिक्रोन के BA.1 वेरिएंट के बराबर की है.
-इसकी घातकता नापने के लिए अभी और प्रूफ का इंतज़ार किया जा रहा है.
-WHO के मुताबिक ये ज़्यादा सीवियर नहीं है.
-BA.2 वेरिएंट BA.1 वेरिएंट से ज़्यादा सीवियर नहीं है.
-लेकिन कुछ सेल्स की स्टडी आई हैं, जिनसे पता चला है कि BA.2 वेरिएंट की घातकता डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले की हो सकती है.
-डेल्टा वेरिएंट बहुत ही घातक साबित हुआ था सभी के लिए.
-डेल्टा, ओमिक्रोन, BA.1, BA.2, इन सब में फ़र्क इन सब के जेनेटिक कोड में बदलाव है.
-इन बदलावों को म्यूटेशन कहते हैं.
-डेल्टा से जब ओमिक्रोन आया तो उसमें 40 से ज़्यादा म्यूटेशन थे.
-BA.1 से BA.2 में भी बहुत बड़ी मात्रा में म्यूटेशन पाए गए हैं.
-ये म्यूटेशन वायरस को तीव्रता से फैलने में मदद करते हैं.
-घातक बीमारी करने में मदद कर सकते हैं.
-इम्युनिटी से बचकर निकलने में मदद कर सकते हैं.
-कई म्यूटेशन डिटेक्शन के टेस्ट से बचकर निकलने में मदद करते हैं.
-जो इलाज चल रहे होते हैं, वो भी उनपर असरदार नहीं होते.
-ऐसे भी म्यूटेशन हो सकते हैं.
-ये फ़र्क है डेल्टा, ओमिक्रोन, BA.1 और BA.2 वेरिएंट में.
-BA.1 और BA.2 को ओमिक्रोन का सब-वेरिएंट माना जा रहा है.
बचाव और इलाज
-ओमिक्रोन भी कोरोना वायरस का वेरिएंट है, इसलिए इसके बचाव के लिए भी वही कदम उठाने हैं, जो हम पहले से उठा रहे हैं.-N95 मास्क काफ़ी कारगर साबित हुए हैं.
-N95 नहीं है तो कम से कम सर्जिकल मास्क तो ज़रूर इस्तेमाल करें.
-वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवाएं.
-जिनको बूस्टर डोज़ लग सकता है, वो बूस्टर लगवाएं.
-बूस्टर कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से बचाव में मदद करेगा.
-वैक्सीन के दोनों डोज़ के बाद भी रिस्क बना हुआ है.
-नए वेरिएंट घातक हो सकते हैं.
-जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है, साथ में वैक्सीन भी लग चुकी है उन्हें काफ़ी प्रोटेक्शन मिल रहा है.
-इलाज भी नए वेरिएंट के लिए वही है, जो अभी तक करते आ रहे हैं.
-कुछ नई दवाइयां आ चुकी हैं जो असरदार साबित हो रही हैं.
-हालांकि कोरोना की दवाई पैक्सलोविड अभी भारत में नहीं आई है.
-मोलनुपिराविर भारत में आ गई, वो असरदार भी साबित हुई है.
-पर उसकी गाइडलाइन के मुताबिक ये सबके लिए नहीं है.
-प्रेगनेंट औरतें और जो पुरुष बच्चों के लिए ट्राई कर रहे हैं, वो दवा लेने के हफ़्ते बाद तक ऐसा करने से बचें.
-ये दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें.
-मोनोक्लोनल एंटीबॉडी हैं जो पहले असर कर रही थीं, पर अब असर नहीं कर रहीं.
-ये फ़र्क आया है नए वेरिएंट के चलते.
-वरना जो पुराने इलाज चल रहे थे, वही इलाज हैं.
-बचाव में कुछ ख़ास बदलाव नहीं है.
-मास्क सबसे ज़रूरी है.
-वेंटीलेशन बहुत ज़रूरी है.
-जितना हो सके भीड़-भाड़ को अवॉइड करें
चलिए अभी तक जो पता चला है, उससे एक चीज़ साफ़ हुई है. ओमिक्रोन का ये नया वेरिएंट पुराने वायरस से और तेज़ी से फैलेगा. हालांकि ये कितना खतरनाक साबित होगा, इसका पता चलना अभी बाकी है. इसलिए ये सोचकर कि ख़तरा टल गया है, लापरवाही न बरतें. मास्क पहनें, सामाजिक दूरी बनाए रखें और अपने हाथों को सैनीटाइज़ करते हैं.
हमें अक्सर कमेंट्स में लोग ये कहते हैं कि आप हमें डरा क्यों रहे हैं. डर क्यों पैदा कर रहे हैं. हमारा मकसद आपको डराना नहीं है. केवल जागरूकता फैलाना है. देश, दुनिया में जो हो रहा है और जिसका असर एक दिन आप पर, अपनों पर भी पड़ सकता है, उन चीज़ों के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है. आंखें बंद कर लेने से ख़तरा टलेगा नहीं. वहीं का वहीं रहेगा. बस आप खुद को उसके लिए तैयार नहीं कर पाएंगे. इसलिए डरें नहीं, बस सावधानी बरतें और जागरूक रहें.
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