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सेंक्वेलिम सीट पर जीते प्रमोद सावंत. फोटो- आजतक
2022 की तरह 2017 में भी इस सीट पर प्रमोद सावंत और धर्मेश सगलानी के बीच टक्कर देखने को मिली थी. पिछले चुनाव में प्रमोद सावंत को कुल 10,058 वोट मिले थे, तो वहीं उनके विरोध में उतरे धर्मेश सगलानी को 7,927 लोगों ने वोट किया था. तब प्रमोद सावंत की जीत का अंतर 2,131 वोट्स का था. यानी इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा कड़ी टक्कर मिली है.
सरकार बनाने का किया दावा
वोट काउंटिंग के दौरान कई बार ऐसे मौके आए जब सावंत, सगलानी से पीछे हो गए. मुकाबला अंतिम राउंड की काउंटिंग तक बना रहा. आखिरकार इस क्लोज फाइट में सावंत ने सगलानी को हरा ही दिया. इस जीत के साथ ही प्रमोद सावंत ने राज्य में सरकार बनाने का दावा कर दिया है. इसके लिए उन्होंने गोवा के गवर्नर पीएस श्रीधर पिल्लई से समय मांगा है.सेंक्विलिम इस बार के गोवा चुनाव की सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही थी. कारण साफ है, इस सीट पर मौजूदा सीएम प्रमोद सावंत चुनाव लड़ रहे थे. पार्टी ने उन पर फिर भरोसा जताया था. उनकी टक्कर में धर्मेश सगलानी के अलावा आम आदमी पार्टी के मनोज कुमार घाडी भी थे. गोवा में इस बार 78.94 पर्सेंट वोटिंग दर्ज की गई थी. सबसे ज्यादा 89.64 पर्सेंट वोटिंग सेंक्विलिम सीट पर ही हुई थी.
प्रमोद सावंत पिछले दो बार से इस सीट पर काबिज हैं. 2008 में उन्हें प्रताप गौंस से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन 2012 में सावंत ने कांग्रेस नेता को मात दे दी थी. 2017 में गौंस ने कांग्रेस की जगह NCP के टिकट पर पर्चा भरा. लेकिन पार्टी बदलने का फायदा उन्हें नहीं मिला. इस बार भी उनको प्रमोद सावंत से शिकस्त झेलनी पड़ी. 2022 के चुनाव में कांग्रेस और NCP दोनों ने ही गौंस को टिकट देने से इंकार कर दिया.
कांग्रेस के धर्मेश सगलानी को पिछली बार भी सावंत के हाथों मिली थी हार. फोटो- आजतक
आयुर्वेद का डॉक्टर
प्रमोद सावंत 24 अप्रैल, 1973 को पैदा हुए. उनके पिता पांडुरंग सावंत जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. वे भारतीय जनसंघ और भारतीय मजदूर संघ में भी एक्टिव थे. बीजेपी में काफी समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर उनकी पहचान है. प्रमोद सावंत के घर में संघ का माहौल था, सो उसका असर प्रमोद पर भी पड़ा. स्कूल की पढ़ाई के बाद प्रमोद ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर की गंगा एजुकेशन सोसायटी से आयुर्वेदिक चिकित्सा में ग्रेजुएशन किया. फिर पुणे की तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में पोस्ट ग्रेजुएशन किया.प्रमोद सावंत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर हैं. उन्होंने मेडिको-लीगल सिस्टम का भी अध्ययन किया है. पढ़ाई के बाद प्रमोद सावंत सरकारी नौकरी में आ गए थे. साल 2008 में मनोहर पर्रिकर उनको राजनीति में ले आए. उस वक्त प्रमोद मापुसा के उत्तरी जिला अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टर थे. बीजेपी नेतृत्व के कहने पर उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया. पार्टी ने उनको सांकेलिम सीट से उपचुनाव लड़ाया. लेकिन प्रमोद चुनाव हार गए. इस बीच सेंक्विलिम सीट का नाम बदलकर साखली हो गया. प्रमोद 2012 में यहां से चुनाव जीते. फिर साल 2017 में यहां से एक बार फिर विधायक बने. मनोहर पर्रिकर मुख्यमंत्री बने. प्रमोद सावंत विधानसभा अध्यक्ष. गोवा के राजनीतिक इतिहास में वे सबसे कम उम्र के विधानसभा अध्यक्ष थे.
प्रमोद भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और युवा मोर्चा के ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. गोवा का सीएम बनने से पहले वे राज्य विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे हैं. 49 साल के सावंत को राजनीति में लाने का श्रेय गोवा के पूर्व सीएम दिवंगत मनोहर पर्रिकर को जाता है. सावंत ज्यादा वक्त तक आरएसएस में नहीं रहे. वे गोवा के बिचोलिम तालुका की आरएसएस शाखा के बौद्धिक प्रमुख थे. पर जल्द ही राजनीति में आ गए थे.
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