क्या Omicron वेरिएंट भारत में कोरोना की तीसरी लहर की वजह बनेगा?

11:07 PM Dec 03, 2021 | सुरेश
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क्या देश में फिर से लॉकडाउन लगेगा, क्या दफ्तरों में फिर से वर्क फ्रॉम होम होगा, क्या शादियों के बडे़ आयोजन पर फिर से रोक लगेगी? 'फिर से' के साथ ऐसे सवाल पूछे जाने लगे हैं. क्योंकि ओमिक्रोन का खतरा हम तक पहुंच चुका है. कर्नाटक में कल दो लोगों में ओमिक्रोन वेरिएंट होने की पुष्टि हुई थी. और इसमें चिंता की बात ये भी है कि एक एक मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. माने, वो विदेश नहीं गया था. तो उस तक ओमिक्रोन कैसे पहुंचा, क्या देश में बड़े स्तर पर ओमिक्रोन फैलने की आशंका है, बच्चों को ओमिक्रोन से कैसे बचाएंगे. टीकाकरण का क्या हाल है. कुछ समय पहले तक हम इस बात का शुक्र मना रहे थे कि चलो हमारे देश में अभी ओमिक्रोन नहीं पहुंचा है. बुधवार को तो सरकार ने संसद में भी अपनी पीठ ठोक कर कहा था कि ओमिक्रोन का संक्रमण भारत तक ना पहुंचे इसके पर्याप्त इंतजाम कर लिए गए हैं. लेकिन जैसा कई हेल्थ एक्सपर्ट्स अंदेशा जता रहे थे, ओमिक्रोन वेरिएंट पहले भी भारत पहुंच चुका था. और गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इसकी पुष्टि कर दी गई. अभी तक देश में 2 लोगों में ओमिक्रोन मिलने की पुष्टि हुई है. दोनों मामले कर्नाटक के हैं. अब हम भी उन देशों की सूची में आ चुके हैं जहां ओमिक्रोन पहुंच चुका है. और इसके साथ ही जुड़ती हैं कई तरह की आशंकाएं. जैसे कि क्या भारत में बड़े स्तर पर संक्रमण फैल सकता है, क्या बच्चों को ज्यादा खतरा है, क्या तीसरी लहर आएगी. इस सवालों पर एक एक करके बात करेंगे. पहला और जरूरी सवाल तो ये कि क्या भारत में और भी ओमिक्रोन संक्रमित मरीज़ मिल सकते हैं. मतलब कि क्या संक्रमण फैल चुका है? इसका जवाब आप दक्षिण अफ्रीका से समझिए. दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को एक मरीज का सेंपल लिया गया था. उसकी जीनोम सिक्वेंसिंग के बाद 25 नवंबर के आसपास मालूम चला कि ये तो कोई नई आफत है. मतलब पहले के डेल्टा, बीटा जैसे वेरिएंट्स से अलग एक नया तरह का वेरिएंट मिला. जिसका बाद में WHO ने ओमिक्रोन नाम रखा है. मतलब ये कि कम से कम 9 नवंबर से तो ओमिक्रोन वेरिएंट वजूद में आ चुका था. मुमकिन है कि इसके पहले ओमिक्रोन रहा हो. इसका मतलब ये है कि लगभग महीनेभर से ओमिक्रोन दक्षिण अफ्रीका और इसके आसपास के अफ्रीकी देशों में था. और जब दुनिया को इसकी जानकारी मिली और उसके बाद जो टेस्टिंग मॉनिटरिंग बढ़ाई, तब कई लोग अफ्रीका के देशों से होकर यात्री भारत या दुनिया के और देशों में गए हैं. जैसे सामान्यतौर पर होता है. और इस तरह से ओमिक्रोन भी अफ्रीका के बाहर पहुंच गया. जैसे ही भारत समेत दुनिया के देशों ने मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू की, ओमिक्रोन के मामले आते गए. भारत के मामले में आप एक चीज़ और समझिए. कर्नाटक में जो दो मरीज़ मिले हैं उनमें से एक तो दक्षिण अफ्रीका से आया है. लेकिन 46 साल को जो दूसरा मरीज है वो स्थानीय डॉक्टर है. उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है. मतलब देश के बाहर से नहीं लौटा है. फिर भी उसमें ओमिक्रोन का संक्रमण मिलता है. मतलब ओमिक्रोन के किसी और मरीज़ के संपर्क में आने से डॉक्टर में संक्रमण फैला होगा. लेकिन वो मरीज कौन था, उसका पता नहीं चला है. कहने का मतलब ये है कि जिन दो मरीजों में ओमिक्रोन के संक्रमण की पुष्टि हुई है, उनके अलावा भी संक्रमित होंगे, लेकिन उनकी जानकारी नहीं है. दूसरी बात, विदेश से भारत लौट रहे दर्जनों लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं. जैसे आज जयपुर से जानकारी आई कि अफ्रीका से लौटे 4 लोग पॉजिटिव मिले हैं. मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचे 9 लोग पॉजिटिव आए हैं. तमिलनाडु में सिंगापुर और यूके से आए दो लोग पॉजिटिव मिले हैं. आज संसद में भी स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि अभी तक खतरे की श्रेणी में रखे गए देशों से आए 16 हजार लोगों की कोरोना जांच हुई है. इनमें से 18 पॉजिटिव मिले हैं. अब इनमें ओमिक्रोन वेरिएंट का संक्रमण है या किसी और वेरिएंट का, ये जीनोम सिक्वेंसिंग से तय होगा. और जीनोम सिक्वेंसिंग में थोड़ा टाइम लगता है. तो बहुत मुमकिन है कि देश में अगले कुछ दिनों में ओमिक्रोन वेरिएंट के और भी मामले सामने आएं. दूसरा सवाल - भारत में संक्रमण पहुंच गया है तो क्या अब केसेज में तेज़ी से इजाफा हो सकता है. मतलब तीसरी लहर जैसा कुछ होने की आशंका है? तीसरी लहर वाले सवाल का जवाब आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दिया गया. कहा है कि दक्षिण अफ्रीका के बाहर भी मामले आ रहे हैं. और वायरस के इस वेरिएंट को देखते हुए लग रहा है कि भारत समेत और भी देशों में ये वेरिएंट फैलेगा. लेकिन किस तेज़ी से और किस स्तर तक संक्रमण फैलेगा, ये अभी साफ नहीं है. और सबसे खास बात ये बीमारी कितनी गंभीर होगी, इस पर भी अभी पूरी जानकारी नहीं. बीमारी की गंभीरता का मतलब कितने मरीजों को अस्पताल की जरूरत पड़ेगी, कितने फीसद को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है, क्या डेल्टा वेरिएंट जैसे हालात हो सकते हैं, इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है. तो सरकार ने तो गोलमोल जवाब दे दिया है. लेकिन ओमिक्रोन को लेकर जो सबसे बड़ा डर बताया जा रहा है, वो इसकी संक्रामकता का ही है. मतलब ये बहुत तेज़ी से फैलता है. फिर से हम साउथ अफ्रीका के उदाहरण से समझते हैं. वहां गुरुवार को, माने कल 11 हजार 535 नए मामले आए. एक हफ्ते पहले तक रोज़ाना वाले मामले इसके आधे ही थे. मतलब हफ्तेभर के दौरान मामले डबल हो गए हैं. और आशंका ये भी है कि संक्रमण का ग्राफ और ऊपर जा सकता है. तो दुनिया के बाकी देशों की तरह ही भारत में भी मामले बढ़ने का डर तो है. लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ये भी कह रहा है कि भारत में टीकाकरण की तेज़ रफ्तार और जिस स्तर पर दूसरी लहर के दौरान संक्रमण फैला था, इन फैक्टर्स से ये लग रहा है कि बीमारी की गंभीरता उतनी नहीं रहेगी. और इस आधार पर सरकार और हेल्थ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है. अब आते हैं टीके के सवाल पर. क्या ओमिक्रोन के सामने टीके बेअसर हैं? मतलब अभी जितने टीके दुनियाभर में लगाए जा रहे हैं, वो ओमिक्रोन के संक्रमण से नहीं बचा पाएंगे? इस पर पहले वो जवाब सुनिए जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से आया. मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रोन के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं, इस तरह की बातों को साबित करने के लिए फिलहाल कोई तथ्य नहीं हैं. लेकिन ये बात भी है कि ओमिक्रोन की कुछ स्पाइक जीन वैक्सीन का असर कम कर सकते हैं. हालांकि वैक्सीन से शरीर में एंटीबॉडीज़ बनते हैं, इम्यूनिटी बेहतर होती है. तो वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा तो बेहतर होगी ही. आगे मंत्रालय ने कहा कि इसलिए ये उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन लगवाने वालों बीमारी उतने गंभीर रूप में नहीं आएगी. ये तो हुई भारत सरकार के जवाब की बात. दुनिया भर में ये भी देखने को आ रहा है कि वैक्सीन लगवा चुके लोग ओमिक्रोन संक्रमित मिले हैं. अमेरिका में भी जो पहला ओमिक्रोन संक्रमित मरीज आया, उसका वैक्सीनेशन पूरा हो चुका था. अफ्रीका या और भी देशों में ऐसे मामले आए हैं. हालांकि WHO समेत दुनिया के वैज्ञानिक टीकाकरण पर ज़ोर दे रहे हैं. भारत सरकार भी ज़ोर दे रही है. वैसे टीकाकरण की बात आई है तो भारत में टीकों पर भी बात कर लेते हैं. देश में अभी तक करीब 1 अरब 26 करोड़ टीके लग चुके हैं. पहला डोज़ करीब 80 करोड़ लोगों को लग चुका है. जबकि दोनों डोज़ करीब 46 करोड़ लोगों को लगा है. देश में टीकाकरण के योग्य व्यस्क आबादी करीब 94 करोड़ मानी गई है. इस लिहाज से 85 फीसदी लोगों को एक डोज़ लग चुका है. और 49 फीसदी लोगों को दोनों डोज़ लग चुके हैं. मतलब ये कि देश के आधे व्यस्कों का ही टीकाकरण अभी पूरा हुआ है.  जून में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा था साल के आखिर तक सारे व्यस्कों के टीकाकरण का प्लान है. जुलाई के बाद  देश में टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ी. बीच बीच में वो मौके भी आए जब देश में टीकाकरण के रिकॉर्ड बने. एक दिन में ढाई करोड़ डोज, 100 अरब का टारगेट पूरा. ऐसे मौकों पर खूब विज्ञापन हुआ. लेकिन असली बात ये है कि देश में अभी आधी आबादी का पूरा टीकाकरण होना बाकी है. और ऐसा लग नहीं रहा कि दिसंबर के आखिर तक सरकार ये टारगेट पूरा कर पाएगी. और ये सिर्फ व्यस्क टीकाकरण की बात है. दुनिया के कई देशों में महीनों पहले ही बच्चों का टीकाकरण शुरू हो गया था. यूएस, यूके, अर्जेंटीना, डेनमार्क, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, फिलिपिंस, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया... इन सारे देशों में बच्चों का टीकाकरण चल रहा है. कई देशों में बूस्टर डोज़ यानी कोरोना की दोनों डोज़ के बाद एक और डोज़ लगाने की बात हो रही है. और इस मामले में अभी हम कहां हैं, आपको बता ही दिया. आज संसद में सरकार से पूछा गया कि बताइए बच्चों को वैक्सीन कब लगवाएंगे. जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि वैज्ञानिक सलाह के आधार पर जल्द ही भारत में बूस्टर डोज़ और बच्चों के लिए वैक्सीन पर फैसला लिया जाएगा. वैज्ञानिक सलाह मतलब सरकार वैज्ञानिक सलाह लेने के लिए ओमिक्रोन के आने का इंतजार कर रही थी? मतलब ये कैसा बहाना है कि वैज्ञानिक सलाह नहीं है इसलिए बच्चों के लिए वैक्सीन शुरू नहीं की. खैर, फिर से लौटते हैं ओमिक्रोन पर. बच्चों की बात आई है तो सवाल ये कि क्या इस वेरिएंट से बच्चों को ज्यादा खतरा है? दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों की तरफ से ये जानकारी आई है कि बच्चों का हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ रहा है. वहां नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिज़ीज की वैज्ञानिक वेसिला जैसट ने कहा है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में हॉस्पिटलाइजेशन तेज़ी से बढ़ रहा है. अस्पताल में भर्ती कराने की जिन्हें जरूरत पड़ रही है, उसमें सबसे ज्यादा 60 साल से ज्यादा आयु वर्ग के लोग हैं और दूसरे नंबर 5 साल से कम उम्र के बच्चे हैं. एक ट्रेंड दक्षिण अफ्रीका में देखा जा रहा है. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई पुख्ता वैज्ञानिक रिसर्च नहीं आई है. इसलिए ये मानने की अभी कोई वजह नहीं है कि ओमिक्रोन के लिए बच्चे ज्यादा वलनरेबल हैं. अब आते हैं कि इस सवाल पर कि ओमिक्रोन के संक्रमण पर अभी तक ज्यादा किस तरह के लक्षण दिख रहे हैं. इस बारे में डॉक्टर सुरेश कुमार जो सर गंगा राम अस्पताल दिल्ली में डॉक्टर हैं उन्होंने ANI के हवाले से बताया
इस वेरिएंट का कोई मामला भी हमारे यहाँ सामने नहीं आया है लेकिन साउथ अफ़्रीका और हांगकांग के केस को देखने पर पता चलता है कि इसमें हल्का बुख़ार होता है. सर दर्द के साथ आंखों में जलन होती है और कमज़ोरी आती है. आने वाले समय में इसकी और जानकारी हमें मिलेगी.
और आखिर में सवाल ये ओमिक्रोन इतनी तेज़ी से फैलता है, तो इसका बचाव किस तरह से करें, क्या कोरोना अप्रोप्रिएट बिहेवियर में कोई नई चीज़ जोड़नी पड़ेगी? डॉक्टर राजेश चावला (चेस्ट स्पेशलिस्ट अपोलो हॉस्पिटल दिल्ली) ने आजतक के हवाले से बताया
का मतलब है आपको मासक पहनना है हाथ धोना है, दूसरों से दूरी बना के रखनी है, इस वेरिएंट में फैलने की शक्ति बहुत है. बहुत ज़रूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें. कुछ ही दिन के बाद हमें इसके बारे में और पता चल जाएगा.
तो भैया बात ऐसी है कि अगर आप कोरोना नियमों को लेकर ढीले पड़ गए हैं,  मास्क पहनने को झझंट समझने लगे हैं, बाहर से आने पर हाथ धोना बंद कर दिया है. तो अब फिर से शुरू कर दीजिए. अभी संक्रमण बहुत शुरुआती स्टेज पर है. अभी देश में रोज़ाना वाले आंकड़े करीब 9 हजार के आसपास हैं. संक्रमण ना बढ़े, और बीमारी हम तक ना पहुंचे, इसके लिए हमारे हिस्से की तैयारी हमें ही करने पड़ेगी.

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