Punjab Elections Updates: AAP की आंधी में सिद्धू, चन्नी, बादल, अमरिंदर सभी हारे

11:47 AM Mar 10, 2022 |
Advertisement
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं. राज्य विधानसभा में कुल 117 सीटें हैं, जिनपर 20 फ़रवरी को मतदान हुए थे. शाम 7 बजे तक चुनाव आयोग के मुताबिक, सभी 117 सीटों में से 116 के नतीजे आ चुके हैं. अबतक आम आदमी पार्टी (AAP) को 91 सीटों पर जीत हासिल हो चुकी है. वहीं कांग्रेस को 18, शिरोमणि अकाली दल को 3, भाजपा को 2  और अन्य के खाते में 2 साइट आई हैं. वहीं जिन 1 सीट पर अभी मतगणना चल रही है, उसमें 1 आप को बढ़त मिलती दिख रही है.  2017 चुनाव में 20 सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी इस बार भारी बहुमत के साथ सरकार बनाती हुई नजर आ रही है. पंजाब की पटियाला अर्बन सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हार हुई है. आम आदमी पार्टी के अजितपाल सिंह कोहली ने अमरिंदर सिंह को 13 हजार वोटों से मात दी है. चुनाव से पहले ही अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ अपनी सरकार बनाई थी.

'आप' की लहर ने चन्नी, सिद्धू को हराया

- पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव हार गए हैं. दोनों ही सीटों पर चन्नी को आम आदमी पार्टी के नेताओं ने हराया है. -  अमृतसर पूर्व से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को आप की जीवन ज्योत कौर ने हरा दिया है. - शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को उनके गढ़ जलालाबाद सीट पर आम आदमी पार्टी के जगदीश कंबोज ने हरा दिया. - शिरोमणि अकाली दल के दिग्गज नेता और 5 बार पंजाब सीएम प्रकाश सिंह बादल को उन्हीं के गढ़ लांबी में 'आप' के गुरमीत सिंह खोडियाल ने बड़े अंतर से हराया है.

कौन-कौन था मैदान में-

पंजाब की चुनावी लड़ाई इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मानी जा रही थी. लेकिन पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस और बीजेपी के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन भी एक फैक्टर माना जा रहा था. पिछले चुनाव के नतीजों के बाद यह बात साफ हो गई थी कि आम आदमी पार्टी ने मालवा क्षेत्र में अपनी पैठ बना ली है. आम आदमी पार्टी के 20 में से 17 विधायक इसी क्षेत्र से चुने गए थे. शिरोमणि अकाली दल भी पंजाब में एक अहम भूमिका रखता है. 2002 से 2012 तक लगातार 10 साल तक अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की सरकार रही. एक लंबे समय तक पंजाब में बादल परिवार का राजनीतिक दबदबा रहा है. लेकिन इस बार यह सारे दबदबे, पैंठ और समीकरण बदलते हुए दिख रहे हैं.

पिछली बार क्या हुआ था?

2017 के चुनाव में पंजाब में 77 फीसदी की रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी. कांग्रेस ने पंजाब में 117 सीटों में से 77 सीटों पर एक ठोस जीत हासिल की थी. कहा गया था कि सत्ता विरोधी लहर ने पार्टी को अपना एक बड़ा स्कोर बनाने में मदद की. पिछली बार आम आदमी पार्टी को उम्मीद से कम जीत मिली थी. फिर भी 20 सीटें जीतने के बाद आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा में दूसरी सबसे पार्टी बन गई थी. SAD-BJP गठबंधन को सिर्फ 18 सीटें मिली थीं.

पंजाब में क्षेत्र की पॉलिटिक्स क्या है?

पंजाब में क्षेत्र एक बड़ा कारक है. पंजाब भौगोलिक तौर पर तीन हिस्सों में बंटा हुआ है - मालवा, मांझा और दोआबा. तीन हिस्सों में मालवा सबसे बड़ा है और माझा और दोआबा एक जैसे हैं. जब इस भूगोल का राजनीति में अनुवाद होता है, तब भी मालवा की अपनी एक अहम भूमिका है. मालवा एक कृषि प्रधान क्षेत्र है. ज़्यादातर परिवार किसानी पर निर्भर हैं. मांझा में उद्योग मुख्य व्यवसाय है. फैक्ट्रियां हैं. क्षेत्र के ज़्यादातर लोग फैक्टरी-कर्मी हैं. दोआबा को आमतौर से NRI बेल्ट कहते हैं. कारण, इसी क्षेत्र से सबसे ज़्यादा लोग बाहर पढ़ने और काम करने के लिए जाते हैं. लल्लनटॉप की टीम जब चुनावी कवरेज के लिए पंजाब गई, तो हमने यह पता चला कि काम और क्षेत्र के आधार पर लोगों की सरकार से अपेक्षाएं अलग है. मसलन, मालवा क्षेत्र- जहां किसानी मुख्य व्यवसाय है- वहां के लोग सरकार से ज़्यादा अपेक्षा करते हैं. वहीं, दोआबा पंजाब का एक संभ्रांत इलाका है,‌ जिसकी अपेक्षा सरकार से अपेक्षा बाक़ी दो क्षेत्रों के मुक़ाबले कम है. और संभवतः यही कारण है कि आम आदमी पार्टी का मालवा क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा है. यह कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी के प्रभाव में जो बढ़ोतरी हुई है, उसका श्रेय आम आदमी पार्टी को कम और ऐंटी-इनकंबेंसी को ज़्यादा जाता है.

क्या रहे चुनावी मुद्दे?

हमारी ग्राउंड रिपोर्ट टीम ने पंजाब में 3 मुख्य चुनावी मुद्दे देखे. रोज़गार, नशामुक्ति और विकास. बेरोजगारी पूरे पंजाब में एक चुनावी मुद्दा है. युवाओं के पास काम नहीं है और इसलिए वह सरकार से निराश हैं. पंजाब के कई हिस्सों का नशे की चपेट में होने का ज़िम्मेदार भी बेरोज़गारी को ही बताया जाता है. गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी वाला मामला भी एक चुनावी मुद्दा बना था, जो शिरोमणि अकाली दल के खिलाफ गया. ड्रग माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया, केबल माफिया, भ्रष्टाचार, अवैध रेत खनन, किसान आंदोलन का प्रभाव और राज्य का बढ़ता क़र्ज़ चुनावी बयानबाज़ी में गूंजने वाले अन्य प्रमुख मुद्दे रहे. लल्लनटॉप की चुनावी कवरेज टीम ने पाया कि पाकिस्तान बॉर्डर से सटे इलाक़ों में ड्रग्स और नशीली दवाओं का ज़्यादा प्रभाव है. लोकल निवासियों ने बताया कि शिक्षा की स्थिति में गिरावट भी सत्ता विरोधी लहर का एक मुख्य कारण है.
वीडियो- कौन डालता है पोस्टल बैलट के जरिए वोट, जानें क्या है इसका पूरा गणित
Advertisement
Advertisement
Next