2014 में बनाया था रिकॉर्ड
2014 में हुए विधानसभा चुनाव में बोकारो सीट चर्चा में रही थी. वजह थे भाजपा उम्मीदवार बिरंची नारायण. बिरंची नारायण 72,643 वोटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. ये झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत थी. सूबे में भाजपा की सरकार बनी. रघुबर दास मुख्यमंत्री बने और 5 साल सरकार चली.
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2019 में बीजेपी के बिरंची नारायण के मुकाबले कांग्रेस ने श्वेता सिंह को मैदान में उतारा था.
2019 में फिर से चुनाव हुए. टिकट बंटवारे के बात आई तो विधायक होने के कारण बिरंची नारायण प्रबल दावेदार थे. लेकिन उम्मीदवारी घोषित होने से एक दिन पहले ही खेल हो गया. बिरंची नारायण का अश्लील वीडियो. बिरंची नारायण को टिकट तो मिल गया लेकिन पार्टी के लोग उनसे से दूरी बनाने लगे. नामांकन के समय भी उनके साथ स्थानीय सांसद भर मौजूद थे. इसके अलावा उनकी सीट पर प्रचार करने भी कोई बड़ा नेता नहीं आया था. बिरंची नारायण ने वीडियो को फर्जी बताते हुए पुलिस के पास प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी छवि खराब करने के लिए ऐसा किया गया है. पुलिस ने खोजबीन की तो पता चला कि वीडियो वायरल करने वाला शख्स बिरंची नारायण का पूर्व पीए था. उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. वीडियो वायरल इसलिए किया गया था ताकि बिरंची नारायण को टिकट न मिले.
बोकारो सीट का फाइनल रिजल्ट (लाल घेरे में)
2019 में क्या रहा परिणाम?
हालांकि बिरंची नारायण को टिकट भी मिला और वे दोबारा बोकारो के विधायक भी बने. 2019 के विधानसभा चुनाव में उनका मुकाबला कांग्रेस की उम्मीदवार और पूर्व मंत्री समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह से था. बिरंची नारायण ने 13,313 वोटों से श्वेता सिंह को हरा दिया. 2014 में जब बिरंची नारायण ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी तब उन्होंने निर्दलीय समरेश सिंह को हराया था और इस बार उनकी बहू श्वेता सिंह को. जीत का मार्जिन भले ही पहले जैसा न रहा हो लेकिन बिरंची नारायण की ये जीत उनके लिए बहुत मायने रखती है. एमएमएस वायरल होने और बड़े नेताओं के दूरी बनाने के बावजूद जीत दर्ज कर बिरंची नारायण ने हाईकमान को एक तगड़ा संदेश दिया है.
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