2017 में एक लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत
रघुराज प्रताप सिंह साल 1993 से ही कुंडा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीतते आ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में 'मोदी लहर' के बावजूद उन्होंने बीजेपी की जानकी शरण को एक लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था. वहीं बीएसपी उम्मीदवार परवेज अख्तर तीसरे नंबर पर रहे थे. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. सपा पिछले कई चुनावों से राजा भैया के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतार रही थी. इस सीट पर रघुराज प्रताप सिंह का दबदबा इस बात से पता चलता है कि पिछले दो चुनावों में उन्हें करीब 68 फीसदी वोट हासिल हुए. बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे. कुछ मामलों में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि मौजूदा हलफनामे के मुताबिक, उन्होंने अपने खिलाफ एक आपराधिक मामला घोषित किया है. राजा भैया यूपी में बीजेपी के कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह सरकार से लेकर समाजवादी पार्टी की सरकार में भी मंत्री रहे हैं. हालांकि अखिलेश यादव से रिश्ते बिगड़ने के बाद साल 2018 में उन्होंने अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक बना ली. 2019 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने कौशांबी और प्रतापगढ़ सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों जगह पार्टी को हार मिली थी. इस बार सपा ने कुंडा से भी अपना उम्मीदवार उतारा था. लेकिन राजा भैया अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे. उनकी पार्टी ने भी यूपी की 19 सीटों पर चुनाव लड़ा. चुनाव आयोग के पास दाखिल हलफनामे के मुताबिक, रघुराज प्रताप सिंह की कुल संपत्ति 23.69 करोड़ रुपए है. 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान ये 14 करोड़ रुपए थी. राजा भैया अपनी आय का स्रोत खेती बताते हैं.कभी राजा भैया के करीबी रहे गुलशन
सपा के गुलशन यादव, रघुराज प्रताप सिंह के करीबी रह चुके हैं. हालांकि अब वो एक-दूसरे के धुर-विरोधी हैं. चुनाव के दौरान उन्होंने लल्लनटॉप को बताया था कि रघुराज प्रताप सिंह से अब उनकी बातचीत नहीं होती है. गुलशन यादव का कहना है कि राजा भैया खुद उनसे अलग हो गए. हालांकि उन्होंने अलग होने कारणों का जिक्र नहीं किया. गुलशन यादव के हलफनामे के मुताबिक, उनके खिलाफ 20 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं. उनके भाई छविनाथ यादव सपा के जिलाध्यक्ष हैं. कुंडा विधानसभा क्षेत्र में करीब 90 हजार दलित मतदाता हैं, जिनमें सबसे ज्यादा संख्या पासी समुदाय की है. वहीं यादव मतदाताओं की संख्या 75,000 है. इस क्षेत्र में ब्राह्मणों को छोड़कर रघुराज प्रताप सिंह को सभी समुदायों का साथ मिलता रहा है. इस बार सपा के उम्मीदवार उतारने और बीजेपी की तरफ से ब्राह्मण व बसपा की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने से मुकाबला कड़ा नजर आ रहा था.UP चुनाव रिजल्ट में BJP की जीत के साथ टूट गए कई रिकॉर्ड
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