उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों की आज घोषणा होने वाली है. उत्तर प्रदेश में 403, उत्तराखंड में 70, पंजाब में 117, मणिपुर में 60 और गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए नतीजें आएंगे. इन पांच राज्यों में से चार में अभी तक बीजेपी की सरकार थी और पंजाब में कांग्रेस सत्ता में थी.
उत्तर प्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा और कांग्रेस से टक्कर मिल रही है. समाजवादी पार्टी के दो प्रमुख सहयोगी - राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) - भी इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. यूपी में सात चरणों में वोटिंग हुई थी. 10 फरवरी को पहला चरण और सात मार्च को आखिरी चरण का मतदान हुआ था.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 को लेकर तमाम एग्जिट पोल में ये अनुमान लगाया गया है कि भाजपा दोबारा से सत्ता में आ सकती है. यदि ये सर्वे सही साबित होते हैं तो पिछले 37 सालों में योगी आदित्यनाथ ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे जो लगातार दूसरी बार यूपी में सीएम बनेंगे.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को 288 से 326 सीटें मिल सकती हैं, वहीं समाजवादी पार्टी को 71 से 101 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. बसपा तीन से नौ सीटें जीत सकती है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी रैलियों में खूब भीड़ जुटाने में कामयाब रहे, लेकिन अनुमानों से ऐसा लगता है कि यह भीड़ वोटों में परिवर्तित नहीं हुई है.
एग्जिट पोल्स के मुताबिक भाजपा को महिला वोट बैंक का फायदा हो सकता है. कोरोना महामारी के दौरान दिए गए फ्री राशन, कानून व्यवस्था के ठीक करने का दावा, सरकारी नीतियों की जनता तक पहुंच होना और धार्मिक ध्रुवीकरण के साथ-साथ जातिगत गठजोड़ भाजपा के लिए बड़े फैक्टर साबित हो सकते हैं.
पिछली बार यानी साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को 312, सपा को 47, बसपा को 19 और कांग्रेस को सात सीटें मिली थीं.
पंजाब के सत्ताधारी दल कांग्रेस को कई फ्रंट पर लड़ाई लड़नी पड़ी है- पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर. चुनाव के पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बनाई और फिर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. वहीं, शिरोमणि अकाली दल ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी से अलग होकर बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा. साल 1996 के पंजाब चुनाव के बाद यह पहला मौका है, जब अकाली दल और भाजपा ने अलग होकर चुनाव लड़ा है.
कई एजेंसियों ने अपने एग्जिल पोल्स में अनुमान लगाया है कि इस बार आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बना सकती है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक आप 76 से 90 सीटें जीत सकती है. इन आंकड़ों ने कई विशेषज्ञों को चकित कर दिया है क्योंकि इसमें से अधिकतर त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे थे.
पंजाब में कुल 1,304 कैंडिडेट मैदान में हैं, जिसमें से 93 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर हैं. राज्य में कुल 71.95 फीसदी मतदान हुआ है, जो कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तुलना में न्यूनतम है.
ऐसा माना जा रहा है कि पंजाब में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की भावनात्मक अपील का पार्टी को लाभ मिला है, जिसमें उनकी कैचलाइन थी 'एक मौका केजरीवाल नू' मतलब एक मौका केजरीवाल को दो. चुनाव प्रचार में आप इस बात पर जोर देती थी कि राज्य ने कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा दोनों को मौका दिया है, इस बार वे उन्हें एक चांस देकर देखें.
आप कुशासन का मुद्दा उठाकर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ नैरेटिव बनाने में सफल रही. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा सहित पार्टी के नेताओं का कहना था कि जनता कांग्रेस और अकाली दल को उनके गलत कामों के लिए उखाड़ फेंकेगी.
एग्जिट पोल्स की मानें तो पंजाब में पार्टी के अंदर खींचतान के साथ-साथ पांच साल की सत्ता विरोधी लहर ने भी कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाई है. वहीं, अकाली दल साल भर पहले तक भाजपा के साथ केंद्र में सत्ता का साझेदार था, माना जा रहा है कि इस वजह से उसे किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा. हालांकि, किसान आंदोलन के दौरान किसानों की नाराजगी को देखते हुए अकाली दल ने केंद्र की बीजेपी सरकार का साथ छोड़ दिया था.
आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह, बेहतर बुनियादी ढांचे, मुफ्त बिजली जैसे वादे कर वोटरों को लुभाया है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें, आप को 20, शिरोमणि अकाली दल को 15 और बीजेपी को तीन सीटें मिली थीं.
उत्तराखंड में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है. जहां एक तरफ कांग्रेस सत्ता-विरोधी लहर का फायदा उठाना चाह रही है, वहीं भाजपा ने अपने विकास कार्यों के आधार पर फिर से सत्ता में लौटने का दावा किया है.
राज्य में 14 फरवरी को एक फेज में चुनाव हुआ था और 65 फीसदी से अधिक वोट पड़े थे. उत्तराखंड चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. कई एग्जिट पोल में भी ये अनुमान लगाया गया है कि आम आदमी पार्टी राज्य में खाता खोल सकती है.
उत्तराखंड के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं से, प्रीतम सिंह चकराता से, यशपाल आर्या बाजपुर से, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से, मदन कौशिक हरिद्वार से और धन सिंह रावत श्रीनगर विधानसभा सीट से मैदान में हैं.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में भाजपा की जीत का अनुमान लगाया गया है. एजेंसी के सर्वे के मुताबिक बीजेपी को 36 से 46 सीटें, कांग्रेस को 20 से 30 सीटें और आप को दो से पांच सीटें मिल सकती हैं. जबकि, एबीपी-सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक राज्य में कांग्रेस सरकार बना सकती है. इस सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 32 से 38 सीटें, भाजपा को 26 से 32 सीटें और आप को दो सीटें मिल सकती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2017 में यहां भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस को 11 सीट से संतोष करना पड़ा था.
मणिपुर और गोवा में पिछली बार कांग्रेस को भाजपा से ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन अंत में भाजपा ने जोड़-तोड़ करके सरकार बनाई थी.
मणिपुर में दो चरणों- 28 फरवरी और 5 मार्च- को चुनाव हुआ था. इसमें से पहले चरण में रिकॉर्ड 88.63 फीसदी और दूसरे चरण में 76.04 फीसदी मतदान हुआ था. राज्य के 12 बूथों पर दोबारा चुनाव कराने का आदेश भी दिया गया था. इस बार राज्य की कुल 60 विधानसभा सीटों पर 265 उम्मीदवारों ने दांव लगाया है.
मणिपुर जैसे राज्य में यह देखा गया है कि नेता आसानी से दल-बदल कर देते हैं, एक पार्टी से दूसरी पार्टी में चले जाते हैं और सरकार गिर जाती है. कई सारे प्रभावी नेता निर्दलीय चुनाव लड़ते आए हैं, जिसके कारण अंतिम परिणाम आने तक एक अनिश्चितता की स्थिति बनी रहती है. राज्य में मतदाता ज्यादातर कैंडिडेट के आधार पर वोट करते हैं, जिसमें कबीले और आदिवासी वफादारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
हालां,कि तमाम एग्जिट पोल्स भाजपा को जीतता हुआ दिखा रहे हैं. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक भाजपा को 33 से 43 सीटें मिल सकती हैं. जबकि कांग्रेस को चार से आठ सीटों में ही संतोष करना पड़ सकता है. जबकि एनपीपी को चार से आठ सीटें एवं अन्य को 06-15 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, सी-वोटर ने भाजपा को 23-27, कांग्रेस को 12-16 और एनपीपी को 10-14 सीटें मिलने का दावा किया है.
साल 2017 में कांग्रेस मणिपुर की 28 सीटें जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन भाजपा तीन क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही थी. हालांकि, इन तीनों पार्टियों- एनपीपी, एनपीएफ और जदयू ने एन बीरेन सिंह सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया है और दावा किया है कि वे इस चुनाव में 'किंगमेकर' की भूमिका निभाएंगे.
मणिपुर के चुनाव में अंडरग्राउंड सशस्त्र संगठनों की भी भूमिका प्रमुख रहती है. ऐसे ही एक ग्रुप- कुकी नेशनल संगठन - ने इस चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की थी.
इन पांच राज्यों में से गोवा के एग्जिट पोल में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. एक्सिस-माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक कांग्रेस को 15-20 सीटें और भाजपा को 14-18 सीटें मिल सकती हैं. जबकि सी-वोटर ने अपने सर्वे में कहा है कि कांग्रेस को 12-16 सीटें और भाजपा को 13-17 सीटें मिल सकती है. बतादें, इस बार राज्य की 40 विधानसभा सीटों पर कुल 78.94 फीसदी मतदान हुआ है.
इस बार के चुनाव में प्रमोद सावंत (भाजपा), विपक्ष के नेता दिगंबर कामत (कांग्रेस), पूर्व सीएम चर्चिल अलेमाओ (टीएमसी), रवि नाइक (भाजपा), लक्ष्मीकांत पारसेकर (निर्दलीय), पूर्व डिप्टी सीएम विजय सरदेसाई (जीएफपी) और सुदीन धवलीकर (एमजीपी) प्रमुख उम्मीदवार हैं. इसके अलावा गोवा के दिवंगत सीएम मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर और राज्य में आप के सीएम फेस अमित पालेकर भी चर्चित उम्मीदवारों में शामिल हैं.
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