UP Election: कानपुर मेयर ने वोट डालते हुए बनाया वीडियो, DM ने दिया FIR का आदेश

07:36 AM Feb 20, 2022 |
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तीसरे चरण के तहत उत्तर प्रदेश के 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है. इन जिलों में कानपुर नगर का भी नाम शामिल है. इस बीच कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे ने भी मतदान किया. हालांकि, मतदान करते हुए उन्होंने चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा दीं. मेयर ने ईवीएम में बीजेपी प्रत्याशी को वोट डालते हुए वीडियो रिकॉर्ड किया और फिर इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. पत्रकार शिवम भट्ट ने इस संबंध में कुछ फोटोज अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर कीं. इस पूरे वाकये को कानपुर की जिलाधिकारी ने संज्ञान में ले लिया और प्रमिला पांडे के ऊपर FIR दर्ज करने के आदेश दिए. जिलाधिकारी की तरफ से किए गए एक ट्वीट में कहा गया,
"कानपुर महापौर श्रीमती प्रमिला पांडे के खिलाफ हडसन स्कूल मतदान केंद्र पर मतदान की गोपनीयता भंग करने के लिए संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की जा रही है."

कई नेताओं ने लिए फोटो-वीडियो

कानपुर में ही बीजेपी के एक अन्य नेता और भाजयुमो के पूर्व शहर अध्यक्ष नवाब सिंह ने भी मतदान के दौरान वीडियो रिकॉर्ड किया. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. एक अन्य घटना में, समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अभिमन्यु गुप्ता ने भी नियमों की धज्जियां उड़ाईं और ईवीएम मशीन पर मतदान करते हुए अपना एक वीडियो बनाया, वीडियो को अपने फेसबुक पर साझा किया. प्रमिला पांडे के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी मिलने के बाद गुप्ता ने वीडियो डिलीट कर दिया. इस बीच प्रमिला पांडे का कहना है कि उनकी तस्वीरें किसने लीं, इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि वो इस बात की शिकायत प्रशासन से करेंगी कि किसने बूथ के अंदर कैमरा ले जाने की इजाजत दी. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं है कि उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश हुआ है.

क्या कहते हैं नियम?

भारत के निर्वाचन आयोग कहता है कि वोट डालना आपका हक है और उसकी गोपनीयता को बनाए रखना आपकी जिम्मेदारी. वोट डालने के बाद किसी को भी यह नहीं बताना चाहिए कि आपने किसे आपने वोट दिया है. मत की गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है. अगर कोई अपने या किसी और के मत की गोपनीयता को भंग करता है, तो उसको लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 94 (Section 94 of the Representation of People Act (RPA) 1951)के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में माना जाएगा. कानून कहता है कि जिसने वोट दिया है, सिर्फ वही उस वोट के बारे में जानकारी रख सकता है. यहां तक कि वोटिंग कार्य में लगा कोई कर्मचारी या अधिकारी अगर यह जानने की कोशिश करता है कि आपने किसको वोट दिया, तो ये भी लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 128 (Section 128 of the Representation of People Act, 1951) तहत अपराध की श्रेणी में आएगा. वोटिंग के समय फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी नहीं कर सकते हैं. दूसरी तरफ, इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं. हाल ही में हुए उत्तराखंड चुनाव के दौरान दो युवकों ने पोलिंग बूथ के अंदर से ईवीएम की फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी थी, जिसके बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई की थी.
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