"यह कोई किला नहीं है, ये रामपुर खास मेरा घर है. 42 सालों से जनता का आशीर्वाद मिलता रहा है. जो विरासत मेरे पिता ने मुझे दी है, उसके लिए मैं मरते दम तक जनता की सेवा करती रहूंगी. 2024 (लोकसभा चुनाव) की तैयारी अभी से शुरू से करनी हैं, क्योंकि हमारी लड़ाई और चुनौतियां बड़ी है"
सीट पर 4 दशक से कांग्रेस का वर्चस्व
रामपुर खास विधानसभा सीट पर पिछले चार दशकों से कांग्रेस का वर्चस्व है. 1980 से 2012 तक कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद तिवारी इस सीट से लगातार 9 बार विधायक चुने गए. उनके राज्यसभा सांसद बनने के बाद 2017 में इस सीट से उनकी बेटी आराधना मिश्रा ने चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार नागेश प्रताप सिंह को 17 हजार वोटों से हराया था. उससे पहले 2012 के चुनाव में प्रमोद तिवारी ने बसपा के हीरामणि पटेल को हराया था. 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. हालांकि इस बार गठबंधन नहीं होने के बावजूद रामपुर खास में सपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे. वहीं कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह की नई पार्टी ने भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे. इसे चुनावी राजनीति के खास सामंजस्य के रूप में देखा गया था.'परिवारवाद' का आरोप
बीजेपी ने इस चुनाव में 'परिवारवाद' का आरोप लगाते हुए कांग्रेस को टक्कर देने की कोशिश की. बीजेपी नेता नागेश प्रताप सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कहा कि 40 साल से एक ही परिवार राज कर रहा है, वे सिर्फ अपना विकास कर रहे हैं. हालांकि आराधना मिश्रा ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि जब उनके पिता ने इस क्षेत्र में पहली बार जीत हासिल की, तो उस वक्त क्षेत्र में ना सड़कें थीं, ना पुल थे, ना बिजली थी, लेकिन उन्होंने रामपुर खास को अपने घर की तरह सजाया. आराधना मिश्रा ने कहा था कि उनके पिता या उन्होंने शासन नहीं किया, बल्कि क्षेत्र की सेवा की. 2017 विधानसभा चुनाव के मुताबिक, इस क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 3.16 लाख है. इस क्षेत्र में ब्राह्मण और दलित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. वहीं यादव, कुर्मी और क्षत्रिय वोटर्स की संख्या भी अच्छी तादाद में हैं, जो चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं.UP चुनाव 2022 रिजल्ट के बाद राकेश टिकैत का यह बयान हो जाएगा वायरल
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